ताजिक शास्त्र में लग्न का आपकी कुंडली पर असर
किसी भी भाव के वर्षफल कुंडली में लग्न बनए का फल
वर्ष कुंडली को हर वर्ष के लिए देखा जाता है. वर्षफल कुंडली में प्रत्येक वर्ष का भविष्यफल देखा जाता है. वर्ष फल कुंडली को ताजिक शास्त्र में उपयोग किया जाता है. वर्ष कुंडली अनुसार इस समय पर भविष्यफल कथन करने से काफी सटीक भविष्यवाणी करता है. किसी व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करने के लिए वर्षा कुंडली या वार्षिक राशिफल को देख कर स्थिति का विश्लेषण किया जाता है. इस प्रकार की कुंडली का ज्योतिष के क्षेत्र में काफी महत्व रहा है. वर्ष कुंडली को देखने ओर उसके अध्ययन के दौरान जन्म कुंडली की दशा और योगों के निर्माण को ध्यान में रखा जाता है.
वर्ष कुंडली के द्वारा सूक्षम विचार से फलकथन करना काफी अच्छे परिणाम दिखाता है. वर्ष की कुंडली में जिस लग्न का निर्माण होता है उसी के द्वारा आगे की बातों को देखा जाता है. भाव का विश्लेषण करके हम उस साल मिलने वाले फलों को देख पाते हैं. इन भविष्यवाणियों में कार्यक्षेत्र, संबंध, रोग, धन लाभ एवं जीवन में होने वाले बदलावों को समझ पाना आसान होता है. वर्ष की शुरुआत में लग्न बनने वाला भाव उस विशिष्ट अवधि के दौरान व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने के लिए विशेष रुप से जिम्मेदार होता है.
पहला भाव
यदि किसी व्यक्ति का लग्न किसी विशेष वर्ष में वर्ष कुंडली का लग्न हो जाता है तो उसे "द्विवर्ष लग्न" कहा जाता है, कुछ लोग इसे "पुनर्जन्म वर्ष कुंडली" के रूप में भी परिभाषित किया जाता है. इस लग्न को व्यक्ति के लिए ज्यादा शुभ नहीं माना जाता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह वर्ष कुछ कमजोर स्थिति को दिखा सकता है. व्यक्ति को अपने जीवन के कई पहलूओं में बहुत उतार-चढ़ाव से गुजर सकता है. करियर और व्यवसाय क्षेत्र में बाधाओं और अटकाव की स्थिति परेशान कर सकती है.
इस समय पर व्यक्ति अधिक परेशानी का अनुभव कर सकता है. इस समय पर व्यक्ति को कुछ चीजौं पर ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना आवश्यक होता है. इस वर्ष कोई नया कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए. जो लोग सेवा काम में लगे होते हैं उन्हें नौकरी बदलने के बारे में सोचने से बचना चाहिए. व्यवसाय में कई बदलाव आप कर सकते हैं. व्यक्ति लगातार बाधाओं के कारण काफी मानसिक तनाव से गुजर सकता है. इस समय के दौरान धैर्य एवं शांति के साथ आगे बढ़ना ही उपयुक्त होता है.
दूसरा भाव
वर्ष कुंडली में लग्न के रूप में अगर जन्म कुंडली का दूसर अभाव उदय होता है तो यह मिलेजुले फलों को दर्शाता है. द्वितीय भाव में अच्छे और बुरे दोनों ही प्रकार के असर देखने पड़ते हैं. व्यक्ति संपत्ति से कुछ लाभ प्राप्त कर सकता है या आय के नए स्रोत से वित्तीय लाभ प्राप्त कर सकते हैं. धन और वित्त के मामले में यह एक अनुकूल वर्ष बना हुआ है. दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं की बड़ी संभावनाओं का समय होता है. इस समय के दौरान परिवार और धन को लेकर अधिक परिणाम प्रभावित करते हैं. नए सदस्यों का आगमन हो सकता है. कुछ सामान्य स्वास्थ्य बीमारियों और कुछ मानसिक चिंताओं से भी प्रभावित होना पड़ सकता है.
तीसरा भाव
जिस वर्ष तृतीय भाव वर्ष कुंडली का लग्न होता है. इस समय के दौरान व्यक्ति का परिश्रम अधिक रहता है. परिश्रम के द्वारा ही काम की प्राप्ति होती है. इस वर्ष कुंडली के दौरान व्यक्ति को चीजों के लिए अधिक भागदौड़ करनी पड़ सकती है. काम में व्यक्ति को शक्ति का अनुभव होता है वृद्धि का अनुभव मिलता है. भाई बंधुओं के साथ रिश्ते प्रभावित होंगे. अपनों को प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति होती है. व्यक्ति स्वयं भी ऐसे कार्य करता है जिससे समाज में उसकी स्थिति मजबूती को पाती है. इस समय पर जन संपर्क भी बढ़ता है. मान सम्मान प्राप्ति भी इस समय पर होती है.
चौथा भाव
जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव का वर्ष कुण्डली में लग्न रुप से उदित होना अनुकूल माना गया है. इस समय पर व्यक्ति को जीवन में सुख की प्राप्ति होती है. इस समय पर कुछ नया वाहन या अन्य प्रकार के सामान खरीद सकते हैं. भौतिक सुविधाओं की खरीदारी अधिक कर सकते हैं. इस समय धन खर्च भी बना रह सकता है. आराम और खुशी बनी रह सकती है. इस समय के दौन आमदनी का ज्यादातर हिस्सा घर की साज-सज्जा पर खर्च हो जाता है. धन प्रसिद्धि, मान्यता और सम्मान के मामले में यह समय अनुकूल रहता है.
पंचम भाव
कुंडली का पंचम भाव वर्ष फल कुंडली के लिए अनुकूल कहा जाता है. जन्म कुंडली का पंचम भाव जब वर्ष कुंडली का लग्न बनता है उस वर्ष व्यक्ति को काफी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. व्यक्ति जीवन के हर पहलू में सुखद परिणाम प्राप्त कर सकता है. इस समय पर प्रेम संबंधों, शिक्षा एवं संतान से जुड़े मसले मुख्य होते हैं. अपने जीवन में शिक्षा एवं संबंधों के मामले में बेहतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं. कार्य अच्छे स्तर की सफलता के साथ पूरे होते हैं. परीक्षा में सफलता मिलती है. इस समय के दौरान काम में किए गए प्रयासों के अनुसार ही सफलता भी मिलती है.
छठा भाव
जन्म कुंडली का छठा भाव अगर वर्षफल कुंडली के लग्न के रूप में आता है तो समय मिश्रित रहता है. इस समय के दौरान चिंताएं अधिक बनी रह सकती हैं. कानूनी मामलों में ये समय तनाव दे सकता है. इस अवधि में व्यक्ति को काफी शत्रुता का सामना करना पड़ सकता है. काम पर बहुत प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और काम में बाधाओं का भी सामना करना पड़ सकता है. धन की हानि, शत्रुओं से परेशानी, घर में विवाद जैसी दिक्कतें अधिक बनी रह सकती हैं.
सातवां भाव
जन्म कुण्डली का सप्तम भाव जब वर्ष कुण्डली का लग्न बनता है तब यह स्थिति जीवन के संबंधों को अधिक प्रभावित करने वाली होती है. इस समय पर विवाह, संतान, साझेदारी के काम आदि मसलों पर शुभ कार्य सिद्ध होते हैं. जो लोग अविवाहित हैं उनके इस साल विवाह बंधन में बंधने की प्रबल संभावना भी दिखाई दे सकती है. व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और वह अपने काम के लिए सम्मान प्राप्त करता है.
आठवां भाव
जन्म कुंडली का अष्टम भाव वर्ष कुण्डली में लग्न होने पर व्यक्ति को एक वर्ष में बहुत सारी समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है. उसके जीवन में कई अप्रत्याशित घटनाएं घट सकती हैं. स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ सकती हैं. व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में काफी असफलताओं का सामना करना पड़ता है. इस वर्ष मान-सम्मान में कमी के भी संकेत मिल सकते हैं.
नौवां भाव
जिस वर्ष जन्म कुंडली का नवम भाव वर्ष कुंडली का लग्न बनता है, तो इसे "भाग्योदय वर्ष" यानि भाग्य का वर्ष भी कहा जाता है. व्यक्ति को व्यापार और कार्यक्षेत्र में अपार सफलता मिलती है. वह विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करता है. उसके द्वारा किए गए सभी कार्य सफलतापूर्वक पूरे होते हैं. व्यक्ति विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेता है.
दसवां भाव
जब जन्म कुंडली का दशम भाव वर्ष कुंडली का लग्न हो जाता है, तो वर्ष को सफलता का वर्ष कहा जाता है. इस वर्ष के दौरान व्यक्ति को सरकारी सेवाओं में भाग लेने का अवसर मिलता है. यदि व्यक्ति सरकारी सेवाओं के लिए कार्य करने में सक्षम नहीं है तो उसे अपने वर्तमान कार्यस्थल पर ही सफलता, प्रसिद्धि और मान्यता प्राप्त होती है.
ग्यारहवां भाव
जन्म कुण्डली का एकादश भाव जब वर्ष कुण्डली का लग्न हो जाता है तो इस वर्ष व्यवसायी व्यक्तिों को अपने कार्यक्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त होती है. नौकरी के अवसर मिलते हैं. इस साल की शुरुआत के साथ व्यक्ति की ज्यादातर चिंताएं दूर हो जाती हैं. सभी प्रकार के ऋण समाप्त होने के अच्छे मौके बनते हैं.
बारहवां भाव
जन्म कुण्डली का बारहवाँ भाव जब वर्ष कुण्डली का लग्न हो जाता है तो व्यक्ति को बहुत अधिक खर्चों का सामना करना पड़ता है. उसकी इच्छाएं बढ़ जाती हैं, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स भी उत्पन्न हो सकते हैं. कर्ज लेने या दूसरे से पैसे उधार लेने की जरूरत महसूस होती है. मानसिक और आर्थिक तनाव का सामना करना पड़ता है.