गर करण
गर करण को चर करणों की श्रेणी में आता है, हिन्दू पंचाग के पांच अंग है, इसमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण है, व कुल 11 करण है, इसमें से प्रारम्भ के सात करणों की आवृति होती रहती है. शेष चार करण स्थिर है.
गर करण- स्वामी
गर करण के स्वामी पृथ्वी को माना गया है. पृथ्वी के प्रभाव से गर करण में सहनशीलता और धैर्य का गुण आता है. जिस जातक का जन्म गर करण में हुआ हो, और उस व्यक्ति को मानसिक, आर्थिक अथवा स्वास्थ्य संबन्धी किसी प्रकार की कोई परेशानी रहती हो, ऎसे में जातक के लिए इस करण के स्वामी पृथ्वी का पूजन करना अत्यंत लाभदायक होता है.
गर करण कब होता है
गर करण करण एक गतिशील करण है. यह चलायमान रहता है. तिथि में ये करण बार-बार आता है. यह एक सौम्य करण माना गया है. अस्थिर करण होने पूर्णिमा और अमावस की तिथियों को छोड़ कर बाकी तिथियों की गणना के अनुरुप आता रहता है.
गर करण-चरसंज्ञक करण
गर करण चरसंज्ञक है. शेष अन्य चरसंज्ञक करणों में बव, बालव, कौलव, तैतिल, वणिज और विष्टि है. बाकी के बचे हुए चार करण शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न ध्रुव करण कहलाते है.
गर करण में क्या काम करें
गर करण को शुभ करण की श्रेणी में रखा गया है. इस करण में शुभ एवं मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं. यह करण किसी काम के शुरु करने या किसी यात्रा को करने के लिए लिया जा सकता है. गर करण में व्यक्ति को कामों को पूरा करने का मौका भी मिलता है. इस समय पर व्यक्ति अपनी जीत के लिए बहुत अधिक प्रयसशील रहता है.
अगर कोई काम अटका हुआ है तो इस करण के दौरान उस काम के लिए प्रयास करने से लाभ मिलने की उम्मीद बंध जाती है. व्यक्ति साहस और मेहनत से भरे कामों को कर सकने में भी सक्षम होता है.
गर करण का मुहूर्त में महत्व
मुहूर्त निकालने के लिए गर करण को उपयोग में लिया जाता है. इस करण के दौरान व्यक्ति शुभ काम जैसे की घर निर्माण, प्रतियोगिता में शामिल होना, विवाह, प्रेम प्रसंग, किसी काम का आरंभ, गृह प्रवेश, भूमि संबंधी इत्यादि काम कर सकता है.
गर करण व्यक्ति कैरियर
गर करण में जन्म लेने वाले व्यक्ति को भूमि और भूमि से प्राप्त वस्तुओं के क्रय-विक्रय से आय प्राप्त होती है. जो व्यक्ति गर करण में जन्म लेता है, ऎसा व्यक्ति खेतीबाडी के क्षेत्र को भी अपने कैरियर के रुप में अपना सकता है. इस करण में जन्में व्यक्ति को अपनी माता से प्राप्त होने वाले सुख में कमी रहती है. वह घर-परिवार के साथ कम ही रह पाता है.
जीवन का अधिकतर समय उसे घर से दूर रहकर ही गुजारना पडता है. घर के कार्यो को वह तत्परता के साथ करता है. अपनी पारीवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने को वह सबसे अधिक महत्वता देता है. व्यक्ति में महत्वकांक्षा का गुण होता है. जीवन में उसकी जो भी इच्छा होती है, अथवा जीवन में वह जो भी प्राप्त करना चाहता है, उसे अपनी मेहनत से प्राप्त होती है.
गर करण में जन्मा जातक
गर करण के वाहन गज माने जाते हैं. इस करण में जन्मा जातक मस्त और मन मौजी अधिक हो सकता है. जातक को अपने माता-पिता का प्रेम मिलता है. परिजनों का सहयोग पाकर वह आगे बढ़ता है. इस करण में जन्मा व्यक्ति कर्मठ होता है. मेहनत से अपने काम करने वाला और परिश्रम से भाग्य का निर्माता बनता है.
जातक धर्म परायण और नीति नियमों को समझने वाला होता है. कर्म की महत्ता को समझने वाला और भाग्य का निर्माण करने के लिए प्रत्यनशील होता है. न्याय प्रिय होता है और शत्रुओं का नाश करने वाला होता है. जातक बोल चाल में निपुण और वाद विवाद में आनंद लेने वाला होता है.