खगोल और मानक रेखाएँ | Celestial and Standard Lines
वर्तमान समय में कुण्डली बनाना बहुत ही आसान कार्य है. किसी भी व्यक्ति के जन्म का विवरण आप कम्प्यूटर में डालकर क्षण भर में कुण्डली का निर्माण कर सकते हैं. लेकिन यदि आप स्वयं कुण्डली बनाने का अभ्यास करेगें तो आपको और भी रुचिकर लगेगा. यदि कहीं आवश्यकता पडी़ तो आप कुछ समय में ही कुण्डली बना सकते हैं. इसके लिए आपको खगोल के कुछ सिद्धांतों को समझना होगा. साथ ही आपको गणित के कुछ नियमों को समझना होगा. आइए सर्वप्रथम खगोलीय भाषा को समझने का प्रयास करें. Picture बनानी है खगोलीय गोले की
देशांतर रेखाएँ | Longitude
देशांतर रेखाएँ, मानक देशांतर से स्थान विशेष की कोणीय दूरी है. कोई भी स्थान मानक देशांतर से कितना पूर्व अथवा कितना पश्चिम में स्थित है, वह देशांतर कहलाता है. विद्वानों ने एकमत होकर एक स्थान विशेष को निर्धारित कर दिया है. उस स्थान को ग्रीनवीच के नाम से जाना जाता है. ग्रीनवीच से किसी भी स्थान विशेष की पूर्व या पश्चिम की ओर दूरी ही देशांतर कहलाता है. इसके अतिरिक्त हर देश की अपनी मानक मध्यान्ह रेखा भी है. जिसका उपयोग स्थानीय समय संशोधन के लिए किया जाता है. picture बनानी है.
अक्षांश रेखाएँ | Latitude
भूमध्य रेखा से कोई स्थान कितना उत्तर अथवा कितना दक्षिण में स्थित है वह दूरी अक्षाँश कहलाती है. आप इसे इस प्रकार भी समझ सकते हैं कि जिस स्थान की कुण्डली बनानी है, भूमध्य रेखा से उस स्थान की उत्तर या दक्षिण की ओर कोणीय दूरी अक्षाँश कहलाती है अथवा क्रांति पथ से किसी ग्रह की उत्तर या दक्षिण की ओर कोणीय दूरी अक्षाँश कहलाती है. Picture बनानी है.
राशिचक्र | Zodiac
आसमान में बारह राशियाँ बारी-बारी से प्रकट होती हैं. बारह राशियों का पथ एक काल्पनिक पट्टे के समान माना गया है. यह काल्पनिक पट्टा राशिचक्र(Zodiac) कहलाता है. सूर्य का विस्तारित पथ क्रांतिवृत्त कहलाता है अर्थात सूर्य जिस पथ पर भ्रमण करता है और जिससे रात-दिन बनते हैं वह पथ क्रांतिवृत्त कहलाता है. वास्तविकता में पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है. परन्तु गणितीय गणना तथा खगोलीय भाषा का अध्ययन करने के लिए हम सूर्य के विस्तारित पथ की बात करते हैं.
क्रांतिपथ के दोनों ओर 9 डिग्री के अंतर पर जो पट्टी प्राप्त होती है, वह राशिचक्र कहलाती है. पूरा राशिचक्र 360 डिग्री का होता है. राशिचक्र के बारह भाग किए जाने पर बारह राशियाँ प्राप्त होती हैं. एक राशि का एक भाग 30 डिग्री का होता है. राशिचक्र के 27 भाग कर दिए जाएँ तो 27 नक्षत्र हो जाएंगें. एक नक्षत्र का मान 13 डिग्री 20 मिनट का होगा. इस प्रकार हर राशि में सवा दो नक्षत्र होते हैं या हम कह सकते हैं कि एक राशि में नौ नक्षत्र चरण होते हैं. Picture बनानी है
सम्पात बिन्दु | Equinoctial Point
भचक्र पर क्रांतिपथ तथा विषुवत रेखा दोनों एक - दूसरे को दो विभिन्न बिन्दुओं पर काटती है. इन बिन्दुओं को सम्पात बिन्दु कहते हैं. वर्ष में सूर्य दो बार इन सम्पात बिन्दुओं से गुजरता है. जब सूर्य इन सम्पात बिन्दुओं से गुजरता है तब रात-दिन बराबर होते हैं. वह दो दिन हैं - 21 मार्च और 23 सितम्बर. इन दोनों दिनों में रात और दिन की अवधि बराबर होती है. picture बनानी है.
पाश्चात्य ज्योतिष तथा भारतीय ज्योतिष में थोडा़ अंतर है. भारतीय ज्योतिष में चित्रा तारे से राशियों की शुरुआत मानी जाती है. इस पद्धति में मेष राशि का आरम्भ चित्रा तारे से 180 डिग्री की दूरी अथवा चित्रा तारे के विपरीत माना गया है. सन 285AD में इस बात की खोज की गई कि बसन्त सम्पात बिन्दु हर साल 50 सेकण्ड के हिसाब से पीछे खिसक रहा है. इस कारण भारतीय ज्योतिष मेष राशि का आरम्भ चित्रा तारे के विपरीत से मानते हैं.
इसके विपरीत पाश्चात्य ज्योतिष में बसन्त सम्पात बिन्दु से राशिचक्र का प्रारम्भ माना जाता है अर्थात मेष राशि का आरम्भ बसन्त सम्पात बिन्दु से होता है.
(क) बसन्त सम्पात बिन्दु से जो राशिचक्र प्रारम्भ होता है, उसे परिवर्तनशील राशिचक्र(Movable Zodiac) कहते हैं.
(ख) जो राशिचक्र एक स्थिर बिन्दु से प्रारम्भ होता है, उसे स्थिर राशिचक्र(Fixed Zodiac) कहते हैं. भारतीय ज्योतिष में स्थिर राशिचक्र का प्रयोग किया जाता है.
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