केमद्रुम योग फल | Kemadruma Yoga Result | How is Kemadruma Yoga Formed | Kemadruma Bhanga Yoga
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र को मन का कारक कहा गया है. सामान्यत: यह देखने में आता है, कि मन जब अकेला हो तो वह इधर-उधर की बातें अधिक सोचता है, और ऎसे में व्यक्ति में चिन्ता करने की प्रवृ्ति अधिक होती है. ठिक इसी प्रकार के फल केमद्रुम योग देता है.
केमद्रुम योग कैसे बनता है | How is Kemadruma Yoga Formed
केमद्रुम योग कुण्डली में तब बनता है. जब सूर्य के सिवाय चन्द्रमा के साथ कोई ग्रह न हों, न ही उसके बारहवें या द्वितीय भाव में कोई ग्रह हो तो ऎसी स्थिति में केमन्द्रुम योग बनता है. एक अन्य मत के अनुसार जब लग्न से केन्द्र में कोई ग्रह न हो तो तब भी केमन्द्रुम योग बनता है. इस योग में उत्पन्न हुआ व्यक्ति अशिक्षित, या कम पढा लिखा, निर्धन व मूर्ख होता है. लोगों से उसे घृ्णा प्राप्त होती है.
यह भी कहा जाता है, कि केमदुम योग वाला व्यक्ति वैवाहिक जीवन और संतान पक्ष से सुखरहित होता है. वह सामान्यत: घर से दूर ही रहता है. परिजनों को सुख देने में प्रयास रत रहता है. व्यर्थ बात करने वाला होता है. उसके स्वभाव में नीचता का भाव हो सकता है.
Kemadruma Bhanga Yoga in D9 Chart
जब कुण्डली में लग्न से केन्द्र से चन्द्रमा या कोई ग्रह हो तो केन्द्रुम योग भंग माना जाता है. योग भंग होने पर केमन्द्रुम योग के अशुभ फल भी समाप्त होते है.
कुण्डली में बन रही कुछ अन्य स्थितियां भी इस योग को भंग करती है, जैसे अगर कुण्डली में सुनफा, अनफा या दुरुधरा योग बन रहा हो, तो केमन्द्रुम योग भंग हो जाता है. परन्तु अगर चन्द्रमा से केन्द्र में कोई ग्रह हो तब भी यह अशुभ योग भंग हो जाता है. और व्यक्ति इस योग के प्रभावों से मुक्त हो जाता है.
नवांश योगों से- केमद्रुम भंग योग | Kemadruma Bhanga Yoga in D9 Chart
कुछ अन्य शास्त्रों के अनुसार- यदि चन्द्रमा के आगे-पीछे केन्द्र और नवांश में भी इसी प्रकार की ग्रह स्थिति बन रही हो तब भी यह योग भंग माना जाता है.
चन्द्र शुभ ग्रह राशि में- केमद्रुम भंग योग | Kemadruma Bhanga Yoga
केमद्रुम योग होने पर भी जब चन्द्रमा शुभ ग्रह की राशि में हो तो योग भंग हो जाता है. शुभ ग्रहों में बुध्, गुरु और शुक्र माने गये है. ऎसे में व्यक्ति संतान और धन से युक्त बनता है. तथा उसे जीवन में सुखों की प्राप्ति होती है.