आपकी कुंडली के योग पूरा करेंगे घर का सपना

घर खरीदने का योग कब होगा आपके लिए पूरा

घर खरीदने की इच्छा सभी के दिल में होती है, मन में व्यक्ति के विचार अपने आशियाने की इच्छा को दिखाने वाले होते हैं. इस दुनिया में हर व्यक्ति घर का मालिक होने या संपत्ति का मालिक होने की इच्छा रखता है. यह वास्तव में कई लोगों के जीवन के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक बन जाता है. पशु पक्षियों में भी अपने घर के स्थान की इच्छा देखी जा सकती है. अब घर की इच्छा कब होगी पूरी या हम अपना घर कब खरीद सकते हैं इन सभी बातों को जानने में ज्योतिष का विशेष योगदान रहा है. प्राचीन ऋषियों ने इन चीजों की गणना के द्वारा आगे बढ़ना और सटीक रुप से अनुमान लगाना संभव हो पाता है. 

व्यक्ति के अपने में घर के निर्माण को लेकर समय को जान सकते हैं. अपनी संपत्ति किस रुप में प्राप्त होगी, घर कैसे बना पाएंगे. पैतृक संपत्ति से घर की प्राप्ति होना या अन्य प्रकार के कार्यों द्वारा अपना घर बना लेना काफी महत्वपूर्ण होता है. वास्तविक रुप में घर की तलाश कभी पूरी हो भी पाएगी या नहीं हो पाएगी इस बात को भी ज्योतिष में पुर्ण रुप से जाना जा सकता है. कुछ ऐसे हैं जो पुश्तैनी संपत्ति हासिल करते हैं, जबकि कुछ जीवन भर घर के लिए भटकते रहते हैं. किसी के पास एक घर है, तो किसी के पास अनेक होते हैं . चीजों को खुद हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने और अपने नाम पर संपत्ति रखने के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता भी हो सकती है. जन्म कुंडली के जिस भाव में कोई ग्रह हो, तो उसमें बहुत अधिक ऊर्जा का प्रयोग करते हैं. जन्म कुंडली में घर खरीदने के लिए कौन से ग्रह शुभ हो सकते हैं जो घर और संपत्ति खरीदने की संभावनाओं को निर्धारित करते हैं?

घर के सुख में वर्ग कुंडलियों का योगदान 

जन्म कुण्डली, नवांश कुण्डली और चतुर्थांश कुण्डली में मकान या संपत्ति प्राप्त करने के सभी योगों को भी देखा या आंका जाना चाहिए. यदि तीनों कुंडलियों में भूमि अधिग्रहण के योग प्रबल हों तब व्यक्ति जीवन में संपत्ति खरीदने में सक्षम होता है या घर को प्राप्त कर सकता है. यदि सभी कुंडलियों में घर खरीदने के योग मजबूत नहीं हैं तो व्यक्ति को जमीन खरीदने या प्राप्त करने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

कुंडली में संपत्ति खरीदने के भाव 

ज्योतिष में कुंडली में कुछ भाव स्थान ऎसे होते हैं जो आपकी संपत्ति के संबंध में निम्नलिखित संभावनाओं के लिए विशेष रुप से उत्तरदायी होते हैं. अचल और चल संपत्ति का न्याय करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में चौथा और दूसरा भाव मुख्य घर होता है. चौथा घर संपत्ति, वाहन, गृह जीवन, वाहन, स्व और पैतृक संपत्ति, सामान्य सुख का भाव होता है, मुख्य रूप से यह संपत्ति का घर है. शनि ग्रह है जो पुराने घरों और कृषि भूमि को प्रदान करने वाला कारक माना जाता है. शुक्र ग्रह फ्लैट और व्यावसायिक संपत्ति का कारक बनता है. 

दूसरा भाव यह प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली में धन के घर को दर्शाता है. यह भी एक सच्चाई है कि उचित योजना के बिना कोई भी संपत्ति नहीं खरीद सकता है. इसलिए जन्म कुंडली में द्वितीय भाव का वादा देखना आवश्यक है.

चतुर्थ भाव यह किसी भी प्रकार की संपत्ति, बंधु-बंध, सुख और वाहन का भाव है. इस प्रकार, घर की स्थिति को सही ढंग से आंका जाना चाहिए ताकि जातक के जीवन में उसमें स्थित ग्रहों के संबंध में भू-संपत्ति का आकलन किया जा सके.

ग्यारहवां भाव लाभ का स्थान दिखाता है और इच्छाओं की पूर्ति का मुख्य स्थान होता है. यह वह भाव है जो ये तय करता है कि आपको अपने घर का सुख मिलेगा या नहीं. अगर चतुर्थ भाव का अधिपति लग्न के अधिपति के साथ हो और छठे भाव, आठवें भाव या बारहवें भाव में होता है, तो जातक को सरकारी कार्रवाई के कारण अपनी संपत्ति का नुकसान हो सकता है. यदि चतुर्थ भाव का स्वामी अष्टम भाव में पीड़ित अवस्था में स्थित हो तो व्यक्ति को अपनी संपत्ति का नुकसान हो सकता है. यदि चतुर्थ भाव का स्वामी सूर्य के साथ होता है और कमजोर स्थिति में होता है, तो व्यक्ति सरकार के हस्तक्षेप के कारण अपना घर खो सकता है.

अपना घर या संपत्ति खरीदने का सही समय

राशि में स्थित ग्रहों की स्थिति यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति का अपना घर होगा या नहीं. लेकिन जब कोई व्यक्ति अपना घर खरीदेगा, तो यह केवल भाव ग्रह दशा एवं अंतरदशा अवधि के आधार पर ही निर्धारित किया जा सकता है. कुंडली में ग्रहों की महा दशा और अंतर दशा के रूप में चौथे भाव के स्वामी, दूसरे भाव के स्वामी,  एकादश भाव के स्वामी, नवम भाव के स्वामी और दशम भाव के स्वामियों की दशा स्थिति जब मिलती है और गोचर में जब ये भाव जागृत होते हैं तो उस अवधि में व्यक्ति को घर या संपत्ति की प्राप्ति होती है. 

जब कुंडली में ग्रहों एवं भावों के अनुसार संपत्ति खरीदने या बेचने का सही समय जानने की बात आती है, तो ज्योतिष में इसके लिए बहुत सारी शर्तें होती है. अपने स्वयं के घर के साथ-साथ संपत्ति होने की संभावना जानने के लिए विभिन्न ग्रंथ बहुत सारी तकनीक को दर्शाते हैं. चतुर्थ भाव में स्थित शुभ ग्रह कम उम्र में घर देते हैं लेकिन मध्यम आयु में अशुभ ग्रह परोपकारी हो जाते हैं. इसी प्रकार शुक्र एक आधुनिक सुविधाओं से निर्मित घर देता है तो शनि से कुछ पुरानी वास्तु स्थिति का संकेत भी मिलता है.