कुंभ राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का प्रभाव

साढ़े साती से तात्पर्य साढ़े सात साल की अवधि से है जिसमें शनि तीन राशियों, चंद्र राशि, और एक राशि चंद्रमा से पहले और एक उसके बाद में चलता है. साढ़े साती तब शुरू होती है जब शनि जन्म चंद्र राशि से बारहवीं राशि में प्रवेश करता है और तब समाप्त होता है जब शनि जन्म चंद्र राशि से दूसरी राशि छोड़ देता है. शनि को एक राशि को पार करने में लगभग ढाई साल लगते हैं जिसे शनि की ढैया कहा जाता है, इसलिए तीन राशियों को पार करने में लगभग साढ़े सात साल लगते हैं और इसीलिए इसे साढ़े साती के नाम से जाना जाता है.

कुंभ राशि के लिए साढ़े साती का फल

कुम्भ स्वयं शनि द्वारा शासित एक वायु राशि है इसलिए कुंभ राशि के जातकों के लिए साढ़े साती के परिणाम सहनीय होंगे. शनि अब चाहता है कि आप अपने पैसे पर नजर रखें. आपको अपनी आय के स्रोतों पर ध्यान देना चाहिए. आप समूह का हिस्सा बनाना पसंद कर सकते हैं लेकिन बहुत अधिक सामाजिक भागीदारी भी प्रगति के रास्ते में आ सकती है. आप भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकता है. आप अपने दिल की बात किसी और पर भरोसा करने वाले के रूप में सामने आएंगे.

इस समय के दौरान दूसरों पर निर्भरता से बचना होगा. स्वयं को मजबूत बना कर आगे बढ़ना होगा. शनि का असर चाहता है कि आप खुद पर पकड़ बनाएं. इस शनि की साढ़े साती अवधि के दौरान, कुंभ राशि को व्यावहारिक और स्वतंत्र होने और विशेषताओं के अनुरूप आगे बढ़ने की आवश्यकता है. अपनी भावनाओं को सीमित करने और जीवन को पटरी पर लाने की जरूरत है. कुंभ राशि का जातक उन्मुक्त एवं स्वतंत्रविचारहशील व्यक्तित्व रखता है. शनि का असर आने पर उसे जिम्मेदार होने की जरूरत होगी. 

कुंभ राशि के लिए पहला चरण 

कुंभ राशि के लिए शनि साढ़े साती का पहला चरण तब शुरू होता है जब शनि का गोचर जन्म के चंद्रमा से बारहवें घर में होता है, जिसका अर्थ है मकर. चूंकि मकर राशि पर भी शनि का शासन है, इसलिए पहला चरण आमतौर पर अच्छा होता है. यह कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन अगर व्यक्ति काफी मेहनत करते हैं, तो सफलता के कदम चूम पाएंगे. इस दौरान छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं बनी रह सकती हैं.  इस समय के दौरान व्यक्ति को अपनी इच्छाओं पर भी नियंत्रण रखने की आवश्यकता होती है.

व्यक्ति यदि वफादार और जिम्मेदार बन कर काम करता है तो बेहतर परिणाम पाता है. इस समय पर व्यक्ति भावुक, न्यायप्रिय और निष्पक्ष भी बनता है. सामाजिक कार्यों में भी शामिल हो सकता है और कई तरह की कल्याणकारी गतिविधों में शामिल होता है. इस समय पर जरुरी होता है कि एक बेहतर जीवन प्राप्त करने की दिशा में काम किया जाए. नई चीजें सीखने और नए अनुभव हासिल करने की इच्छा भी होती है. इस पहले चरण के दौरान जमीन से लाभ भी मिल सकता है. व्यक्ति अपने लिए मकान का सुख प्राप्त कर सकता है या भूमि से लाभ पाने में सफल होता है.

कुंभ राशि के लिए साढे़साती का दूसरा चरण

जब शनि का गोचर कुंभ में ही  चंद्र राशि में होगा, तो साढ़े साती का दूसरा चरण कुंभ राशि से शुरू होगा. शनि वैराग्य है और चंद्रमा भावना और विचार है, इसलिए स्वाभाविक रूप से, एक घर में चंद्रमा और शनि का एक साथ होना व्यक्ति को और अधिक गहरा और जिज्ञासु बनाता है. यह थोड़ा भ्रमित करने वाला समय भी होता है लेकिन सकारात्मक रुप से सहायक भी बनता है. यहां शनि अपनी राशि में होता है. इस चरण के दौरान व्यक्ति के प्रयास और कड़ी मेहनत रंग लाती है. राजनीति और लोक प्रशासन में आपको प्रसिद्धि मिल सकती है.सरकारी क्षेत्र में भी व्यक्ति को अवसर मिल सकते हैं. अपने कार्यक्षेत्र में वह नाम पाता है. इस दौरान सामाजिक कार्य करने में वह रुचि रख सकता है. व्यवसाय में कुछ नई चीजों की शुरुआत के लिए ये समय काफी बेहतर होता है. इस समय व्यस्तता अधिक हो सकती है. किसी न किसी कारण से काम का दबाव भी अधिक रह सकता है जिसके कारण मानसिक तनाव भी बनता है. 

कुंभ राशि  तीसरा चरण

इस तीसरे चरण के दौरान कुंभ शनि की साढ़े साती का प्रभाव तटस्थ रहने वाला हो सकता है क्योंकि शनि अब मीन राशि में है, जिस पर बृहस्पति का शासन है, जो शनि के साथ औसत संबंध भी बनाता है. इस समय व्यक्ति कुछ आध्यात्मिक क्षेत्र में रुझान दिखा सकता है. ध्यान, योग या अन्य प्रकार की प्राकृतिक चीजों की ओर जा सकता है. अध्यात्म की ओर काम कर सकता है. यात्रा करना और नवीन स्थानों का पता लगाने की इच्छा भी अधिक हो सकती है. इस दौरान व्यक्ति स्वभाव से कुछ काफी विनम्र, जानकार और व्यवहार कुशल बन सकता है. जीवन के कुछ क्षेत्रों में उपलब्धियों को प्राप्त करने की इच्छा भी बलवती होती है. अपने तरीके से तार्किक और वैज्ञानिक बनते हैं. वफादार व्यक्ति बनता है ओर अपनी बोलचाल के द्वारा लोगों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की सफल कोशिशें भी करता है. 

कुम्भ शनि की मूल त्रिकोण राशि है, इसलिए शनि यहां अधिक खराब फल नहीं देता है. लेकिम  कुंडली के जिन क्षेत्रों पर शनि की दृष्टि होगी, उससे संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि शनि की दृष्टि कभी भी शुभ फल नहीं देती है. शनि यदि किसी भाव से अपने भाव को देखता भी है तो वह नकारात्मक प्रभाव डालता है. इसलिए शनि का असर मिला जुला होगा. कुम्भ राशि वालों को स्वास्थ्य, कर्ज, शत्रु, अत्यधिक खर्चे और कोर्ट-कचहरी के मामलों में परेशानी का सामना करना पड़ा था. ये सभी समस्याएं साढ़े साती के दूसरे चरण में समाप्त हो जाएंगी, जो कुंभ राशि के लोगों के लिए अच्छी खबर है. लेकिन शनि की तीसरी दृष्टि चंद्रमा से तीसरे भाव पर होगी. परिणामस्वरूप जातक को छोटी यात्राओं में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. काम को लेकर भागदौड़ अधिक रहेगी. स्वास्थ्य सामान्य तौर पर पहले से बेहतर रहेगा, लेकिन अत्यधिक भागदौड़ से शारीरिक क्षमता में कमी आएगी. थकान और सुस्ती अधिक रहेगी.