राहु काल: ज्योतिष में राहुकाल का महत्व और इसका प्रभाव
पंचांग निर्माण में ग्रहों एवं समय गणना के आधार पर कई तरह के योग एवं कालों का विभाजन संभव हो पाता है. इस में एक विशेष काल की गणना बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है जिसे राहुकाल के नाम से जाना जाता है. सामान्य रुप से राहु काल को एक खराब समय के रुप में देखा जाता है. यह बुरा समय माना जाता है और इस समय के दौरान शुभ कार्यों को न करन अही हितकर माना जाता है. आमतौर पर लोग इससे डरते हैं. हिंदू वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह शुभ समय नहीं होता है जिस प्रकार भद्रा काल समय को शुभ नहीं माना जाता है उसी प्रकार इस राहुकाल को भी शुभता में स्थान प्राप्त नहीं होता है.
राहुकाल समय
पंचांग अनुसार राहुकाल का समय प्रत्येक दिवस के लिए कुछ निश्चित समय सीमा पर बनता है. नियमित आधार पर, राहु हर दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच लगभग नब्बे मिनट की अवधि को कवर करता है. राहु काल का अपना ज्योतिषीय महत्व है. ज्यादातर यह प्रतिकूल प्रभाव देता है. राहुकाल को समझने से पहले राहु ग्रह के ज्योतिषीय दृष्टिकोण को जान लेना भी उचित होता है. आइये जानते हैं राहु काल और हमारे जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में
वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक दिन में सूर्योदय और सूर्य के अस्त होने के बीच लगभग डेढ़ घंटा एक राहु काल होता है जिस पर दुष्ट ग्रह राहु का शासन होता है. राहु काल
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए और अगर शुरू किया जाए तो उसका अच्छा फल नहीं मिलेगा. पहले से चल रहा कार्य, यात्रा या व्यापार प्रभावित नहीं होगा.
आम तौर पर व्यक्ति को कोई नई यात्रा शुरू नहीं करनी चाहिए, इस समय के दौरान कार्य, नौकरी, साक्षात्कार, विवाह, व्यापार व्यवहार, किसी भी संपत्ति की बिक्री या खरीद इत्यादि से संबंधित काम मना होता है.
राहु काल और दिन का भाग
स्थानीय समय के अनुसार राहु काल के समय में थोड़ा सा अंतर होता है, जिसे आप स्थानीय पंचांग में देख सकते हैं.
राहु काल के लिए सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय को आठ भागों में बांटा जाता है और फिर उसमें से राहु काल निकाला जाता है.
राहु-काल सोमवार को दूसरा भाग होता है, मंगलवार को सप्तम भाव राहु काल का होता है, बुधवार को दिन का पांचवां भाग राहु काल का रहता है, गुरुवार को दिन का छठा भाग राहु काल का रहता है. शुक्रवार को दिन का चौथा भाग राहु काल का रहता है, शनिवार को तीसरा भाग राहु काल होता है. रविवार को राहु का अष्टम भाव होता है.
राहु काल में क्या करना चाहिए
राहु-काल के दौरान दुर्भाग्य को दूर करने के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं. इस काल समय के दौरान दुर्गा एवं शिव पूजा करना शुभदायक होता है. इसके अतिरिक्त राहु मंत्र जाप करना भी उत्तम होता है. यदि जन्म कुंडली में राहु खराब है और आप किसी विशेष समस्या से गुजर रहे हैं तो देवी काली का पूजन करना उत्तम होता है. नींबू की माला अर्पित करना भी उचित माना जाता है.
यदि नकारात्मक ऊर्जा का असर अधिक हो रखा होता है तो इस समय के दोरान चौमुखा दीपक जलाना चाहिए. दीपक में अलसी के तेल का प्रयोग करना चाहिए. इस दीपक को पीपल के पेड़ के नीचे प्रज्जवलित करना भी अनुकूल माना जाता है.
राहु काल के समय नारियल लेकर भैरव मंदिर में चढ़ाना अनुकूलता प्रदान करता है. इसे के अलावा राहु काल समय मंदिर में राहु मंत्र का जाप करना चाहिए.
इन कुछ बातों का ध्यान रखकर राहुकाल के खराब असर से बचाव होता है.
राहुकाल वैदिक मुहूर्त ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण शब्द है. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार राहु ग्रह एक दुष्ट ग्रह है, इसलिए किसी भी शुभ और नए कार्य के लिए दिन में राहु ग्रह के गोचर से बचना चाहिए. राहु काल अक्सर अलग-अलग नामों के साथ पाया जाता है. राहुकाल को राहु काल, राहु कालम, राहुदोषम, राहु समय आदि के रूप में लिखा जाता है. राहुकाल सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच दिन के आठ भागों में से एक है. लोग आमतौर पर दिन की इस अवधि के दौरान शुभ कार्यों से बचते हैं. अधिकांश लोग स्टॉक, घर, सोना और कार आदि नहीं खरीदते हैं. बहुत से लोग आम तौर पर किसी भी प्रकार की शुभ गतिविधियों जैसे शादी, सगाई और यहां तक कि कोई नया व्यवसाय शुरू करने से बचते हैं.
भारत में कई पंचांग देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित रहे हैं. ये पंचांग राहुआल के समय को दर्शाते हैं. राहु काल प्रतिदिन डेढ़ घंटे तक रहता है. विभिन्न स्थान समय के कारण इसमें थोड़ा परिवर्तन संभव हो सकता है. इसलिए, आपके शहर में राहु काल का सही समय बताने के लिए पंचांग एक मार्गदर्शक है. स्थानीय पंचांग न केवल भारतीय मानक समय बल्कि स्थानीय माध्य समय को भी ध्यान में रखकर बनाया गया है.
राहु काल की गणना कैसे करें
राहु काल की गणना सरल है, यदि आपके पास पंचांग है तो कभी-कभी आपको गणना करने की भी आवश्यकता नहीं होती है. राहु काल का सही समय खोजने में आपकी मदद करने के लिए इंटरनेट भी एक सहायक बनता है. राहु काल गणना के पीछे थोड़ा ज्योतिषीय अंकगणित को समझने की आवश्यकता है.
राहु काल का समय यहां प्रत्येक दिन के लिए दिया गया है.
रविवार - शाम 4:30 बजे से शाम 6:00 बजे तक (8 वां मुहूर्त)
सोमवार - सुबह 7:30 से सुबह 9:00 बजे तक (दूसरा मुहूर्त)
मंगलवार- अपराह्न 3:00 बजे से सायं 4:30 (7वां मुहूर्त)
बुधवार- दोपहर 12 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक (पांचवां मुहूर्त)
गुरुवार - दोपहर 1:30 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक (छठा मुहूर्त)
शुक्रवार - सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे (चौथा मुहूर्त)
शनिवार - सुबह 9:00 बजे से सुबह 10:30 बजे तक (तीसरा मुहूर्त)
गणना सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच 12 घंटे का समय लेते हुए की जाती है. इस 12 घंटे को 8 भागों में बांटा गया है. उदाहरण के लिए, हमें रविवार को राहु काल की गणना करने की आवश्यकता है. राहुकाल शाम 4:30 बजे से शाम 6:00 बजे के बीच शुरू होता है जो दिन का 8 वां भाग है. यदि सूर्य सुबह 6 बजे उगता है और शाम 6 बजे अस्त होता है, तो हमें 12 घंटे को 8 से भाग देना होगा जो 12/8 बराबर 1.5 घंटे है. इसलिए राहुकाल दिन के आठवें भाग में शाम को पड़ता है. आप ऊपर दी गई तालिका का उल्लेख कर सकते हैं. स्थानीय समय के आधार पर राहुकाल का समय एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदल सकता है. इसलिए, स्थानीय पंचांग का उपयोग करना अनुकूल रहता है.