64 (चौसठवां) नवांश कब होता है कष्टदायक और देता है पीड़ा का संकेत
ज्योतिष शास्त्र में जीवन के हर क्षण और घटनाक्रम को समझा जा सकता है. इसमें मौजूद गणनाओं का उपयोग करके जीवन में होने वाली घटनाओं को जान पाना संभव होता है. इन सूक्ष्म गणनाओं में एक गणना आयु और दुर्घटना को लेकर है जिसे जानने के लिए किसी व्यक्ति के लग्न कुंडली के 64वें नवांश को देख कर जाना जा सकता है. 64 वें नवांश को देख कर व्यक्ति के जीवन में आने वाली दुर्घटनाओं मृत्यु तुल्य कष्ट की संभावनाओं को काफी सटीकता के साथ समझ पाना संभव होता है.
कुंडली में यह नवांश किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाली मुश्किलों, कष्टों, चिंताओं परेशानियों बाधाओं जैसी अनेकों प्रकार की स्थिति को समझने के लिए देखा जाता है. इसी के साथ कुछ अन्य कारक भी असर डालते हैं. इन सभी चीजों को एक एक करके समझते हुए स्थिति को काफी स्पष्ट रुप से समझने में मद मिलती है.
64 (चौसठवां) नवांश पाप ग्रह प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में कुछ ग्रह शुभ एवं कुछ ग्रह अशुभ या पाप, क्रुर ग्रह के नाम से जाने जाते हैं. सभी ग्रहौं के अपने फल होते हैं. इनमें से ग्रहों की प्रकृति शुभ एवं अशुभ रुप से उल्लेखित की जाती है. जहां शनि मंगल राहु केतु ग्रह पाप ग्रहों की श्रेणी में आते हैं वहीं गुरु शुक्र बुध चंद्र शुभ ग्रह और सूर्य क्रूर ग्रह की श्रेणी में स्थान पाता है सूर्य को शुभ क्रूर कहा जा सकता है.
इन ग्रहों में स्वभाविक रुप से जब पाप ग्रह 64 नवांश से संब्म्ध बनाते हैं तो व्यक्ति के लिए कष्ट का संकेत देते हैं. लेकिन इसके विपरित कुछ तथ्य इस तरह भी देखे जा सकते हैं की शुभ ग्रह भी यहां होने पर पप प्रभाव दे सकता है. ऎसा इस कारण से होता है की जब कोई शुभ ग्रह कुंडली में खराब भाव का स्वामी बनता है तो वह अपने स्वामित्व के अधार पर फल जरुर देता है. इस कारण से कहा जा सकता है की शुभ ग्रह भी जब कुंडली में खराब घरों के सेवामी बनते हैं तो अपने शुभत्व में कमी कर देते हैं ओर जब ये ग्रह इस चौसठवें नवांश से जुड़ते हैं तो स्थिति चिंता को दिखाती ही है.
ग्रहों का प्रभाव
शनि का प्रभाव लम्बी बिमारियों का संकेत, स्नायु तंत्र की समस्या, पक्षाघात की संभावना, गैस्ट्रिक समस्याएं दे सकता है.
मंगल का प्रभाव यदि इस पर आता है तो जलने कटने चोट लगने खून बहने या रक्त के विकार जैसी घटनाओं की चिंता अधिक होती है. इस के अलावा यह दुर्घटना को भी दिखाता है.
राहु केतु - राहु केतु का असर विषैले पदार्थों के कारण रोग और कष्ट दे सकता है, दिमागी भ्रम अस्थिरता चिंताएं लगातार बनी होती हैं. मन भटकाव के कारण बेचैन रहता है. कैंसर जैसे रोग भी इसके कारण असर डाल सकते हैं.
इन ग्रहों का एक दूसरे के साथ अगर योग बन रहा हो 64वें नवांश में तब स्थिति अधिक चिंता को बढ़ा सकती है. प्रकृति से मिलने वाले कष्ट भी इसमें शामिल हो जाते हैं आपदाएं कष्ट देने का कारण बन सकती हैं. अपनो का अलगाव दूरी विच्छे मानसिक कष्ट को मृत्यु तुल्य कष्ट के समान बना देता है.
इसी के साथ शुभ ग्रह जब पाप प्रभाव में आते हैं तो उनके द्वारा भी इसी तरह की संभावनाएं जन्म ले सकती हैं. शरीर के रोग मसिक रोग आपसी संबंधों का कष्ट परेशानी ओर वियोग को दिखा सकता है.
64वें नवांश से मिलने वाले फल और प्रभाव
चौसठवें नवांश कुंडली से स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया जा सकता है.
64वें नवांश से जीवन में होने वाली दुर्घटनाओं का पता लगाया जा सकता है.
64वें नवांश से जीवन में होने वाली सभी प्रकार की मानसिक चिंताओं के बारे में जाना जा सकता है.
64 वें नवांश से जीवन में आने वाली किसी भी प्रकार की आपदाओं को जाना जा सकता है.
64वें नवांश से जीवन में होने वाले रोग व्याधियों को जाना जा सकता है.
64वें नवांश से मृत्यु तुल्य कष्ट को जान सकते हैं
64वें नवांश से जीवन में कब कष्ट और बुरा समय आ सकता है इस स्थिति का पता लगाया जा सकता है.
64 नवांश का स्वामी होता है काफी महत्वपूर्ण
64 नवांश भाव का अधिपति ही इस नवांश का स्वामी होता है. ज्योतिष में वर्ग कुंडलियों का विशेष स्थान है. वर्ग कुंडली किसी भाव को समझने का सूक्ष्म रुप होता है. इस तरह से हर भाव की अच्छे बुरी स्थिति को बेहतर तरीके से जाना जा सकता है. कुंडली का आठवां भाव इस नवांश से संबंधित माना गया है.
कुंडली में चंद्रमा जितने अंश डिग्री का होता है उसके आधार पर इसे जाना जाता है. चंद्र की डिग्री को आठवें घर में रख कर गणना को समझा जाता है. अगर नवांश कुंडली की बत करें तो नवांश वर्ग कुंडली में चंद्रमा जिस भी घर में बैठा होता है उस घर से गिनते हुए चार घर आगे गिनने होते हैं और गिनती में जो भी चौथा घर पड़ता है वहीं 64वें नवांश का स्वामी बनता है. इसी के साथ अगर नवांश कुंडली के हर घर से चौसठवां नवांश देखना है तो इसके लिए उक्त भाव से आगे चौथा भाव गिनने पर यह स्थिति मिलती है. 64 वां नवांश कुंडली के आठवें घर का भाव मध्य भी कहा जाता है.
चौसठवें नवांश का स्वामी यदि कोई पाप ग्रह होता है तो स्थिति कमजोर होती है. शनि राहु केतु या मंगल का असर चिंता कष्ट को दे सकता है. इसके द्वारा मानसिक तनाव दुर्घटना, घाटा आकस्मिक परेशानियां अपना असर डाल सकती हैं. अगर ये ग्रह कुंडली में खराब स्थान के स्वामी बनते हैं तो स्थिति अधिक असर डाल सकती है.