शंख- धनुष- पाश- दाम- वीणा योग
ज्योतिष में अनेकों योग हैं और इन योगों की संख्या भी हजारों में है. ऎसे में कोई न कोई शुभ या अशुभ योग जातक की कुण्डली में बनता ही है. ये योग जातक के प्रारब्ध का ही प्रभाव होता हैं जो आने वाले जीवन को भी प्रभावित करते हैं. इन योगों द्वारा व्यक्ति का भविष्य एवं उसके कर्मों के बारे में जानने में भी बहुत सहायता मिलती है.
शंख योग भी सरस्वती योग की तरह उत्तम स्तर के शिक्षा योगों में आता है. ये दोनो योग यानि के शंख योग और सरस्वती योग अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में एक साथ बनते हैं, तो व्यक्ति योग्य, कुशल और विद्वान होता है. ऎसे व्यक्ति के विद्वता का लाभ अनेक लोगों को प्राप्त होता है.
शंख योग कैसे बनता है
जन्म कुण्डली में जब लग्न भाव से पंचमेश और षष्ठेश परस्पर केन्द्र स्थानों में हो, लग्न पर कोई पाप ग्रह की दृष्टि न हो और लग्नेश भी सबल हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ शिक्षा प्राप्त करता है. अपने नाम के अनुरुप ही यह योग जातक में अपने लक्ष्य के प्रति सजग रहना सिखाता है. जातक कोई भी काम करे उसमें एकाग्रता रहती ही है.
शंख योग के प्रभाव से व्यक्ति को समाज में समान मिलता है. उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है. वह अपनी मेहनत से आगे बढ़ता और अपने लक्षय को पाने में सफल भी होता है. उच्च शिक्षा को पा सकता है. जो शिक्षा प्राप्त करता है उसमें अपने कैरियर को भी आगे ले जा सकने में सामर्थ रखता है.
धनुष योग
धनुष योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है, उस व्यक्ति कि निगाहें सदैव अपने लक्ष्यों पर होती हैं. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सफल होने की संभावनाएं बढ जाती है. अपने कार्यों के प्रति वह जिम्मेदारी का निर्वाह करने का इच्छुक भी रहता है.
काम के प्रति गंभीर और मेहनत करने वाला होता है. जातक का संघर्ष ही उसे सफलता दिलाने में सहायक भी होता है. स्वभाव से कुछ कठोर हो सकता है लेकिन उसकी ये कठोरता ही उसे समाज में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बनाने में भी सहायक होती है, लोग उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं. वह अपने मनोकूल काम करता है. कुछ जिद्दी हो सकता है पर अपनों के प्रति प्रेम भाव रखता है. जिनसे प्रेम करता है उनके लिए अपना सब कुछ त्याग भी सकता है.
धनुष योग कैसे बनता है
धनुष योग को चाप योग भी कहते है. जब दशम भाव से लेकर चतुर्थ भाव तक लगातार सारे ग्रह स्थित हों, तो धनुष योग बनता है. ऎसा व्यक्ति चुस्त, चालाक, झूठ बोलने में निपुण, युक्ति से काम निकालने वाला अथवा किसी गुप्तचर विभाव में कार्य करने वाला होता है. उस व्यक्ति की रुचि तान्त्रिक विद्याओं में भी होती है.
पाश योग
पाश योग एक प्रकार के बंधन को दिखाता है. ये बंधन जातक की जिंदगी में किसी भी रुप में सामने आ सकता है. जातक को अपने लोगों के कारण बंधन हो सकता है या फिर घर की परिस्थितियों के कारण या उसके जीवन में कोई न कोई ऎसी घटना घटित होती है जो इस स्थिति की ओर इशारा करती दिखाई देती है. पाश योग का प्रभाव जातक के जीवन में किसी न किसी कारण पड़ सकता है.
कभी न कभी और किसी न किसी कारण व्यक्ति को ऎसी स्थिति का अनुभव होता है जिसके कारण उसे लगता है की वह किसी प्रकार के पाश में जकड़ा हुआ है. किसी चीज की गिरफ्त में है और उससे भागने या बच पाने की स्थिति उसके सामने नहीं है. यह खराब योग की श्रेणी में आता है. ऎसे में इस योग के कारण व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रुप से तनाव को झेलता है.
पाश योग कैसे बनता है
जब किन्हीं पांच राशियों में सभी ग्रह हो तो पाश योग बनता है. इस योग वाला व्यक्ति चतुर, चालाक और बडे कुटुम्ब वाला होता है. ऎसे व्यक्ति को पुलिस या किसी अन्य सरकारी कार्यालय में काम प्राप्त होता है, और व्यक्ति सदैव धन कमाने की धुन में लगा रहता है.
दाम योग
दाम योग के प्रभाव से जातक की शिक्षा उत्तम होती है. उसे अपने मित्रों का सहयोग मिलता है. जातक को घूमने और जीवन को आनंद से बिताने के अनेकों मौके भी मिलते हैं. अपने काम-काज में वह बेहतर स्थिति तक पहुंचता है. व्यक्ति नेतृत्व करने वाला, परिवार में मुखिया की भूमिका निभाने वाला. अपने कार्यों से समाजिक रुप से विख्यात होता है. अपने माता-पिता और परिवार का सहयोग उसे मिलता है.
पर अगर इस योग के निर्माण में कुण्डली के दुस्थानों का प्रभाव अधिक हो, तो ऎसे में शुभ योग के सभी परिणाम पूर्ण रुप से नहीं मिल पाते हैं. किसी न किसी कारण से इस योग के मिलने पर अटकाव बने रहते हैं, क्योंकि ऎसा होने पर जीवन में संघर्ष की स्थिति अधिक बढ़ जाती है.
दाम योग कैसे बनता है
जब कुण्डली में सभी ग्रह किन्हीं 6 राशियों या 6 भावों में हों तो दाम योग बनता है. दाम योग से युक्त व्यक्ति धर्मात्मा, परोपकारी, लोकप्रिय, धनवान, पुत्रवान व अपने क्षेत्र में सम्मान प्राप्त करता है. इस योग को शुभ योग की श्रेणी में आता है. यदि कुण्डली में सभी ग्रह शुभ भावों में स्थित हों तो उसके प्रभाव से जातक को इस योग के उत्तम फायदे मिलते हैं. जातक धन धान्य से भरपूर जीवन जीता है. वह वाहन वस्त्र इत्यादि चीजों का लाभ उठाता है.
वीणा योग
विणा योग भी शुभ योग की ही श्रेणी में स्थान पाता है. इस योग की शुभता जातक में संस्कारों और सौम्यता को प्रदान करती है. जिस प्रकार नारद जी की विणा सदैव प्रभु नारायण के नाम का जाप करती है, उसी प्रकार जातक भी विणा की भांति सुंदर मधुर व्यक्तित्व का और शुभ विचारों वाला होता है.
वीणा योग कैसे बनता है
जब सभी ग्रह किन्हीं 7 राशियों में हों, तो ऎसा व्यक्ति धनवान और राजनीति में कुशल होता है. उसकी कला और संगीत में रुचि होती है. केन्द्र और त्रिकोण स्थानों पर बन रहा यह योग व्यक्ति को समाज में सम्मान और लोगों के मध्य प्रसिद्ध दिलाने वाला होता है. जातक की व्यवहार कुशलता सभी को प्रभावित करती है.