देव गण में जन्मा जातक होता है भाग्यशाली
विवाह करने से पूर्व वर-वधू की कुण्डलियों का मिलान करते समय आठ प्रकार के मिलान किये जाते है. इस मिलान को अष्टकूट मिलान के नाम से जाना जाता है. इन्हीं अष्टकूट मिलान में से एक गण मिलान है. इस मिलान में वर वधु के व्यवहार और उनके जीवन जीने के नजरिये को समझा जाता है. ये मिलान बताता है की दो लोग किस प्रकार मेल जोले से अपना जीवन यापन कर सकेंगे या नही. दोनों के मध्य कैसा संबंध बनेगा इस गण मिलान से पता चलाया जा सकता है.
गण मिलान में नक्षत्रों का विचार होता है. इस मिलान में लड़के और लड़की के नक्षत्र गणना द्वारा ये मिलान संभव हो पाता है. गण मिलान करते समय सभी व्यक्तियों को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है. जिसमें देव, मनुष्य और राक्षस है. देव गण से अभिप्राय सत्वगुण संपन्न व्यक्ति से है. मनुष्य गण राजसिक प्रकृति के अन्तर्गत आते है. राक्षस गण तामसिक प्रकृति के व्यक्ति है. तीनों श्रेणियों में गणों का वर्गीकरणी वर-वधू के जन्म नक्षत्र के आधार पर किया जाता है. इस मिलान को कुल 6 अंक दिए जाते है.
देव गण नक्षत्र
जिन व्यक्तियों का जन्म अश्चिनी, मृगशिरा, रेवती, हस्त, पुष्य, पुनर्वसु, अनुराधा, श्रवण, स्वाती नक्षत्र में हुआ हो, उस व्यक्ति को देवगण की श्रेणी में आता है. ये सभी नक्षत्र मृदु नक्षत्र, लघु नक्षत्र और चर नक्षत्र होते हैं. इन नक्षत्रों की सौम्यता और शुभता ही इन्हें देव गण का स्थान देती है.
देव गण नक्षत्र एक प्रकार के सकारात्मक स्थिति को दर्शाते हैं ये स्थिति को बेहतर और रचनात्मक रुप से दूसरों के समक्ष ला सकते हैं पर बहुत अधिक बदलाव की इच्छा नही रह पाती है. एक प्रकार से सीधे मार्ग का चुनाव यही देव गण हमें प्रदान करता है.
देव गण में मौजूद नक्षत्रों में किए जाने वाले काम
इन नक्षत्रों में जातक के कार्यों में एक प्रकार की गतिशीलता का प्रभाव रहता है. इन नक्षत्रों में किए गए काम भी समान्य रुप से चलते रहते हैं. देव गण के नक्षत्रों में व्यक्ति मैत्री भाव निभाने की योग्यता रखता है. इस नक्षत्र के प्रभाव से अनुकूलता से भरा वातावरण भी मिलना आसान होता है.
इन देव नक्षत्र में व्यक्ति अपने कार्य को आगे ले जाने के लिए बहुत ही सक्षम होता है. किसी भी काम काज को करने में एक सकारात्मक रवैया अपना सकता है. मेल जोल की संभावना इन में दिखाई देती है. इस नक्षत्र में औषधि बनाए जाने पर उस औषधि का प्रभाव भी बेहद लाभ दायक बन जाता है.
इस नक्षत्र में की जाने वाली देव पूजा भी कई गुना फल देने में सक्षम होती है. इस समय पर किए गए उपायों का भी प्रभावशालि रुप से असर देने में सक्षम होता है.
देव गण नक्षत्र में जन्मा जातक
किसी जातक का जन्म यदि देव गण नक्षत्र में हुआ हो तो जातक इस गण के प्रभाव से शुभता और सौम्यता को पाता है. इस गण के प्रभाव से जातक ज्ञान प्राप्ति करने के लिए लगातार प्रयास भी करना चाहता है. व्यक्ति अपने अनुभवों को दूसरों के साथ बाम्टने वाला भी होता है. काम काज में लोगों के साथ ताल मेल बिठाने अपनी योजनाओं में कामयाब भी रहता है. खेलना और मनोरंजन के कामों में अधिक रुचि ले सकता है. चित्रकारी, शिल्पकारी,आदि कार्य करना लाभकारी होता है
इसमें चर नक्षत्रों के काम भी किये जा सकते है. इन नक्षत्रों में जन्मा जातक स्वतंत्र विचारों वाला लेकिन नियमों पर चलने वाला होता है. काम काज में व्यक्ति का नजरिया काफी प्रभावशाली होता है. कई मामलों पर दूसरों पर निर्भर भी हो सकता है. कई बार व्यक्ति अपनी सोच के साथ जब चल नहीं पाता है तो दूसरों के अनुरुप खुद को ढालने की भी कोशिश करता है.
देवगण नक्षत्र फल
देवगण नक्षत्र में के फलों में एक सकारात्मकता का भाव अधिक होता है. इस गण के प्रभाव में जन्म लेने वाला व्यक्ति सुंदर, दानी, बुद्धिमान, सरल स्वभाव, अल्पहारी और महान विद्वान होता है. जब देव गण नक्षत्र के जातक को अपने ही समान गण के साथी की प्राप्ति होती है तो दोनों के मध्य के बेहतर गठजोड़ होने की संभावना बनती है. अपने रिश्ते में दोनों ही पक्ष कोशिश करेंगे की किसी प्रकार से शांत भाव से समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करेंगे. एक दूसरे के साथ समान गण के होने पर वैचारिक मतभेदों की संभावना में भी कमी आती है.
गण मिलान कैसे करें
गण मिलान करते समय वर-वधू का एक समान गण होना सर्वोत्तम शुभ माना जाता है. एक समान गण होने पर पति-पत्नी दोनों में स्नेह और समन्वय बना रहता है. अगर किसी व्यक्ति का गणकूट देव-गण है, तो उसका विवाह देव-गण की कन्या या वर के साथ किया जा सकता है.
इसके अलावा देव-गण वर- या वधू का विवाह मनुष्य गण वर-या वधू के साथ भी किया जा सकता है. यह मिलान सामान्य मिलान की श्रेणी में रखा जाता है. कुन्डली मिलान में इस पर भी वर वधु का सामान्य गण मिलान हो जाता है.
इसके बाद भी एक मिलान होता है, जो देवगण और राक्षस गण वर या वधू का हो सकता है. इस प्रकार का मिलान होने पर इस मिलान को कोई अंक नहीं दिया जाता है. इस स्थिति में गण दोष माना जाता है. यह स्थिति शून्य देती है जिसमें किसी भी प्रकार की शुभता नही आ पाती है. इस स्थिति का त्याग करना ही उचित होता है.
गण दोष उपाय क्या है
किसी भी प्रकार में गण दोष का परिहार भी दिया गया है. अगर लड़के और लड़की की कुण्डली में राशि के स्वामियों में मित्रता हो तो इस दोष का परिहार हो जाता है. अगर कुण्डली में नाडी़ दोष नहीं है तो ऎसे में भी गण दोष का परिहार मान्य होता है.
गण दोष के प्रभाव से बचाव के लिए स्त्रियां भगवान शंकर और माता पार्वती की उपासना करें. इसके अतिरिक्त नीचे दिए गए म्म्त्र जाप भी इस दोष की शांति में बहुत सहायक बनते हैं -
"हे गौरि! शंक्डरार्धाड्रि यथा त्वं शंकरप्रिया।
तथा मां कुरू कल्याणि! कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।"
पुरुष जातक के लिए निम्न मंत्र का जाप करना उत्तम होता है. दिए गए मंत्र का जाप 45 दिन तक लगातार करने से सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति होती है -
"पत्नीं मनोरमां देहि मनो वृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसार सागस्य कुलोद् भवाम "