सूर्य और शनि युति : विरोध और संघर्ष का करना पड़ता है सामना
जब दो ग्रह एक ही राशि में होते हैं तो युति योग का निर्माण करते हैं, जिससे कुंडली पर इनका गहरा असर पड़ता है. यह संयोग अक्सर भाग्य पर अचानक होने वाले और अनिश्चित प्रभाव डालता है, जिससे आपकी कुंडली में सबसे विशेष तरीके से बदलाव आते हैं. इसी योग में सूर्य-शनि युक्त का युति योग, करियर, धन समृद्धि, सामाजिक स्थिति एवं संबंधों के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन पर गहरा असर डालता है. ये संबंध कौशल, अनुभव और प्रबंधन यह जीवन में सफल होने के अवसर को निर्धारित करता है. ग्रहों की युति का यह दुर्लभ योग क्षमताओं को बढ़ाता है और सफलता की ओर ले जाने वाला एक नया मार्ग प्रशस्त करता है.
सूर्य ज्योतिष में कैसा है ?
सूर्य, की गर्मी और प्रकाश हमें जीवन देते हैं. सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन शक्ति देती है. यह सकारात्मकता और सफलता का प्रतीक है. ज्योतिष के अनुसार, ग्रह सीधे मानव शरीर को सीधे प्रभावित करता है उसे ग्रह कहा जाता है. वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह प्राण आत्मा को दर्शाता करता है. सूर्य की ऊर्जा व्यक्ति के जीवन को परिभाषित करती है. सूर्य साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मकता का प्रतीक है. यह हमारे सौर मंडल में सबसे बड़ा खगोलीय पिंड है और वैदिक ज्योतिष में एक विशेष महत्व रखता है. सूर्य कभी भी वक्री नहीं होता है क्योंकि सूर्य के चारों ओर सब कुछ उसके चारों ओर घूमता है. ज्योतिषीय महत्व में, सूर्य को अपनी यात्रा पूरी करने में बारह महीने लगते हैं और प्रत्येक ज्योतिषीय राशि में लगभग एक महीना रहता है. ज्योतिष में सूर्य ग्रह को सभी ग्रहों में से एक ग्रह माना गया है. यह व्यक्ति की आत्मा और पितृत्व चरित्र को दर्शता है. सूर्य और अन्य ग्रहों की दूरी ग्रहों की ताकत और व्यक्तियों पर उनके प्रभाव को निर्धारित करती है. कुंडली के अनुसार सूर्य पितरों को भी नियंत्रित करता है. यही कारण है कि यदि सूर्य का युति योग एक से अधिक अशुभ या अशुभ ग्रहों से होता है तो कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है.
शनि ज्योतिष में क्या है ?
हिंदू ज्योतिष के अनुसार शनि का नाम उनके स्वभाव के अनुसार रखा गया है. शनि का अर्थ है जो धीरे-धीरे चलता है. एक राशि को पार करने में लगभग ढाई वर्ष का समय लगता है. शनि एक विशाल ग्रह है और यह पृथ्वी से बहुत दूर है. अपने विशाल कद के कारण, यह धीरे-धीरे चलता है. वह सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं. शनि का अपने पिता सूर्य के साथ एक तनावपूर्ण संबंध है. यह एक ठंडा और शुष्क ग्रह भी है. यह वृद्धावस्था का ग्रह है और ज्योतिष में पाप ग्रह माना जाता है.
शनि यदि शुभ भाव में स्थित होता है, तब वह जातक को सभी वस्तुओं और समृद्धि को प्रदान करता है. विपरीत परिस्थितियों में, वह दर्द, दुःख और कष्ट देता है. शनि को सप्तम भाव में बल मिलता है. शनि एक शिक्षक और बहुत सख्त ग्रह हैं. यह ऐसे सबक सिखाएगा जिनका जीवन पर गहरा असर होता है. मेहनत और समर्पण के द्वारा ही शनि की कृपा प्राप्त होती है.
शनि व्यक्ति की ताकत, दृढ़ता और विश्वसनीयता को परखता है. शिक्षा के अलावा, वह न्याय के देवता हैं और पवित्रता के मार्ग के खिलाफ जाने और बुराई करने वालों को दंडित करते हैं. शनि हड्डियों को प्रभावित करता है. शनि देव के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति जीवन भर हड्डियों के रोग से पीड़ित रह सकता है. अंक 8 का संबंध शनि से है. शनि और कर्म साथ-साथ चलते हैं, और एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में शनि की साढ़े साती नामक एक चरण के साथ शनि देव के साथ कठिन समय व्यतीत करता है.
सूर्य और शनि का कुंडली में एक साथ होना
पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और शनि का संबंध पिता और पुत्र के रुप में है. यह दोनों अपने संबधों के कारण एक-दूसरे के साथ लगातार संघर्षशील भी दिखाई देते हैं. यदि शनि सूर्य के 9 अंश के भीतर होता है तो शनि अस्त होने के कारण अपने प्रभाव को कम दर्शाता है. यदि ये दोनों लगभग 14 डिग्री के अंतर में एक दूसरे से अलग हैं, तो वे मुश्किल से एक दूसरे पर कम प्रभाव डालते हैं. आइए जानते हैं ज्योतिष में सूर्य शनि की युति होने के परिणाम कैसे असर डालते हैं.
सूर्य और शनि का युति योग होने पर व्यक्तिअपने पिता के साथ या अपने वरिष्ठ लोगों के साथ अच्छे सौहार्दपूर्ण संबंधों का कम ही आनंद ले पाता है. रिश्ते में लगाव हो सकता है किंतु तर्क अधिक दिखाई देते हैं. एक दुसरे के साथ जब बातचीत करते हैं तो उस बात में जल्द ही विरोधाभास दिखाई देने लगेगा. विवाद अधिक देखने को मिलता है, जो दोनों को परेशान करता है. मतभेद पैदा हो सकते हैं. पिता के प्रति प्यार है लेकिन इसे खुलकर व्यक्त करना मुश्किल होता है. दोनों के बीच संघर्ष का कारण कोई भी घटना हो सकती है.
यदि पिता और पुत्र एक ही छत के नीचे रहते हैं तो दोनों को कष्ट होता है. दोनों के जीवन में प्रगति बाधित हो सकती है. विकास रुक जाता है और करियर बाधित हो जाएगा. सफलता उनके जीवन में देर से अधिक परिश्रम द्वारा आती है. नीची जाति के लोगों से, और नौकरों से और अधिकारियों या सरकारी कर्मचारियों से परेशानी रहती है. सरकार से संबंधित कार्य कभी भी एक बार में पूरा नहीं होता है, यह युति योग्यता पर भी सवाल उठाती है और उसके आत्मविश्वास को कमजोर भी करती है. यदि इस युति का कोई शुभ प्रभाव न हो तो जिस घर में सूर्य और शनि हों वह भाव अनुकूल नहीं रह पाता है.
सूर्य और शनि युति का सकारात्मक प्रभाव
संबंधित ज्योतिष घरों में सूर्य और शनि की युति के प्रभाव में, व्यक्ति सही और गलत के बारे में दृढ़ विचार रखता है. सरकारी एजेंसियों और संगठनों के लिए काम कर सकता है. करियर के मामले में विशेष रूप से कानून क्षेत्र या सरकारी कार्यालय में सफल हो सकते हैं. कंपनी के सीईओ के रूप में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. अपनी उम्र से अधिक परिपक्व दिखाई देंगे. बिना किसी बाध्यता के अपने कार्यों का स्वामित्व लेते हैं. काम पर वरिष्ठों के प्रति अपने दृष्टिकोण में बहुत अनुशासित और अपने काम के प्रति समर्पित रहते हैं. प्रबंधन और नेतृत्व में अच्छी विशेषता मिल सकती है.
सूर्य और शनि युति का नकारात्मक प्रभाव
व्यक्ति जिम्मेदारियों से अधिक ब्म्धा रह सकता है. यदि चतुर्थ भाव में सूर्य और शनि की युति हो तो अपने परिवार की जिम्मेदारियों से बंधे रहेंगे. यदि सूर्य नीच का है, शनि तुला राशि में है, तो अहंकार अधिक रह सकता है. भरोसे और विश्वास को लेकर समय-समय पर परीक्षा होगी. लेकिन इससे मजबूती भी प्राप्त होती है. पिता का स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है, सुख में कमी या दूरी झेलनी पड़ सकती है. आपकी प्रगति में बाध अधिक रह सकती है. धन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आर्थिक मामलों में पैतृक सहयोग नहीं मिल पाता है.