सिंह लग्न के लिए मारकेश और उसका फल

सिंह लग्न के लिए दूसरा और सातवां भाव मारक भाव कहलाता है. सिंह लग्न के लिए, द्वितीय भाव में पड़ने वाली राशि कन्या और सातवें भाव में पड़ने वाली कुंभ राशि मारकेश का स्वामित्व पाती है. कन्या राशि का स्वामी बुध और कुंभ राशि का स्वामी शनि मारकेश बनता है. 

मारक भाव में ग्रह 

इसी प्रकार यदि किसी के दूसरे भाव में कन्या राशि और सप्तम भाव में कुंभ राशि में यदि कोई ग्रह उपस्थित हो तो उक्त ग्रह भी मारक ग्रह माने जाते हैं. उनकी ग्रहों की दशाएं भी मारक भावों को सक्रिय करने वाली होगी. 

मारक ग्रह की प्रकृति प्रभाव

मारक ग्रह बुध एक सौम्य एवं शुभदायक ग्रह होता है. शनि-राहु दोनों ही अशुभ ग्रह होते हैं तो बुध की तुलना में शनि-राहु ग्रह व्यक्ति के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकते हैं. इसके साथ ही अन्य भावों के स्वामी पर भी ध्यान देना होता है, जैसे कि सिंह राशि के लिए बुध ग्रह और शनि ग्रह अन्य किन भावों के स्वामी बनते हैं. 

बुध एकादश भाव का स्वामी भी होता है ओर 11वें भाव में बुध की मिथुन राशि आती है. सिंह लग्न के लिए बुध को लाभ भाव का ग्रह माना जाता है क्योंकि दूसरा घर और 11वां घर दोनों ही धन से संबंधित हैं. वहीं 11वां भाव रोग के छठे भाव का भाव भावम भी होता है. लेकिन इससे भी बड़ी समस्या यह है कि शनि न केवल प्राकृतिक पापी और मारक ग्रह है बल्कि शनि एक खराब स्थान का स्वामी बनता है जो कि व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य के मुद्दों से प्रभावित होने वाले छठे घर का स्वामित्व पाता है. छठे घर में शनि की मकर राशि आती है. तो, शनि वास्तव में सिंह राशि के लिए कुछ अधिक परेशानी पैदा कर सकता है. शनि की तुलना में सिंह लग्न के लिए बुध तुलनात्मक रूप से एक बेहतर ग्रह माना जा सकता है.

मारक भावों में ग्रहों की प्रकृति 

इसी प्रकार, हमें उन ग्रहों की प्रकृति को देखने की जरूरत है जो मारक घरों में हैं. जैसे, यदि वे प्राकृतिक रुप से शुभदक हैं या फिर हानिकारक हैं. किसी दु:स्थान के स्वामी हैं इत्यादि बातें ध्यान में रखनी होती हैं. ग्रह जितने अधिक पापी स्वभाव रखते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि उनकी दशाएं व्यक्ति के लिए कठिन हो सकती हैं. व्यक्ति को इन दशाओं के दौरान अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. .

मारक स्वामी का असर 

मारक स्वामी के असर को जानने के लिए जरुरी होता है, ये सझना कि सिंह लग्न के लिए बुध-शनि-राहु कुण्डली में किस स्थान एवं कौन सी राशि में स्थित हैं, क्योंकि कुंडली में यह स्थिति ग्रह की गरिमा और शक्ति का निर्णय करने वाली होती है. 

मारकेश बुध ग्रह का प्रभाव  - बुध ग्रह यदि कुंडली में स्वयं की राशि में उपस्थित हो, मित्र राशि स्थान में हो, तटस्थ स्थिति में हो, मूल त्रिकोण राशि में हो या उच्च राशि में स्थित है इन सभी बातों को बुध की स्थिति के लिए अनुकूल माना जाता है. इनके होने का अर्थ है कि व्यक्ति मारक दशा समय कुछ सकारात्मकता स्थिति को प्राप्त कर सकता है. इस दशा के दौरान विशेष रूप से कैरियर, अधिकार और धन के मामलों में बुध की लाभकारी प्रकृत्ति व्यक्ति को लाभ प्रदान करने में भी सहायक हो सकती है. इसके विपरित यदि बुध शत्रु राशि में हो, नीच स्थिति में हो, या पाप कर्तरी में हो तो ऎसे में ये स्थिति ग्रह को और कमजोर करती है. यह स्थिति दर्शाती है कि व्यक्ति को इस दशा के दौरान बहुत अधिक जागरूकता और सावधानी की आवश्यकता होगी. 

उदाहरण के लिए, यदि बुध कुंडली के चतुर्थ भाव में वृश्चिक में है तो बुध दूसरे घर में कन्या राशि को सक्रिय करेगा. बुध शत्रु राशि में है, ऎसे में यह इस दशा के दौरान स्वयं या घर या मां आदि के लिए चुनौतियां ला सकता है. इसका मतलब है कि व्यक्ति को स्वास्थ्य मामलों के बारे में अतिरिक्त सावधान रहने की जरूरत होगी.

मारकेश शनि ग्रह प्रभाव  - शनि के साथ फिर से यह आवश्यक है कि वह कुंडली में स्वयं की राशि में, मित्र राशि में, तटस्थ स्थिति में, मूल त्रिकोण या उच्च राशि में हो तो ये स्थिति कुछ सहायक बनेगी. लेकिन शनि पहले से ही सबसे अधिक पापी ग्रह है, ऎसे में शनि का और अधिक खराब होना, गरिमा खोना व्यक्ति के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है. समस्या अधिक तब होगी जब शनि शत्रु स्थान राशि में, नीच अवस्था में, दुर्बल स्थिति में या पाप कर्तरी में हो तब परेशानी बहुत ज्यादा होगी. शनि को सक्रिय करने वाली दशाओं के दौरान व्यक्ति को बहुत सतर्क रहने की जरूरत होगी. 

राहु कभी किसी राशि में उच्च का या नीच का नहीं होता है. राहु के साथ, हमें यह देखने की जरूरत है कि राहु एक शुभ ग्रह या अशुभ ग्रह की राशि में है और फिर उस शुभ या अशुभ ग्रह को कुंडली में कैसे रखा गया है. राहु का शुभ ग्रह की राशि में होना बेहतर है जैसे कि वृष राशि में या मीन राशि में और फिर राशि स्वामी भी अच्छी तरह से स्थित हो. समस्या तब उत्पन्न हो सकती है जब राहु वृश्चिक में या सिंह में हो और उसके स्वामी अच्छी स्थिति में न हों. 

मारक भावों में ग्रहों की स्थिति 

इसी तरह, मारक घरों में स्थित ग्रहों की शक्ति एवं प्रभाव को देखने की आवश्यकता होती है. अच्छे ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को बिना किसी नुकसान के मारक दशा के माध्यम से आगे बढ़ते रहने में सहायक होता है. लेकिन अगर ग्रह खराब है तो अतिरिक्त सजगता की जरूरत होती है. उदाहरण के लिए, दूसरे घर में कन्या राशि में स्थिति सूर्य ज्यादा चिंता का विषय नहीं है, लेकिन यदि  दूसरे में शुक्र होगा तो वह नीच का होगा. तब व्यक्ति को मारक दशा के दौरान अधिक सतर्क रहने की जरूरत होगी. 

दशा मारक भाव को कैसे सक्रिय करती है 

सिंह लग्न के लिए मारक भाव के स्वामी बुध या शनि किसी भी ग्रह की दशा के दौरान सक्रिय हो सकते हैं जो दूसरे भाव-कन्या राशि या सातवें भाव - कुंभ राशि में है. साथ ही, राशि और नक्षत्र के स्वामी की दशा जिसमें बुध या शनि स्थित है, वह भी मारक दशा को सक्रिय कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, यदि शनि तुला राशि में चित्रा नक्षत्र में है तो शुक्र दशा या मंगल दशा भी शनि और मारक घरों को सक्रिय कर सकती है. इसी तरह, मारक भावोम में ग्रहों की शक्ति को देखना चाहिए. अच्छे ग्रह की दशा में व्यक्ति बिना किसी नुकसान के मारक दशा के माध्यम से आगे बढ़ेगा. लेकिन अगर ग्रह खराब है तो बहुत ध्यान रखने की जरूरत होगी. 

मारक ग्रहों का प्रभाव

दूसरा भाव और सातवां भाव पारिवारिक जीवन, रिश्ते या धन के मामलों से संबंधित होता है. तो ये चीजें व्यक्ति के लिए कष्टदायक स्थिति ला सकती हैं. बुध व्यवसाय, भाई-बहन, चचेरे भाई, दोस्तों और उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जिनके साथ हम नियमित रूप से संवाद करते हैं, ये सभी व्यक्ति के लिए मृत्युतुल्य कष्ट की स्थिति ला सकते हैं. बुध हमारे हितों, कौशल, का भी प्रतिनिधित्व करता है, व्यक्ति अपने हितों में इतना अधिक शामिल हो सकता है कि उसके पास जीवन में किसी भी चीज़ या किसी और के लिए समय नहीं हो सकता है. यह दूसरों के लिए उसकी सामाजिक या प्रतीकात्मक मृत्यु के समान है.