कमल-पक्षी-गदा योग का फल
कमल योग नभस योगों की श्रेणी में आता है. भिन्न भिन्न राशियों में ग्रहों की स्थिति से नभस योग बनते है. नभस योग 1800 प्रकार से बनते है. इन योगों के नाम इनके द्वारा बनने वाली आकृति के अनुरुप रखे गये है. जैसे- कुण्डली में ग्रह अगर गोलाकार आकृति में स्थित हो तो गोल योग बनता है. इन्हीं मे से एक योग कमल योग है.
कमल योग कैसे बनता है
कुण्डली में जब सभी ग्रह लग्न से चारों केन्द्र स्थानों अथवा 1, 4, 7, 10 भावों में हो तो देखने में यह आकृति कमल के समान प्रतीत होती है. इसी कारण इस योग को कमल योग कहते है. इस योग वाला व्यक्ति दीर्घायु और सदाचारी होता है. वह धर्म नियमों का पालन करताहै. उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाओं कि प्राप्ति होती है. इसके साथ ही वह अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध भी होता है.
कमल योग का फल
जन्म कुण्डली में बनने वाला कमल योग एक शुभ योग की श्रेणी में आता है. इस योग में यदि शुभ ग्रहों की अधिकता हो तो इस योग के बहुत ही शुभ फल प्राप्त होते हैं. कमल योग के प्रभाव से व्यक्ति को आभुषण एवं वस्त्र इत्यादि की प्राप्ति होती है. व्यक्ति नेतृत्व कर पाता है और लोगों के मध्य अपनी एक प्रभावशालि छवि को बनाता है.
जातक को अपने परिवार का प्रेम और सहयोग मिलता है. शिक्षा और व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता मिलती है. राज्य की ओर से अथव अवरिष्ठ अधिकारी वर्ग की ओर से जातक सम्मान और उच्च स्थान भी पाता है. जातक को प्रेम और सुख की प्राप्ति होती है. विवाह का सुख पाता है. संबंधों में अगर कोई परेशानी भी हो तो मित्रों के सहयोग से उसे बहुत सहयोग मिलता है.
कमल योग में शुभ ग्रहों का होना शुभता बढ़ाता है अन्यथा यहां पाप ग्रहों की स्थिति होने पर जातक को इस फल का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है. ऎसी स्थिति में व्यक्ति को मिलेजुले परिणाम मिलते हैं.
पक्षी योग कैसे बनता है
कुण्डली में जब सभी ग्रह लग्न से चतुर्थ और दशम भाव में स्थित हो तो पक्षी जैसी आकृति बनती है. इस प्रकार बनने वाली आकृति के कारण यह योग पक्षी योग कहलाता है. इस योग का एक अन्य नाम विहंग योग भी है.
पक्षी योग फल
जिस व्यक्ति की कुण्डली में पक्षी योग होता है. वह चर प्रकृति का होता है. वह एक स्थान पर अधिक समय तक टिक कर नहीं रह पाता है. इस योग वाला व्यक्ति पक्षी की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर उडता या भागता रहता है. साधारणतया ऎसा व्यक्ति परिवहन संचार या संप्रेक्षण संम्बन्धि क्षेत्रों से जुडा होता है. या फिर उसका कार्य ऎसा होता है, कि उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर बार-बार जाना पडता है.
जातक में संघर्ष करने की प्रवृति होती है. वह अपने बल पर आगे बढ़ता है. विरोधियों का दबाव भी अधिक झेलता है. अपनों का साथ बहुत अधिक नही मिल पाता है. कार्यक्षेत्र में अधिक व्यस्त रहता है. जीवन को बेहतर बनाने और सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है.
गदा योग
गदा योग में ग्रह कुण्डली में गदा कि आकृति लिए हुए स्थित होते है. गदा योग नभस योगों की श्रेणी में आता है. इस योग से युक्त व्यक्ति शारीरिक बल वाला होता है. उसमें साहस भाव पाया जाता है.
गदा योग कैसे बनता है
जब सभी ग्रह, लग्न से किन्ही भी दो आस-आस के केन्द्र स्थानों में हों, जैसे लग्न भाव और चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव और सप्तम भाव में हों तो गदा योग बनता है. गदा योग होने पर व्यक्ति विद्वान होता है. वह अपनी मेहनत पर विश्वास रखता है, तथा अपनी मेहनत के बल पर वह धनी होता है. गदा योग से युक्त व्यक्ति को जोखिम लेकर कार्य करना पसन्द हो सकता है.
गदा योग फल
गदा योग के प्रभव से व्यक्ति आशावान होकर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा पाता है. जातक अपने पुरुषार्थ से अपना भाग्य निर्मित करता है. शास्त्र और धर्म का जानकार होता है. कलात्मक एवं रचनात्मकता से युक्त होता है. सदैव आजीविका प्राप्ति में लगा रहने वाला. परिवार के प्रति दायित्व निभाने वाला होता है. जिस प्रकार गदा का उपयोग शत्रुओं का नाश करने के लिए और संकट से बचाव के लिए एक शस्त्र रुप में किया जाता है. उसी प्रकार इस का जन्म कुण्डली में बनना भी जातक को शत्रुओं से बचाने वाला होता है.
गदा योग के शुभ प्रभाव से व्यक्ति प्रत्योगिताओं में सफलता पाता है. जातक में किसी भी संकट का सामना करने का साहस भी होता है. अपने लोगों का एवं किसी भी संगठन का नेतृत्व करने में कुशल भी होता है.