रिश्तों में जुड़ाव और अलगाव के लिए ग्रहों का असर

रिश्तों और प्यार में नवग्रहों की भूमिका कैसे करती है सहायता 

जन्म कुंडली में रिश्तों एवं प्रेम कि स्थिति को जानने के लिए प्रत्येक ग्रह की विशेष भूमिका होती है. किसी व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में ग्रहों की स्थिति का जो नक्शा होता है, वही उसकी कुंडली के रुप में उसे प्राप्त होता है. कुंडली में मौजूद ग्रहों एवं भावों इत्यादि के द्वारा एक व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जाना जा सकता है. प्यार और रिश्ते जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं और स्वाभाविक रूप सी इच्छाएं भी इन्हीं के आस पास घूमती दिखाई देती हैं. कुंडली में इसके बारे में बहुत सारी जानकारी प्राप्त हो सकती है. किसी व्यक्ति की कुंडली का अध्ययन करके व्यक्ति के रिश्तों के अच्छे या बुरे पहलूओं समझा जा सकता है. रिश्तों में कौन साथ रिश्ता उनके लिए सबसे अधिक पास होगा या कौन सा सबसे दूर होगा यह सब कुछ भाव में मौजूद ग्रहों की स्थिति से पता लगाया जा सकता है. 

रिश्तों को प्रभावित करने वाले ग्रह

रिश्तों को नियंत्रित करने वाले या उन को अपने अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करने वाले ग्रहों में बृहस्पति, शुक्र, चंद्रमा का विशेष स्थान होता है. इसके अलावा द्वितीय भाव, द्वितिय भाव का स्वामी और उससे जुड़े अन्य ग्रह, चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव का स्वामी, चतुर्थ भाव और भावेश से जुड़े ग्रह, तीसरे भाव, तृतीय भाव का स्वामी तृतीय भाव और भावेश से जुड़े ग्रह, पंचम भाव से जुड़े ग्रह, पंचम भाव के स्वामी, सप्तम भाव के स्वामी और सप्तम भाव से जुड़े ग्रह भी मायने रखते हैं. ग्यारहवें घर के स्वामी, ग्यारहवें घर से जुड़े ग्रह, . जब पहले, पांचवें और ग्यारहवें भाव के साथ-साथ शुक्र के बीच कोई संबंध होगा तो प्रेम संबंध होंगे. बृहस्पति या कोई अन्य लाभकारी संबंध रिश्ते को विकसित और लंबे समय तक चलने वाला बनाता है. छठे, आठवें या बारहवें भाव या पाप ग्रह से कोई भी संबंध बनेगा ग्रहों का तब यह रिश्तों को छोटा कर देगा.

बृहस्पति

बृहस्पति किसी भी संबंध घर से जुड़ने पर प्रेम संबंध को विस्तार देता है. यह रिश्तों में अधिकार एवं अपनत्व को लाता है. एक लम्बा रिश्ता इसके द्वारा बनता है. यह वह ग्रह है जो शुद्ध प्रेम को नियंत्रित करता है जो बिना शर्त के पास के पास होता है. जब बृहस्पति प्रेम में अच्छे रुप से शामिल नहीं होता है, तो व्यक्ति के ऐसे रिश्ते होते हैं जो अधिक भौतिकवादी होते हैं. इन रिश्तो में लालच, नियंत्रण की भावना एकाधिकार जताने का भाव अधिक दिखाई देता है. 

शुक्र ग्रह

शुक्र प्रेम, रिश्तों और रोमांस का कारक ग्रह होता है. यह भावनाओं को कंट्रोल करने वाला ग्रह है. किसी व्यक्ति के प्रेम जीवन का एक शुभ अच्छा विचार प्राप्त करने के लिए शुक्र और उससे जुड़े अन्य ग्रहों का अध्ययन किया जाता है. अगर कुंडली में शुक्र प्रथम भाव, पंचम भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, दशम या एकादश भाव में हो तो प्रेम संबंधों की ओर रुझान होता है. मंगल या राहु से जुड़ा शुक्र व्यक्ति को समाज की सोच, परंपरा या प्रथाओं की परवाह किए बिना उस व्यक्ति से शादी करने के लिए बल्कि भावुक, जुनूनी, अव्यवहारिक और जिद्दी बनाता है. राहु रिश्तों की गहरी इच्छा पैदा करता है जबकि मंगल व्यक्ति को उनके प्रति भावुक और फैसला लेने के लिए मजबूत बनाता है. जन्म कुंडली या नवांश वर्ग कुंडली में मंगल और शुक्र के बीच यदि कोई युति संबंध है तो इसका असर कई रिश्तों को दर्शाता है.

अगर शुक्र अस्त या नीच का है तो इसके कारण रिश्ते में मुश्किलें पैदा हो सकती हैं. व्यक्ति प्यार में पड़ जाता है लेकिन प्यार का पूरा होना कठिन होता है. व्यक्ति अच्छे सुख एवं आनंद के रिश्तों को तरसता है. व्यक्ति किसी के प्रति आकर्षित हो सकता है लेकिन यह कभी रिश्ता नहीं बनता. यदि शुक्र का संबंध पाप ग्रहों से भी बन रहा है या छठे, आठवें या बारहवें भाव के साथ कुछ संबंध बन रहा है तो इस स्थिति में व्यक्ति जो संबंध बनाता है वह लंबे समय तक नहीं रोक पाता है. यदि सूर्य से शुक्र प्रभावित हो रहा है तो रिश्ते में व्यक्ति को अहंकार या अभिमान के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और जिद के चलते कई बार रिश्ते का अंत होता है.

चंद्रमा 

चंद्रमा तो हर प्रकार की भावनाओं से जुड़ा हुआ होता है. व्यक्ति के मन का प्रतीक बनता है. स्वाभाविक रूप से, जब मन का झुकाव दिल के मामलों की ओर होता है, तो जीवन में रोमांस की ओर रुझान अधिक होता है. चंद्रमा की स्थिति व्यक्ति के विचारों के बारे में बताती है. मंगल या शुक्र से प्रभावित चंद्रमा दिखाएगा कि मन में रोमांस में वह कितना भावुक होगा है. पंचम, सप्तम या द्वादश में चंद्रमा यह भी दर्शाता है कि व्यक्ति संबंधों को अधिक विचारशील बना सकता है. यही चंद्रमा यदि चतुर्थ भाव में हो अच्छी स्थिति में तब माता का स्नेह भरपूर देता है. पर यदि यह पीड़ा में होगा तब माता का सुख कम हो सकता है. भावनाएं भी अनिय्म्त्रित रह सकती हैं. रिश्तों को लेकर मानसिक चिंताएं बढ़ सकती हैं. 

जन्म कुंडली के विभिन्न भाव और उनका असर 

जन्म कुंडली में अधिकांश भाव रिश्तों में माता-पिता, भाई बहनों, जीवन साथी, प्रेमी एवं अनु संबंधों के बारे में पूर्ण रुप से बता सकते हैं. इसमें भाई बहनों के लिए तीसरा गयारहवां भाव कम करता है, मात के लिए चौथा भाव और पिता के लिए नवम भाव, दशम भाव काम करता है. पंचम भाव प्रेम और रोमांस का घर होता है. पंचम भाव वह भाव भी होता है जो व्यक्ति के निर्णय को प्रभावित करता है. इसलिए, यदि पंचम भाव मजबूत है और उसके अच्छे परिणाम होते हैं तो यह व्यक्ति को रिश्तों में अच्छा निर्णय देगा. 

कोई भी अशुभ प्रभाव विशेष रूप से शनि या मंगल द्वारा, इन सभी ग्रहों पर असर स्थिति को कुछ कमजोर अवश्य कर देता है. सप्तम भाव ​​विवाह का घर है. रिश्ते और प्रेम संबंध हमेशा विवाह में तब्दील नहीं होते हैं और यहीं पर सप्तम भाव एक भूमिका निभाता है. यदि पंचम और सप्तम भाव में संबंध हो तो संबंध विवाह बनने के योग बनते हैं. जब वही योग नवमांश कुंडली में नहीं बन रहा हो, तो यह आसानी से फलित नहीं हो पाता है. ग्यारहवां भाव इच्छा पूर्ति का भाव भी है. इसलिए, किसी भी रिश्ते को पूरा करने की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए यह घर बहुत महत्वपूर्ण है.