जानिए आषाढ़ माह के महत्व के बारे में विस्तार

आषाढ माह हिन्दू पंचाग का चौथा माह है. यह बरसात के आगमन और मौसम के बदलाव को दिखाता है. आषाढ़ मास भगवान विष्णु को बहुत प्रिय रहा है. इस माह में अनेकों उत्सव एवं पर्वों का आयोजन होता है. इस माह में भी अन्य माह की भांति दान का विशेष महत्व बताया गया है. इस माह के दौरान एकभक्त व्रत की महत्ता रही है. इस माह के दिन में वामन भगवान का पूजन होता है. छाता, खड़ाऊँ, और आँवले का दान किसी ब्राह्मण को करना अत्यंत शुभ एवं अमोघ फल प्रदायक होता है.

इस माह के विषय में प्रसिद्ध एक लोकमान्यता के अनुसार आषाढ माह में किसानों को खेतों में बीज रोपने से पहले किए जाने वाले कार्य पूर्ण कर लेने चाहिए. जिसे खेतों की जुताई के नाम से भी जाना जाता है. भारत के कई राज्यों में इस अवसर पर धार्मिक मेलों का आयोजन किया जाता है. इस माह की धार्मिक विशेषता इस माह के मध्य में उडीसा राज्य में पुरी की यात्रा का प्रारम्भ है. इसके अतिरिक्त इस माह में देवशयनी एकादशी भी आती है. जिसके बाद सभी धार्मिक और शुभ कार्यो बन्द कर दिये जाते है. इस अवधि में माना जाता है, कि देव शयन कर रहे होते है. इस माह में आने वाली अन्य एकादशी पद्या एकादशी है.

आषाढ़ माह में जन्मा जातक

जिस व्यक्ति का जन्म आषाढ माह में होता है वह अपने में मस्त रहने वाला. मन मर्जी के काम करने वाला होता है. व्यक्ति दूसरों को प्रभावित कर सकता है. वह व्यक्ति संतान सुख से युक्त होता है. जातक धार्मिक प्रवृति का होता है. वह अपने कार्यों द्वारा सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने की योग्यता रखता है. आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति अचानक से घाटे की स्थिति को झेलता है. जातक बुद्धिमान और परिश्रमी होता है. कई मामलों में चालाई से काम निकलवाने की योग्यता भी रखता है.

प्रेम संबंधों के प्रति जातक संवेदनशील होता है. इस कारण जल्द से रिश्ते में जुड़ सकते हैं. लोग इन्हें धोखा भी दे सकते हैं. मन से चंचल रहने वाला होगा. हर पल कुछ नया करने की इच्छा भी रख सकता है. मित्रों के साथ मिलकर आगे बढ़ने वाला और अपनी ओर से उनके लिए सदैव मददगार भी होता है. जातक को घूमने-फिरने और पर्यटन का शौक होता है. प्राकृतिक स्थानों की यात्रा करना वन और पहाडी क्षेत्रों में जाना अच्छा लगता है. धर्म स्थलों की यात्रा का इन्हें बहुत ही आनंद होता है.

स्वास्थ्य सामान्य रहता है लेकिन मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रह सकती है. जातक को संक्रमण से ग्रसित होने की संभावना भी अधिक रहती है. जातक को जोड़ों में दर्द भी परेशान कर सकता है.

आषाढ़ माह के व्रत व त्यौहार

आषाढ़ माह के दौरान बहुत से व्रत एवं उत्सव संपन्न होते हैं. इस माह में आने वाले त्यौहार में ऋतु में होने वाले परिवर्तन से बचने के लिए बहुत से उपाय भी होते हैं, जो स्वास्थ्य को उत्तम रखते हैं और रोगों से बचाव भी करते हैं. ये सभी त्यौहार धार्मिक और वैज्ञानिक तर्क पर एकदम सही ठहरते हैं.

जगन्नाथ रथयात्रा

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन होता है. इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ जी, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियाँ को रथ में ले जाया जाता है और धूम-धाम से इस रथ यात्रा का आरंभ होता है. यह पर्व पूरे नौ दिन तक जोश एवं उत्साह के साथ चलता है. इस भव्य समारोह में में भाग लेने के लिए प्रतिवर्ष दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु यहां पर आते हैं.

वैवस्वत सूर्य सप्तमी

शुक्ल पक्ष की सप्तमी को वैवस्वत सूर्य की पूजा होनी चाहिए, जो पूर्वाषाढ़ को प्रकट हुआ था. ये सप्तमी व्यक्ति को आरोग्य प्रदान करने वाली होती है. व्यक्ति परिवार और सुख को पाता है.

आषाढ़ पूर्णिमा

आषाढ़ पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस पूर्णिमा का पर्व बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है. इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन और श्री विष्णु भगवान की पूजा की जाती है. यह पूर्णिमा हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली है. हमारे भीतर ज्ञान का संचार भी करती है.

आषाढ़ माह एकादशी

आषाढ़ माह के दौरान दो एकादशी आती हैं जिसमें से एक योगिनी एकादशी होती है और एक हरिशयन एकादशी. जिसमें से हरिश्यनी एकादशी विशेष महत्व रखती है, मान्यता अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिये पाताल लोक में निवास करते है और इसी रात्रि से चातुर्मास का प्रारंभ भी हो जाता है.

गुप्त नवरात्रे

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से गुप्त नवरात्रों का आरंभ होता है. ये गुप्त नवरात्रे तंत्र और साधना के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. इन गुप्त नवरात्रों में देवी के विभिन्न रुपों की पूजा होती है. दस महाविद्या पूजन के लिए ये नवरात्र संपन्न होते हैं. गुप्त नवरात्र की गोपनीयता इस कारण रही है क्योंकि इस समय पैशाचिक, वामाचारी, क्रियाओं को किया जाता है. इस समय पर इनका पूजन जल्द ही फल देने वाला होता है. इस दौरान महाकाल एवं काली की पूजा की जाती है और साथ ही डाकिनी, शाकिनी, शूलिनी आदि की साधना की जाती है.

आषाढ़ अमावस्या

इस दिन यम की पूजा एवं अपने पूर्वजों के लिए दान एवं पूजा करने का मह्त्व होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का उपाय जीवन में खुशहाली लाता है और जातक को सुख की प्राप्ति होती है. पापों का नाश होता है.

विशेष: -

प्रत्येक माह की भांति ही इस माह के विषय में ग्रंथों में बहुत कुछ लिखा गया है. जो भी नियम या जो कुछ भी इस माह करने को बताया गया है वह सभी कुछ शुभ फल देने योग्य है. जीवन को सकारात्मकता भी मिलती है और बदलाव से लड़ने की शक्ति और सामर्थ्य भी मिलता है.