अंगारक योग का असर कैसे डालता है भाग्य पर असर

अंगारक योग कुंडली में मंगल और राहु के एक साथ होने पर बनता है. इस योग में केतु और सूर्य का प्रभाव भी अंगारक योग का निर्माण करता है. यह एक ज्योतिष योग है जिसे खराब योगों की श्रेणी में रखा जाता है. अंगारक योग वैदिक ज्योतिष में कई तर्ह की चुनौतियों को दर्शाता है. यदि राहु-मंगल के साथ किसी कुंडली में स्थिति या दृष्टि के कारण संबंध बनाता है, अंगारक योग कहा जाता है. कुण्डली में जिस भी भाव बनता है जिसका अर्थ है कि यदि राहु और मंगल एक ही घर में स्थित हों या राहु और मंगल की परस्पर दृष्टि एक दूसरे पर हो तो कुण्डली में अंगारक योग बनता है.जब राहु और मंगल कुंडली के किसी भी घर में युति करते हैं. यह दोष जन्म कुण्डली में राहु और मंगल की स्थिति खराब होने परखराब और हानिकारक प्रभाव दे सकता है.

ज्योतिष में अंगारक योग प्रभाव 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब मंगल कुंडली में राहु या केतु में से किसी एक से संबंध बनाता है या एक दूसरे पर दृष्टि डालकर संबंध बनाता है तो उस कुंडली में अंगारक योग का निर्माण होता है. कुंडली में अंगारक योग के अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब इस योग को बनाने वाले मंगल, राहु या केतु दोनों ही अशुभ स्थिति में हों. साथ ही यदि कुंडली में मंगल और राहु-केतु शुभ स्थान में हों तो व्यक्ति के जीवन पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. अंगारक योग, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, अग्नि का कारक है.

कुंडली में व्यक्ति क्रोध में फंसा रहता है और निर्णय लेने में सक्षम नहीं होता है. अंगारक योग मुख्य रूप से क्रोध, अग्नि, दुर्घटना, रक्त संबंधी रोग और त्वचा की समस्याओं का कारण बनता है. अंगारक योग की पहचान व्यक्ति के व्यवहार से भी की जा सकती है. इसके प्रभाव से व्यक्ति अत्यधिक क्रोधी हो जाता है. ये कोई निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं लेकिन न्यायप्रिय होते हैं. स्वभाव से ये व्यक्ति सहयोगी होते हैं. इस योग के प्रभाव में व्यक्ति सरकारी पद पर प्रशासनिक अधिकारी बनता है. अंगारक योग शुभ और अशुभ दोनों तरह के फल देता है. कुंडली में यह योग बनने के बाद व्यक्ति मेहनत से नाम और पैसा कमाता है. इस योग के प्रभाव में व्यक्ति के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं.

अंगारक योग से जुड़े प्रभाव का असर कुछ भावों पर

अंगारक योग के कारण व्यक्तिका स्वभाव आक्रामक, हिंसक और नकारात्मक हो जाता है और इस योग के प्रभाव में व्यक्तिका अपने भाइयों, मित्रों और अन्य संबंधियों से मतभेद होता है. अंगारक योग होने से धन की कमी रहती है. इसके प्रभाव से व्यक्तिको योग बनाने वाले ग्रहों की दशा में दुर्घटना होने की संभावना बनती है. वह रोगों से पीड़ित रहता है और उसके शत्रु उस पर काला जादू करते हैं. अंगारक योग का बुरा असर बिजनेस और वैवाहिक जीवन पर भी पड़ता है. कुंडली के पहले भाव में राहु-मंगल अंगारक योग होने से पेट की बीमारी और शरीर पर चोट लग सकती है. 

राहु और मंगल प्रथम भाव में

राहु वर्जनाओं को तोड़ने वाला और जोखिम लेने के लिए आगे रहता है. मंगल जुनून और आक्रामकता को दर्शाता है. वैदिक ज्योतिष या लग्न का पहला घर शरीर और आत्म-दृष्टि का प्रतिनिधित्व करता है. तो, प्रथम भाव में राहु और मंगल एक हिंसक स्वभाव, लालच, कभी न मिटने वाली भूख और क्रोध पैदा कर सकता है. 

राहु और मंगल दूसरे भाव में

दूसरा भाव धन, समृद्धि और भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल दुर्घटनाओं, चोटों, सर्जरी और रक्त को दर्शाता है. इस योग के कारण जातक को आर्थिक नुकसान, सर्जरी और अस्वस्थता का सामना करना पड़ सकता है. मंगल के उग्र स्वभाव के कारण इन्हें अपनी संपत्ति गंवानी पड़ सकती है. 

राहु और मंगल तीसरे घर में

तीसरा भाव भाई-बहनों, आत्म-अभिव्यक्ति और छोटी यात्राओं को दर्शाता है. राहु सभी भौतिक वस्तुओं की लालसा के बारे में है. यह व्यक्ति को धोखा देता है और झूठ बोलता है. यह उन्हें क्रूर और कंजूस भी बनाता है. कार्यक्षेत्र में उनके लिए परेशानी भरा माहौल हो सकता है. इसलिए, वे अक्सर नौकरी बदल सकते हैं. 

राहु और मंगल चतुर्थ भाव में

चौथा भाव या बंधु भाव और मां के साथ संबंध दर्शाता है. जब इस घर में राहु और मंगल एक साथ आते हैं, तो स्त्री पक्ष के साथ सहयोग कम होता ह. रिश्तों में आत्मिक लगाव कम रह सकता है. विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. मान सम्मान पर गहरा असर पड़ सकता है. परिवार से दूर जाना पड़ सकता है. 

राहु और मंगल पंचम भाव में

राहु मंगल का प्रभाव व्यक्ति को तकनीकी क्षेत्र में आगे ले जा सकता है. व्यक्ति को सतर्क, अधीर और चिंतित बना सकता है. जब यह इस भाव में होता है तो सुख, चंचलता, शिक्षा, आशावाद और भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है, तो यह बहुत नुकसान कर सकता है.राहु और मंगल की युति बहुत अधिक ऊर्जा जो नकारात्मक रुप से संतान पक्ष को प्रभावित कर सकती है. उत्पन्न करती है

राहु और मंगल छठे भाव में

छठा भाव ऋण, विरोध, शत्रुता, स्वास्थ्य, बाधाओं और दुर्भाग्य को दर्शाता है. लेकिन यह ग्रह योग यहां कुछ सकारात्मक प्रभाव देता है. व्यक्ति विरोधियों पर विजय प्राप्त कर सकता है.  शत्रुओं के पर व्यक्ति भारी रहता है. अपने दुश्मन को नुकसान पहुँचाने से नहीं हिचकता है. 

राहु और मंगल सातवें भाव में

सातवां भाव प्रेम, संबंध, विवाह और जीवन साथी को दर्शाता है. राहु अहंकारी है और मंगल हिंसक है, इसलिए यदि मंगल और राहु एक साथ इस घर में हों तो वैवाहिक जीवन बहुत पीड़ादायक और दुखी हो सकता है. यह इस घर के लिए बहुत ही विनाशकारी योग है. यह युति जातक के प्रेम जीवन को बर्बाद कर देती है.

राहु और मंगल आठवें घर में

राहु और मंगल का अष्टम भाव में होना जातक के लिए अनुकूलता की कमी का कारण बनता है. आठवां घर दीर्घायु, मृत्यु और अचानक धन लाभ और हानि जैसी चीजों को दर्शाता है. इसे खराब घर के रूप में देखा जाता है. यह युति व्यक्ति को परेशानी और अचानक होने वाली घटनाओं से प्रभवैत करने वाली होती है.