7वां भाव-विवाह भाव क्या है. | Jaya Bhava Meaning | Seventh House in Horoscope | 7th House in Indian Astrology
कुण्डली के सांतवें भाव को विवाह भाव या जया भाव के नाम से जाना जाता है. यह भाव व्यक्ति के जीवन साथी की व्याख्या करता है. इसके अतिरिक्त इस भाव से यौनाचार की इच्छायें, विवाह, विदेश यात्रायें, संतान, सामान्य खुशियां, व्यापारिक साझेदारी, रोगों से मुक्ति, आम लोगों व जनसमूह से संबन्ध, मुकदमेबाजी, दूसरा जीवन साथी, खोई भी संपति की पुन: प्राप्ति, सक्रिय उर्जा, हार्निया, यौनरोग, कूटनीति और विदेश में सम्मान, व्यापार और दाव लगाना, वैवाहिक खुशियां, चोरी, चोर का विवरण, विदेशी मामले, समाज में पारस्परिक सम्बन्ध, सामाजिक और आधिकारिक प्रतिष्ठा, गोद लिया हुआ पुत्र, सौतेले बच्चें.
सप्तम भाव का कारक ग्रह कौन है. | What are the Karaka Planets of 7th Bhava
सप्तम भाव का कारक्ग्रह शुक्र है. इस भाव से मंगल यौन आचार प्रकट करता है.
सप्तम भाव से स्थूल रुप में किस विषय का विश्लेषण किया जाता है. | What does the House of Marriage Bhava Explain.
सप्तम भाव से विशेष रुप से साझेदारों का विचार करने के लिए देखा जाता है.
सप्तम भाव से सूक्ष्म रुप में किस विषय का विचार किया जाता है. | What does the House of Marriage accurately explains.
सप्तम भाव सूक्ष्म रुप में काम भाव के रुप में देखा जाता है.
सप्तम भाव से कौन से सगे-सम्बन्धी प्रकट होते है. | Marriage's House represents which relationships.
सप्तम भाव से जीवन साथी, शत्रु, सौतेले, बच्चे, व्यापारिक, साझेदार,द्वेष, दूसरी संन्तान आदि सम्बन्ध देखे जाते है.
सप्तम भाव शरीर के कौन से अंगों का प्रतिनिधित्व करता है. | 7th House is the Karak House of which body parts.
सप्तम भाव से गर्भाशय, ब्लेडर, अण्डाशय, मूत्रमार्ग, मूत्र सम्बन्धित अंग, गुदा मार्ग, वीर्य, पेट और जांघ के बीच के भाग का विश्लेषण किया जाता है. द्रेष्कोणौं के अनुसार इस भाव से मुंह, नाभि और पांवों का विचार किया जाता है.
सप्तम भाव के अन्य कौन से नाम है. | 7th House other's Name
सप्तम भाव कलत्रभाव, कामस्थान, मारकस्थान, द्विस्वभाव लग्न के लिए बाधक स्थान के रुप में जाना जाता है.
सप्तमेश का अन्य भाव स्वामियों के साथ परिवर्तन योग से किस प्रकार के फल प्राप्त होते है. | 7th Lord Privartan Yoga Results
सप्तमेश और अष्टमेश का परिवर्तन योग होने पर अशुभ योग बनता है. इस योग से व्यक्ति के जीवन साथी की मृ्त्यु होती है. उसका सुखहीन पारिवारिक जीवन हो सकता है.
सप्तमेश और नवमेश परिवर्तन योग व्यकि को सुखी वैवाहिक जीवन देता है. ऎसे व्यक्ति को व्यवसाय और व्यापार में सफलता प्राप्त होती है. इस योग से युक्त व्यक्ति और उसका जीवन साथी दोनों ही धार्मिक आस्था युक्त होते है.
सप्तमेश और दशमेश परिवर्तन योग बना रहे हों, तो व्यक्ति व्यवसाय व व्यापार से लाभ प्राप्त करता है. उसे व्यापार में जीवन साथी और साझेदार दोनों का सहयोग प्राप्त होता है.
सप्तमेश और एकादशेश परिवर्तन योग में शामिल हों, तो व्यक्ति को जीवन साथी के सहयोग से लाभ होता है. विदेशी व्यापार में भी उसे सफलता मिलती है. इस योग वाले व्यक्ति को नौकरी करने से बचना चाहिए.
सप्तमेश और द्वादशेश परिवर्तन योग बनायें, तो व्यकि को जीवन साथी को खोना पड सकता है. व्यापारिक साझेदार मध्य में छोडने पड सकते है. और विदेश में विवाह हो सकता है. इस योग के व्यक्ति को विदेश में यात्रायें, व जीवन साथी पर व्यय करने के योग बनते है.
सांतवा भाव या सप्तमेश के साथ अन्य ग्रहों का सम्बन्ध होने पर बनने वाले योग
सांतवा भाव या इसके स्वामी अगर दूसरे या ग्याहरवें भाव से सम्बन्धित हों, तो व्यक्ति के विवाह के बाद उसकी आर्थिक स्थिति प्रबल होती है.
कुण्डली का तीसरे, छ्ठे, दशवें व ग्यारहवें भाव में स्थित सप्तमेश व्यक्ति को विवाह के बाद भाग्यवान बनाता है.
सांतवें भाव में राहू, शुक्र, मंगल प्रेम विवाह के योग बनाते है.
नीचभंग राजयोग बनाने वाला सप्तमेश निर्धन परिवार का जीवन साथी देता है.
सांतवें भाव में वृ्श्चिक राशि का शुक्र या सांतवें भाव में वृषभ राशि का बुध साझेदार से हानि के योग बनाता है.
सातवें भाव में एक धीमी गति का ग्रह और साप्तमेश एक धीमी के ग्रह के साथ युति कर रहे हो, तो व्यक्ति का विवाह देरी से होता है.