वैदिक ज्योतिष में सेहत से जुड़े मुख्य कारक

सेहत से जुड़े कई कारकों का वर्णन वैदिक ज्योतिष में मिलता है. सेहत जीवन का एक महत्वपुर्ण मुद्दा है जिसे लेकर कइ बर हम सजग तो कई बार लापरवाह भी दिखाई देते हैं किंतु कुल मिलाकर सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अपनी कोशिशों में रहता है. अपनी सेहत को बेहतर रखा जाए और हेल्थ को कैसे अपडेट रखें इसके लिए ग्रहों नक्षत्रों को समझना काफी सहायक बनता है. 

हम कभी नहीं जानते कि हमें अगले पल में क्या सामना करना है. अच्छी घटनाएं हमारी खुशियों को बढ़ाती हैं. चुनौतीपूर्ण घटनाएं हमें भ्रमित और दुखी कर देती हैं. चिकित्सा समस्याएं एक ऐसी चीज है जो हमें बहुत अधिक तनाव और धन हानि दे सकती है. स्वाभाविक रूप से, हम एक स्वस्थ जीवन चाहते हैं, और कभी-कभी हम खराब जीवन शैली के कारण अपने जीवन के साथ जोखिम उठाते हैं. वैदिक ज्योतिष शरीर को समझने का एक बेहतरीन तरीका है, और यह संभावित चिकित्सा दिक्कतों को भी बता सकता है. यह आपको यह भी बता सकता है कि आपके शरीर में ये रोग कब अधिक सक्रिय हो सकते हैं. यह एक प्राचीन विज्ञान है जो ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को देखकर लोगों की समस्याओं का समाधान करता है.

चिकित्सा ज्योतिष में रोग समय का निर्धारण 

चिकित्सा ज्योतिष की कई से सूत्र मौजूद हैं जिनकी सहायता से रोग का पता लगा सकते हैं और नुकसान को कम करने के लिए पर्याप्त उपाय कर सकते हैं. ज्योतिष ज्ञान समय पर रोग का पता लगाकर और उससे संबंधित उपाय करके सही समय पर सही सहायता प्रदान कर सकता है. कुंडली हमारे जीवन की सभी घटनाओं का विवरण दे सकती है, और यदि हम पहले से इसके प्रति सचेत हैं, तो हम आने वाली कई आपदाओं से बच सकते हैं. चिकित्सा ज्योतिष, ज्योतिष की एक शाखा है जो वर्षों से विकसित होती आई है. यह क्षेत्र स्वास्थ्य संबंधी मामलों से संबंधित है. यह कुंडली में राशियों और ग्रहों के परिवर्तन और गणना पर आधारित है. यह निर्धारित करना कि किसी व्यक्ति के जीवन में कोई रोग कब प्रवेश कर सकता है और उस व्यक्ति के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह चिकित्सा ज्योतिष के अंतर्गत आता है.

स्वास्थ्य की स्थिति की जांच के लिए पूर्ण राशि, कुंडली की जांच करना बहुत जरूरी है. इसलिए यह आसानी से कहा जा सकता है कि चिकित्सा ज्योतिष हमारे जीवन में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. इसमें रोग चक्र का एवं नक्षत्र विज्ञान का उपयोग विशेष रुप से होता है. 

कुंडली में छठा भाव बीमारी का प्रतिनिधित्व करता है. अष्टम भाव वातावरण में अचानक हुए बदलाव और जातक को किसी सर्जरी या मृत्यु का सामना करना पड़ता है या नहीं, जैसी बातों को  दर्शाता है. द्वादश अर्थात 12 वां भाव चिकित्सा मुद्दों के माध्यम से अस्पताल में भर्ती और परेशानी को दर्शाता है. छठे, आठवें और बारहवें भाव की दशा में शारीरिक समस्याएं आएंगी. फिर भी, कुंडली में लग्न से ज्ञात होता है की लग्न कितना मजबूत है या कमजोर फिर, छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी की दशा के दौरान शारीरिक परेशानिययों को आसानी से पकड़ा जा सकता है. 

ग्रह और उनका सेहत पर असर 

सूर्य 

हृदय, हड़्डी, जीवन शक्ति, दृष्टि और आंखों से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं दे सकता है. सूर्य खराब होने पर जातक का आत्म-सम्मान कम होगा और उसे अपने हृदय का ख्याल रखना होगा.

बुध

बुध विशेष रुप से जीभ, हाथ, बाल, फेफड़े और नाक से संबंधित समस्याएं दे सकता है. बुध तंत्रिकाओं को दिखाता है, इसलिए कमजोर बुध वाले व्यक्ति के लिए नर्वस ब्रेकडाउन से गुजरना स्वाभाविक है.

शुक्र

शुक्र के असर से आंतरिक अंग, त्वचा का रंग, अंडाशय, तंत्रिका तंत्र, फैलाव संबंधी समस्याएं परेशान कर सकती हैं. शुक्र शुक्राणु को इंगित करता है, इसलिए एक कमजोर शुक्र शुक्राणुओं की संख्या में कमी को दर्शा सकता है. 

मंगल ग्रह

बाहरी अंगों, सिरदर्द, यकृत, गतिशीलता और पाचन तंत्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं दिखाता है. एक खराब मंगल क्रोध के होने वाले रोग, रक्त और ऊर्जा की कमी को भी दर्शा सकता है.

बृहस्पति

रक्त परिसंचरण, कूल्हों, पैरों और जांघों से संबंधित समस्याएं दे सकता है. यदि गुरु खराब हो तो जातक को जीवन शैली संबंधी रोग हो सकते हैं.

शनि 

श्रवण, जोड़ों का दर्द, दांत और त्वचा की समस्याएं परेशान कर सकती हैं.  शनि हमेशा जोड़ों से संबंधित समस्याओं की ओर संकेत करता है. यदि शनि नीच का हो तो जातक को लंबे समय तक जोड़ों का दर्द रह सकता है.

राहु और केतु

यदि राहु खराब है, तो जातक को कई भ्रम होंगे, और केतु मानसिक रोग का संकेत देता है.जहर से होने वाले रोग और मानसिक रोग इन दोनों का परिणाम हो सकते हैं. .

जन्म कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव में ग्रहों की स्थिति को देखकर स्वास्थ्य का विश्लेषण कर सकते हैं. स्वास्थ्य की स्थिति देखने के लिए अन्य वर्ग कुंडली भी होती हैं उदाहरण के लिए द्रेष्काण कुंडली, छठे स्वामी की स्थिति हमारे शरीर के सबसे कमजोर स्थिति को दर्शाती है. इसलिए, चिकित्सा समस्या की पहचान करने के लिए छठे स्वामी की स्थान, स्थिति, दृष्टि और युति बहुत महत्वपूर्ण है. राहु केतु का असर जहां होता है वह भाव शरीर में कमजोर स्थिति को दर्शा सकता है. राहु केतु अक्ष में जो भी ग्रह और भाव आएंगे उनमें कुछ कमजोरियां होंगी. इन भावों और ग्रहों से संबंधित  शरीर के अंगों में कुछ कमजोरियां हो सकती हैं.

ज्योतिष शास्त्र न केवल शारीरिक समस्याओं के बारे में बल्कि भावनात्मक कमजोरी के बारे में भी बताता है. ज्योतिष को मनोविज्ञान के रास्ते से जोड़ कर मानसिक स्वास्थ्य को समझा जा सकता है. चंद्रमा मन का सूचक है, इसलिए चंद्रमा की स्थिति को देखकर हम समझ सकते हैं कि व्यक्ति कितना शांत है. हालांकि, यदि चंद्रमा किसी खराब ग्रह के साथ युति कर रहा है, तो जातक को भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अवसाद, सिज़ोफ्रेनिया और अन्य मानसिक रोगों का संकेत भी कमजोर चंद्रमा से मिलता है. ज्योतिष से घातक रोगों की पहचान की जा सकती है पर इसके लिए आवश्यक है गहन अध्ययन जिसके आधार पर ही उचित प्रकार से रोग को जान पाना संभव होता है.