चंद्रमा के उच्च अवस्था और नीच अवस्था के पीछे के ज्योतिषिय कारण

चंद्रमा की गति व्यक्ति के मन और स्वभाव को बहुत अधिक प्रभावित करती है. ज्योतिष अनुसार चंद्रमा का असर तेजी से पड़ता है. चंद्रमा किसी भी राशि में लगभग सवा दो दिन तक रहता है उसके पश्चात आगे बढ़ जाता है. चंद्रमा का यही गुण व्यक्ति के भीतर भी तीव्रता, परिवर्तन, मूड में होने वाले बदलाव को दिखाता है. चंद्रमा को वृश्चिक राशि में नीच अवस्था का कारक माना जाता है और उच्च स्थिति का वृष राशि का माना जाता है. 

आइए समझने की कोशिश करते हैं कि चंद्रमा वृश्चिक राशि में और विशाखा नक्षत्र में क्यों नीच का होता है. ये ऊर्जाएँ कई तरह की विशेषताओं को दर्शाती हैं .

चंद्रमा - चंद्रमा मन, भावनाओं, माता, मन की शांति, गृह पर्यावरण, जल, दूध आदि का प्रतिनिधित्व करता है.

विशाखा - विशाखा नक्षत्र परामर्श देने वाला दाताओं और मार्गदर्शन करने वाला नक्षत्र होता है. यह विभाजन, विपरित दिशा का भी नक्षत्र होता है.

वृश्चिक राशि 

विशाखा नक्षत्र में वृश्चिक राशि का कुछ अंश समाहित होता है, इसलिए वृश्चिक राशि और उसका प्रतिनिधित्व भी महत्वपूर्ण हो जाता है. वृश्चिक राशि आठवीं राशि होती है, इसलिए यह कुंडली के अष्टम भाव से संबंधित चीजों और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है. इस भाव से अचानक घटनाएं, गोपनीयता, अंधकार की दुनिया, गुप्त विज्ञान, अनुसंधान, विरासत, दूसरों की सेवा, करों आदि. इन चीजों के अलावा वृश्चिक राशि का चिन्ह परिवर्तन का भी प्रतिनिधित्व करता है. इसका अर्थ है पूरी प्रकृति को बदलना. यह एक ऐसा चिन्ह है जो हर ज्योतिषी को पसंद होता है, क्योंकि इसमें अधिकतम रहस्य मौजूद होते हैं, इसलिए ज्योतिषी को शोध करने की अच्छा गुण भी मौजूद होता है. 

यह एक ऎसा संकेत है जिसके बारे में कोई भी सटीकता से नहीं बता सकता है कि इसमें ग्रहों का क्या होगा, क्योंकि यह स्वयं गोपनीयता का संकेत है. वृश्चिक राशि कुंडली में जहां कहीं भी स्थित होता है. उस घर से जुड़ी चीजों को और अधिक स्थिर बनाने में आपको सबसे बड़ी चुनौतियां हो सकती हैं. वृश्चिक भी उन अद्वितीय राशियों में से एक है जिसके दो स्वामी होते हैं, यानी मंगल और केतु. पश्चिमी ज्योतिष में, प्लूटो भी वृश्चिक का सह-स्वामी माना जाता है. यह सब वृश्चिक को एक अराजक तत्व भी बनाता है. वृश्चिक राशि में ढाई नक्षत्रों का चरण होता है, यानी विशाखा, अनुराधा और ज्येष्ठा नक्षत्र होता है. 

वृश्चिक राशि में चंद्रमा के कमजोर होने के कारण

चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है और वृश्चिक राशि जीवन में अस्थिरता, परिवर्तन, रहस्य और उतार-चढ़ाव को दर्शाती है. अब मन कभी भी जीवन के भय या अनिश्चितताओं में नहीं जीना चाहता. जीवन में सुविधाजनक स्थिति में रहना चाहता है. किसी अस्थिरता या परिवर्तन का विचार भी मन में प्रतिक्रिया लाता है जो उस परिवर्तन की ओर धकेलता है और विरोध करना चाहता है. यह भी समझ में आता है क्योंकि यदि समय और ऊर्जा केवल जीवन की अस्थिरताओं से निपटने के लिए है तो अपने समय और ऊर्जा का उपयोग जीवन में कुछ सार्थक और उत्पादक करने के लिए कब कर पाएंगे, वृश्चिक अस्थिरता और परिवर्तन का संकेत है, इसलिए यह स्पष्ट है कि वृश्चिक राशि में चंद्रमा कमजोर महसूस करता है. यह एक जल तत्व राशि है जो भावनाओं से परिपूर्ण भी है तो भावनाओं में बहकर ही जीवन के गलत फैसले होते देखे जा सकते हैं. 

विशाखा में चंद्रमा के कमजोर होने के कारण 

वृश्चिक में विशाखा, अनुराधा और ज्येष्ठ नक्षत्र शामिल होते हैं. चंद्रमा केवल विशाखा नक्षत्र में ही क्यों नीच का होता है? इसके पिछे नक्षत्र को समझने की आवश्यकता होगी. विशाखा का अर्थ है दो शाखाएं और इसे अलग-अलग दिशाओं में जाने वाली शाखाओं द्वारा भी दर्शाया जाता है. यह विभाजित रास्तों या जीवन की दिशाओं की ओर संकेत करता है. चंद्रमा मन है. दिमाग में सबसे बड़ी परेशानी तब होती है जब जीवन में बड़ी अराजकता या अस्थिरता से गुजर रहे होते हैं और फिर हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता होती है जो किसी भी तरह से जा सकता है. जैसा कि विशाखा जीवन में विभाजित दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है, विशाखा नक्षत्र में चंद्रमा एक व्यक्ति को बार-बार स्थिति में लाने के लिए बना सकता है जहां उसे भ्रमित किया जा सकता है कि उसे किस जीवन पथ का अनुसरण करना चाहिए और किस जीवन पथ से बचना चाहिए. ऎसे में भ्रम की इस स्थिति के कारण चंद्रमा विशाखा में सबसे कमजोर दिखाई देता है.

चंद्रमा वृश्चिक राशि में विशाखा नक्षत्र के 3 अंश पर नीच का होता है. ऎसा इसलिए है क्योंकि केवल विशाखा नक्षत्र का अंतिम पद वृश्चिक राशि में आता है. चंद्रमा वृष राशि से 3 डिग्री पर उच्च का होता है, इसलिए यह स्पष्ट है कि इसे वृश्चिक राशि के 3 डिग्री पर नीच का होना चाहिए, अर्थात 180 डिग्री के विपरीत यह स्थिति निर्मित होती दिखाई देती है. यही कारण हैं कि चंद्रमा वृश्चिक राशि में नीच का है और विशाखा नक्षत्र 3 डिग्री पर है.

चंद्रमा के उच्च होने का कारण

चंद्रमा वृष राशि में और कृतिका नक्षत्र में उच्च स्थिति को पाता है. कृतिका नक्षत्र देखभाल, गोपनीयता, रिसर्च, सुरक्षा, पालन-पोषण, आलोचना, चीजों को काटने, सर्जरी और रक्तपात का नक्षत्र होता है. यह मेष राशि से वृष राशि में फैलता है. यह सूर्य द्वारा प्रभावित होता है. 

वृष राशि 

कृतिका नक्षत्र वृष राशि में स्थान पाता है. वृषभ राशि, राशि चक्र की दूसरी राशि है, इसलिए यह कुंडली के दूसरे घर से संबंधित कई चीजों का भी दर्शाती है. धन, संपत्ति, बचत, वित्त, विलासिता और वाणी कुटुम्ब इसी भाव से देखे जाते हैं. विलासिता और जीवन की सभी सुविधाओं से संबंधित स्थान वाली राशि है तथा शुक्र के स्वामित्व की राशि भी है. वृष राशि में ढाई नक्षत्र होते हैं, कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र और मृगशिरा नक्षत्र. 

वृष राशि में चंद्रमा के उच्च होने के कारणों में वृषभ राशि में चंद्रमा की स्थिति शुभता को अधिक पाती है. यहां चंद्रमा की चंचला कम होती है क्योंकि वृष धैर्यशील होती है पृथ्वी तत्व गुण इसमें होता है. धन, संपत्ति, भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति भी वृष राशि में अच्छे से दिखाई देती है. कुंडली में जहां कहीं भी चंद्रमा होता है, यदि उस भाव, राशि, नक्षत्र से संबंधित गुणों में खुद को शामिल करता है तो मन शांति और संतुलन को पाता है.यही कारण है कि वृष राशि के जातकों की सुख-सुविधाओं, विलासिता और धन में वृद्धि और विकास के लिए चंद्रमा सबसे अच्छा परिणाम  पाता है. जब चंद्रमा वृष राशि में होता है, तो यह व्यक्ति वित्त, धन, जीवन की भौतिकता के बारे में बहुत अधिक चिंतित नहीं होता है. चंद्रमा इस राशि में अपनी ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करने में सक्षम भी होता है, भविष्य की चिंता किए बिना, चंद्र की स्थिति व्यक्ति को मजबूत आयाम देती है.