जानिए कुण्डली में धन योग कैसे बनता है

घर में बालक का जन्म् होने पर बालक की कुण्डली बनवाई जाती है. कुण्डली में ग्रहों की स्थिति से बन रहे योगों की जानकारी प्राप्त की जाती है. (sematext) तथा सभी शुभ – अशुभ योगों के अलावा कुण्डली में बन रहे धन योगों का भी विश्लेषण कराया जाता है. प्रत्येक व्यक्ति को यह जानने की जिज्ञासा रहती है, कि उसकी कुण्डली में धन से संबन्धित किस प्रकार योग है. आईये आज के इस अध्याय में हम धन योगों कैसे बनते है. इस विषय का विचार करेंगे.

धन योग कैसे बनते है

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जन्म कुण्डली में दूसरे भाव को धन भाव कहा जाता है. एकादश भाव को लाभ भाव कहा जाता है. इन दोनों का एक दूसरे के साथ संबंध एक अच्छा धन योग बनाता है. धन भाव, लग्न, भाव, पंचम भाव, नवम भाव और एकादश भाव का आपस में राशि परिवर्तन करना धन योग का बनाता है. यह निम्न 10 प्रकार से बन सकता है.

धन योग के प्रकार

  • लग्नेश और द्वितीयेश एक राशि में स्थित हों 
  • लग्नेश और पंचमेश एक राशि में स्थित हों 
  • लग्नेश और नवमेश एक राशि में स्थित हों 
  • लग्नेश और एकादशेश एक राशि में स्थित हों 
  • द्वितीयेश और पंचमेश एक राशि में स्थित हों 
  • द्वितीयेश और नवमेश एक राशि में स्थित हों 
  • द्वितीयेश और एकादशेश एक राशि में स्थित हों 
  • पंचमेश और नवमेश एक राशि में स़्थित हों 
  • पंचमेश और एकादशेश एक राशि में स्थित हों 
  • नवमेश और एकादशेश एक राशि में स्थित हों 
  • उपरोक्त में से किसी भी प्रकार से योग अगर कुण्डली में बनता है, व्यक्ति को धन प्राप्ति के योग बनते है. यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के पक्ष से शुभ योग है.

    धन योग फल

    धन योग से युक्त व्यक्ति सतगुणी होता है. वह दयावान, धनवान और सुख-संमृ्द्धि से परिपूर्ण होता है. ऎसा व्यक्ति तेजस्वी, देवभक्त भी होता है. जन्म कुण्डली में बनने वाला धन योग कितना मजबूत है और कितना कमजोर है, इस बात को समझने की आवश्यकता भी होती है.

    कुण्डली में जिस ग्रह के प्रभाव द्वारा धन योग बन रहा है वह ग्रह कितना बली है और उस पर किन शुभ अथवा अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ रहा है इस बात को समझने की आवश्यकता होती है. यदि धन योग केन्द्र और त्रिकोण के स्वामियों से बन रहा है तो इन ग्रहों पर यदि शत्रुओं का प्रभाव पड़ रहा हो या ग्रह स्वयं वक्री हो या निचस्थ हो तो धन योग की स्थिति कमजोर पड़ने लगती है.

    इसी के साथ यदि शुभ ग्रहों का प्रभाव इस योग में बनता है तो धन योग का फल जातक को बहुत अच्छे फल देने वाला होगा.

    जन्म कुण्डली में अन्य धन योग फल

    आपको धन किस प्रकार मिलेगा यह बात भी ध्यान देने योग्य है. कई बार धन कठोर मेहनत से मिलता है, कई बार गुप्त रुप से धन की प्राप्ति होती है, पैतृक संपति से धन योग का निर्माण होना. दूसरा घर धन, खजाना दिखाता है तो आठवां भाव गढ़ा अथवा गुप्त धन की प्राप्ति को दर्शाता है.

    जन्म कुंडली में अगर दूसरे भाव पर केन्द्र त्रिकोण के स्वामी ग्रह स्थित हों, शुभ ग्रह स्थित हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो इस कारण व्यक्ति की कुण्डली में अच्छा धन योग बनता है.

    जन्म कुण्डली के दूसरे भाव पर अष्टम में शनि की मित्र दृष्टि आ रही हो और तो जातक को पैतृक संपत्ति से धन योग की अच्छी प्राप्ति होती है.

    जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी और पंचम या नवम भाव का स्वामी एक साथ इन्हीं शुभ भावों में बैठे हुए हों तो व्यक्ति को बहुत अच्छा प्रबल धन योग मिलता है.

    कुंडली में द्वितीय भाव में वृषभ राशि का चंद्रमा स्थित हो तो यह स्थिति भी व्यक्ति को धन योग देती है. यदि चंद्रमा शुभ भाव का स्वामी हो और शुभ ग्रहों से प्रभावित हो तब धन योग का भरपूर फायदा मिलता है. इसके विपरित यदि चंद्रमा खराब ग्रहों का स्वामी होकर यहां स्थित हो और पाप प्रभाव से ग्रसित हो तो धन व्यर्थ अधिक होता है.

    जन्म कुण्डली में यदि कुछ शुभ योग बने जैसे की महाभाग्य योग, गजकेसरी योग, लक्ष्मी योग इत्यादि तो इस स्थिति में भी धन योग अपना शुभ फल देने में बहुत सहायक बनता है.