जैमिनी ज्योतिष के अमात्यकारक ग्रह से जानें अपने लिए सही करियर का चुनाव
ज्योतिष शास्त्र की एक शाखा जैमिनी ज्योतिष भी जिसे ऋषि जैमिनी के नाम से ही जाना जाता है. जैमीनी ज्योतिष अनुसार अमात्यकारक ग्रह कुंडली में अहम स्थान रखता है. सभी नव ग्रहों में किसी न किसी को अमात्यकारक का स्थान प्राप्त होता है. कुंडली में जो भी ग्रह अमात्यकारक बनता है उसकी व्यक्ति के जीवन में कर्म क्षेत्र की विशेषता होती है. कुंडली के सभी 12 भावों में अमात्यकारक का असर पड़ता है तथा करियर और व्यवसाय में अमात्यकारक की भूमिका काफी निर्णायक रुप से असर डालती है.
करियर में अमात्यकारक की भूमिका को समझने से पहले, अमात्यकारक ग्रह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को पहले देखा जाता है. सभी नौ ग्रह अपने अपने कारक तत्वों के आधार पर असर दिखाते है. जैसे मंगल साहस को अग्नि कर्म को दर्शाता है, चंद्रमा मन का जल तत्व का कारक बनता है. ज्योतिष में, चर तत्व एवं स्थिर तत्व का विशेष महत्व होता है. ग्रह जिन चीजों का संकेत देता है, वह तो सदैव ही एक होगा बदलेगा नहीं लेकिन अस्थिर तत्व में, प्रत्येक ग्रह जो चीजें दर्शाता है, वे हर कुंडली के साथ बदल सकती है. उदाहरण के लिए सूर्य आत्मा का प्रतीक है जो इसके स्थिर तत्व को दिखाता है लेकिन जन्म कुंडली में सूर्य की उच्चतम डिग्री है, तब वह आत्मा या आत्मा का प्रतीक होगा. इन कारकों को चर कारक के नाम से जाना जाता है. चर का अर्थ है चलायमान एवं गति.
इस तरह से जन्म कुंडली में उच्च डिग्री वाले ग्रह को आत्मकारक ग्रह के रूप में जाना जाता है. यह कुंडली में प्रमुख स्थान रखता है. आत्मकारक के बाद जो ग्रह उससे कम डिग्री का होता है वह अमात्यकारक ग्रह के रूप में जाना जाता है ऎसे ही सभी ग्रहों का डिग्री अनुसार निर्धारण किया जाता है.
अमात्यकारक ग्रह का महत्व
जैमीनी ज्योतिष अनुसार आत्मकारक ग्रह को राजा माना जाता है और अमात्यकारक ग्रह को कुंडली में रानी एवं मंत्री कहा जाता है.अमात्य को एक प्रकार से मंत्री भी कहा जा सकता है और वह राजा के बहुत करीब होता है और जिसकी सलाह राजा लेना पसंद भी करता है. मंत्री हमेशा राजा को सुझाव देता है और राजा मंत्री के माध्यम से उसके आदेशों का पालन करता है. तो यह वह ग्रह है जिसके माध्यम से आत्मकारक अपनी इच्छा पूरी करने का प्रयास करता है. यही कारण है कि करियर और प्रोफेशन को निर्धारित करने की बात आती है तो यह बहुत महत्वपूर्ण है.
इस प्रकार आत्मकारक और अमात्यकारक जब एक साथ योग बनाते हैं तो ये स्थिति राज योग का निर्माण करती है. यदि यह मजबूत होगी शुभ ग्रहों के मध्य होगी, तो यह आत्मा का अनुसरण करने वाली भी होगी. इसकी तुलना जन्म कुंडली के द्वितीय भाव एवं दशम भाव के स्वामी के रुप में भी हो सकती है. व्यक्ति के जीवन निर्वाह के लिए द्वितीयेश और दशमेश का बलवान होना बहुत महत्वपूर्ण होता है. यह किसी भी प्रकार के धन लाभ एवं प्रसिद्धि सम्मान हेतु बहुत महत्वपूर्ण होता है.
दशमांश कुंडली में अमात्यकारक का स्थान
कैरियर के बेहतर निर्णय के लिए D10 चार्ट " जिसे दशमांश वर्ग कुंडली के रुप में जाना जाता है" को देखना आवश्यक होता है. इस वर्ग कुंडली में अमात्यकारक ग्रह का महत्व बहुत अधिक होता है. चर दशा के दौरान इस या अमात्यकारक ग्रह द्वारा प्रभावित राशियों की समय अवधि कैरियर की प्रगति के लिए अनुकूल अवधि के रुप में जानी जाती है.
अमात्यकारक ग्रह को दशमांश में देख लेने के बाद लग्न कुंडली उसमें मौजूद दशम भाव के स्वामी, और नवांश कुंडली में आत्मकारक ग्रह की स्थिति, नवांश कुंडली में लग्न कुंडली का दशमेश किस स्थिति में है देखना आवश्यक होता है. नवांश कुडली ग्रहों के बल को दर्शाती है.
अमात्यकारक ग्रह द्वारा करियर चुनाव
अमात्यकारक सूर्य - जब सूर्य कुंडली में अमात्यकारक बन जाता है, तो यह आत्मकारक के बाद दूसरे स्थान पर होता है. सूर्य सरकार, प्रशासन, स्वाभिमान, शक्ति और नेतृत्व को दर्शाता है. कुंडली में अमात्यकारक सूर्य का असर काफी मान सम्मान दिलाने वाला होगा. व्यक्ति के करियर एवं व्यवसाय को तय करने में अमात्यकारक सूर्य की भूमिका विशेष होगी. सूर्य के प्रभाव द्वारा सरकारी काम, प्रशासनिक अधिकारी, मजिस्ट्रेट, डॉक्टर, राजनेता, शिक्षक आदि के रूप में करियर मिल सकता है.
अमात्यकारक चंद्रमा - चंद्रमा अमात्यकारक होने पर करियर एवं व्यवसाय इसी के द्वारा अधिक प्रभावित होगा. चंद्रमा मन, जल का प्रतिनिधित्व करता है. तो अमात्यकारक चंद्रमा मानसिक कार्य, दार्शनिक, आध्यात्मिक व्यक्ति, तरल पदार्थ, जलीय क्षेत्र से जुड़े व्यापार आदि से संबंधित करियर देगा. चंद्रमा महिलाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए अमात्यकारक चंद्रमा महिलाओं के उत्पाद से संबंधित व्यवसाय भी दे सकता है.
अमात्यकारक मंगल - जब कुंडली में अमात्यकारक मंगल होता है, तो व्यक्ति शक्ति एवं सामर्थ्य से जुड़े काम कर सकता है. व्यक्ति किसी भी प्रकार के सैन्य कार्य के लिए सबसे अच्छा होता है. ग्रहों में मंगल सेना प्रमुख होता है. यह ऊर्जा से भरपूर है. इसलिए अमात्यकारक मंगल अपनी ऊर्जा को करियर में दिखाता है. अमात्यकारक मंगल वाले व्यक्ति को इंजीनियरिंग, पुलिस, सेना, सर्जन, रिसर्ज आदि के कामों में शामिल होने का अवसर अधिक मिल सकता है.
अमात्यकारक बुध - अमात्यकारक बुध के होने पर व्यक्ति को व्यवसाय के क्षेत्र में अच्छी सफलता मिल सकती है क्योंकि बुध एक व्यापारी भी है. इसके अलावा शिक्षा, शिक्षक, क्लर्क, लेखा परीक्षक आदि से संबंधित काम दे सकता है. बुध गणित और तार्किकता, विश्लेषणात्मक कौशल का ग्रह है. अत: यदि किसी व्यक्ति का बुध अमात्यकारक हो तथा उच्च स्थिति का हो तो वह व्यक्ति को एक अच्छा वकील, वैज्ञानिक आदि भी बन सकता है. यह संचार का ग्रह भी है. अत: अच्छे विपणन अधिकारियों पर भी अमात्यकारक बुध का प्रभाव होता है.
अमात्यकारक बृहस्पति - बृहस्पति के अमात्यकारक होने पर व्यक्ति का कार्यक्षेत्र इस से अधिक प्रभावित होता है. बृहस्पति ज्ञान, ज्ञान, धर्म आदि का ग्रह है. इसलिए अमात्यकारक बृहस्पति शिक्षकों, प्रोफेसरों, विद्वानों, धर्म कर्म करने वाले पंडित पुरोहित, ज्योतिषियों, धार्मिक नेताओं आदि से संबंधित का संकेत दे सकता है. बृहस्पति भी धन का प्रतीक है. अमात्यकारक बृहस्पति बैंकिंग से संबंधित काम भी दे सकता है.
अमात्यकारक शुक्र - शुक्र का अमात्यकारक होना करियर को काफी चमक-दमक से भी जोड़ सकता है क्योंकि अधिकांश भौतिकवादी चीजें जो हम करना चाहते हैं, वे शुक्र के नियंत्रण में होती हैं. अमात्यकारक शुक्र अभिनय, गायन और सभी प्रकार के रचनात्मक क्षेत्र से संबंधित काम देने वाला हो सकता है. यह वेब डिजाइनिंग, ग्राफिक्स डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग आदि से संबंधित करियर भी दे सकता है. कई बड़े राजनेताओं के चार्ट में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी आदि जैसे मजबूत अमात्यकारक शुक्र भी हैं.
अमात्यकारक शनि - शनि कड़ी मेहनत, समाज की सेवा आदि से संबंधित कार्यों को दर्शाता है. इसलिए जब अमात्यकारक शनि मजबूत होता है, तो यह व्यक्ति को क्लर्क, सरकारी सेवक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि बना सकता है. यह न्याय का ग्रह भी है, तो अमात्यकारक शनि वाला व्यक्ति अच्छा न्यायिक अधिकारी या न्यायाधीश बन सकता है. अमात्यकारक शनि जन नेता का संकेत भी देता है.