सूर्य और बृहस्पति का एक साथ होना बनाता है साधन संपन्न

सूर्य और बृहस्पति का योग शुभस्थ स्थिति का कारक माना गया है. यह दोनों ही ग्रह बुद्धि, ज्ञान और आत्मिक विकास के लिए उत्तम होते हैं. ज्योतिष के संदर्भ में सूर्य राजा है और वहीं सष्टि में जीवन के विकास का आधार भी है. दूसरी ओर बृहस्पतिज्ञान का वह प्रकाश है जो समस्य जीवन के शुभ प्रगतिशील गुणों की वृद्धि का आधार बनता है. इन दोनों के एक साथ होने पर सकारात्मक संकेत अधिक दिखाई देते हैं जो जीवन को आगे बढ़ने हेतु अत्यंत उपयोगी होते हैं. 

सूर्य - सूर्य का महत्व वेदों में सबसे अधिक मिलता है. यदि वेद रचनाओं को समझें तो सूर्य की महत्ता अत्यंत ही विशेष रही है. सूर्य का संबंध जीवन के प्राण तत्व से जुड़ा है. सूर्य का प्रकाश जितना जीवन की ऊर्जा के लिए उपयोगी है उतना ही ये विकास क्रम में भी उपयोगी होता है. सभी ग्रहों का राजा होकर सूर्य नेतृत्व का गुण अच्छे से निभाता है. 

बृहस्पति - बृहस्पति ग्रहों में गुररू शिक्षक की उपाधी को पाता है. बृहस्पति अपने विचारों एवंज्ञान संपदा द्वारा सभी को ज्ञान का प्रकाश देता है. यही ज्ञान प्राप्त करके उचित अनुचित जीवन सत्य एवं अन्य तथ्यों भेदों को समझा जा सकता है. बृहस्पति को सुख का विस्तार का और आध्यात्मिक ऊर्जा का आधार भी माना जाता है. बृहस्पति जीवन को आगे ले जाने में सहायक बनता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति अपने आंतरिक विकास की प्रक्रिया को समझ पाने में सक्षम होता है. 

सूर्य और बृहस्पति - कुंडली के प्रत्येक भाव में प्रभाव

प्रथम भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

सूर्य और बृहस्पति प्रथम भाव में युति करते हैं, तो व्यक्ति अपने स्थान पर एक वरिष्ठ की भूमिका पाता है. उसका बाहरी आवरण काफी प्रभवैत करने वाला होता है समाज में वह काफी प्रतिष्ठित भी हो सकता है. न्यायिक सेवाओं में शामिल होने की उच्च संभावना होती है. उनके पास उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में उठने की उच्च संभावना है. राष्टिय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन में काम करने की बहुत संभावना है. 

दूसरे भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

दूसरे भाव में सूर्य और बृहस्पति का एक साथ होना व्यक्ति के कुटुम्ब को विस्तार देने में सहायक होता है. परिवार का आरंभिक रुप व्यक्ति को काफी अनुकूल रुप से प्राप्त हो सकता है. कद काठी भी व्यक्ति की आकर्षक हो सकती है. ईमानदार और प्रभावी वक्ता हो सकता है. स्वयं को बॉस मान सकता है, बोलने में तेज एवं माहिर होता है, इनकी आवाज में नेतृत्व के गुण होते हैं. 

तीसरे भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

तीसरे भाव में सूर्य और बृहस्पति का एक साथ होना काफी प्रभावी होता है. व्यक्ति साहस, बहादुरी और स्वाभिमान से भरा होता है. समाज में प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित हो सकता है. कुछ कठोर एवं  वे दुष्ट प्रवृत्ति का भी हो सकता है. समाज में आमतौर पर अच्छा सम्मान प्राप्त करने में सफल रहता है. 

चतुर्थ भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

चतुर्थ भाव में सूर्य और बृहस्पति का एक साथ होना भौतिक वस्तुओं को प्रदान करने में सहायक बनता है. बुद्धिमान भी बनाता है. समृद्ध और शानदार जीवन प्रदान करता है. सरकारी नौकरी में अच्छा स्थान मिल सकता है. अपने कार्य स्थल पर सम्मान पाते हैं. सत्ता से लाभ मिल सकता है और प्रयासों मेहनत द्वारा प्रसिद्ध भी प्राप्त कर सकते हैं. 

पंचम भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

पंचम भाव में सूर्य और गुरु का एक साथ होना बौद्धिक स्थिति को अधिक प्रभावी बनाता है. अंतर्ज्ञान भी अच्छा होता है. उच्च शिक्षा प्राप्त करने में ललायित रह सकते हैं किंतु कुछ देरी का सामना भी करना पड़ सकता है. सामाजिक रुप से ये लोग एक बुद्धिमान व्यक्ति माने जाते हैं. 

छठे भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

सूर्य और गुरु के छठे भाव में एक साथ होना व्यक्ति को चातुर्य एवं विरोधियों का सामना करने में सक्षम बनाता है. व्यक्ति बुद्धिमान और बहादुर होता है. विभिन्न स्थितियों को संभालने और उन्हें अपने पक्ष में बदलने में कुशल भी होते हैं. शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर पाते हैं. प्रतियोगिताओं में अपना अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं. प्रशासनिक नौकरियों में भी अच्छे हो सकते हैं. विनम्र और सामाजिक सेवा कार्यों को कर सकते हैं. 

सप्तम भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

सूर्य और गुरु के सप्तम भाव में एक साथ होने पर यह व्यक्ति के वैवाहिक जीवन पर असर डालता है. व्यक्ति के जीवन साथी का स्वभाव कठोर या फिर हावी होने जैसा रह सकता. साझेदारी के कार्यों में अच्छा कर सकता है. जीवन साथी धार्मिक एवं नियमों का पालन करने वाला हो सकता है. व्यक्ति दयालु और उदार होता है. 

आठवें भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

सूर्य और बृहस्पति का आठवें घर में एक साथ होना कुछ अच्छा तो कुछ मामलों में अनुकूलता को कम करने जैसा होता है. व्यक्ति में संचार कौशल बेहतर हो सकता है. चतुराई पूर्ण कार्यों को कर सकता है. आध्यात्मिक क्षेत्र में भी काम कर सकता है. शांति और प्रसन्नता कुछ कम रह सकती है. 

नवम भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

नवम भाव में सूर्य और बृहस्पति का एक साथ इस युति में होना शुभदक माना गया है. व्यक्ति को  विषयों का ज्ञान प्राप्त हो सकता है. वह दूसरों को सिखाने में भी कुशल होता है. एक अच्छे शिक्षक एवं सलाहकार की भूमिका को प्राप्त कर सकता है. व्यक्ति आशावादी होता है. सकारात्मक दृष्टिकोण देने में सक्षम होता है. 

दशम भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

दशम भाव में सूर्य और गुरु का एक साथ होना कार्य क्षेत्र में उपलब्धियों को प्रदान कर सकता है. समाज में अच्छा नाम और मान सम्मान  मिलता है. शक्तिशाली और अत्यधिक प्रतिष्ठित हो सकते हैं.आरामदायक और शानदार जीवन जीने में भी सफल हो सकते हैं. 

ग्यारहवें भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

सूर्य और गुरु का एक साथ एकादश भाव में होना इच्छाओं को पूरा करने में तथा उन्हें विस्तार देने वाला होता है. व्यक्ति जीवन में जीवन शक्ति को पाता है. आत्मविश्वास अच्छा रहता है. समाजिक रुप से मान सम्मान प्रतिष्ठा भी प्राप्त हो सकती है. दयालु और मददगार होता है. 

बारहवें भाव में सूर्य और बृहस्पति की युति

बारहवें भाव में सूर्य और बृहस्पति का एक साथ होना व्यक्ति को दयालु और परोपकारी बनाता है. धार्मिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में काम करने का अवसर प्राप्त होता है. कई बार विदेशों में रहकर धनार्जन का लाभ पाता है. विचारों में काफी जिद एवं क्रोध भी दिखाई दे सकता है. नैतिकता की कमी भी हो सकती है.