अपनी कुंडली में जाने मंगल का पहले भाव में होने का विशेष फल

मंगल का प्रभाव कुंडली के हर भाव में बहुत विशेष होता है. इस ग्रह की स्थिति जातक को काफी प्रभावित करने वाली होती है. मंगल जिस भी भाव में होता है वह अपने प्रभाव को अलग-अलग तरह से दिखाता है. मंगल का असर पहले घर में होना अच्छे और खराब हर तरह के अपने प्रभाव दिखा सकता है. मंगल की स्थिति कुण्डली के पहले घर में होने पर जातक को कुछ विशेष योग मिलते हैं और साथ में जातक को यह आंतरिक रुप से भी बदलता है. जन्म कुंडली में लग्न एक विशेष भाव होता है. इस भाव में मंगल किसी भी व्यक्ति को मांगलिक बना देता है. यह ज्योतिष नियम है जिसमें मंगल का पहले घर में होना व्यक्ति को इस दशा से जोड़ देने वाला होता है. 

मंगल का प्रथम घर में होने का प्रभाव 

पहला घर स्वयं के बारे में होता है. शुरुआत के बारे में भी हम इसी भाव से देखते हैं, किसी भी व्यक्ति के जन्म का प्रभाव उस पर काफी विशेष होता है. यही प्रथम भाव का महत्व है, जिसे लग्न भी कहा जाता है. वैदिक ज्योतिष में मंगल का असर यहां होना विशेष प्रभाव देता है. यह भाग्य को प्रभावित करता है, तो पहला भाव ज्योतिष के मूल में स्थित है. ​​मंगल में लाल ग्रह भी कहा जाता है,मंगल ग्रह की बात करें तो इसे उग्र और आक्रामक ग्रह माना जाता है. मंगल ग्रह के से प्रभावित होने वाला व्यक्ति तर्क पसंद करता है और गुस्सैल स्वभाव  का होता है. जब पहले भाव में मंगल की बात आती है, तो जातक के शारीरिक रूप से मजबूत और साहसी होने की संभावना होती है. इनके व्यक्तित्व में बहुत अधिक ऊर्जा और उत्साह की विशेषता होती है.

मंगल के प्रभाव के कारण व्यक्ति गतिशील और ऊर्जा से भरपूर होता है. एक बार जब कुछ करने की ओर अपना मन लगाते हैं तो वह करते हैं कोई उन्हें रोक नहीं सकता. जीवन कार्रवाई से भरा होता है और व्यक्ति किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं. लेकिन सावधान रहें कि अपनी महत्वाकांक्षा का पीछा करते हुए दूसरों को चोट न पहुंचे. प्रथम भाव में मंगल होने पर व्यक्ति एक साथ कई परियोजनाओं पर काम करने की क्षमता रखता है. अपने करियर में वह सक्रिय रहता है. लगातार कुछ नया और जोश से भरे  काम करने की इच्छा रख सकते हैं. मंगल जीवन में बहुत समृद्धि और उत्साह ला सकता है. काम करने और नियमों को लागू करने में कुशल व प्रभावी रह सकते हैं. 

मंगल का असर जातक को स्वयं को पहचानने की कोशि रखते हैं. चीजों को कैसे शुरू किया जाए. यदि दूसरे व्यक्ति के विचारों के कार्यान्वयन में बाधाएँ पैदा करते हैं, तो उन्हें हरा देने में भी आप सफल होते हैं. व्यक्ति अपने रास्ते के बारे में स्पष्ट होता है. बिना किसी शक संदेह के उसका अनुसरण करने में भी वह कुशल होता है. मंगल के प्रथम भाव के प्रभाव के अनुसार काम के अप्रत्याशित परिणाम भी मिल सकते हैं. प्रथम भाव में मंगल वाले व्यक्ति दूसरों द्वारा की गई नकारात्मक टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं. इससे जातक पूरी तरह से सकारात्मक हो जाएंगे. इतना ही नहीं, सामाजिक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है. अपने आसपास के लोगों के बीच लोकप्रिय होते हैं. इसके अलावा, जीवन की स्थितियों पर बहुत अच्छी पकड़ होगी. जैसे, जब कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है, तो न केवल निर्णय लेते हैं बल्कि उस स्थिति में सफलता को भी पाते हैं. 

सबसे पहले, पहला घर शारीरिक गठन को दर्शाता है और मंगल की स्थिति यहां होने पर सामान्य रुप से व्यक्ति के शरिर और उसके हेल्थ पर अपना असर डालता है. प्रथम भाव में मंगल की स्थिति एक हष्टपुष्ठ देह को दर्शाती है. शारीरिक शक्ति में व्यापक रूप से वृद्धि प्राप्त होती है. मंगल, अस्थि मज्जा का कारक बनता है. समान रूप से छोटी और मध्यम के बीच शरीर की ऊंचाई को इंगित करता है. हड़ियों को सख्त और मजबूत होती हैं. यदि मंगल कमजोर हो तो यह शरीर की ताकत को भी कम करता है और हड्डियों की संरचना और मांसलता को प्रभवैत करने वाला होता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पहले भाव के स्वामी की अनुकूल स्थिति मंगल को अच्छा स्वास्थ्य देकर कुछ हद तक बचाती है लेकिन कम शारीरिक शक्ति और सहनशक्ति के साथ. ऎसे में मंगल का लग्न में होना उसके शुभाशुभ फल प्रदान करता है. 

पहला घर शरीर के स्वास्थ्य को भी दर्शाता है और मंगल यदि उचित है तो अपने अनुकूल संकेत भी देता है. कुछ मामलों में उच्च रक्तचाप को भी दर्शाता है. मंगल अच्छे स्वास्थ्य को इंगित करता है इसके अलावा, यदि प्रथम भाव का स्वामी भी अपनी राशि या उच्च में अच्छी तरह से स्थित है, तो यह असाधारण रूप से अच्छे स्वास्थ्य और सभी नकारात्मक कारकों को दूर रखता है. किंतु इसके विपरित अशुभ राशि में स्थित मंगल स्वास्थ्य को कम करता है. यदि प्रथम भाव का स्वामी मंगल हो या वहां स्थिति होकर बलवान है और शुभ राशि में स्थित है तो यह अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाता है.

मंगल के लग्न पर होने से मंगल व्यक्ति को कई बार साहसी भी बनाता है. लग्न में अच्छी तरह से स्थित मंगल व्यक्ति को साहस, दृढ़ संकल्प, इच्छा-शक्ति और चरित्र की मजबूती को दर्शाता है. व्यक्ति स्वतंत्र रुप से स्व-निर्मित और आत्मविश्वासी भी बनता है. दूसरी ओर, मंगल अत्यधिक कमांडिंग बना सकता है, हावी, आक्रामक और उग्र स्वभाव भी देता है. मंगल यदि शत्रु राशि, अशुभ ग्रहों के साथ नकारात्मक प्रभावों में है तो इस कारण कठोर और क्रूर स्वभाव मिलता है, लेकिन आध्यात्मिक भी बना सकता है. मंगल स्वयं अच्छी स्थिति में होकर काफी सकारात्मक असर दिखाता है.