9th भाव-भाग्य भाव क्या है | Bhagya Bhava Meaning | Navam House in Horoscope | 9th House in Indian Astrology
नवम भाव धर्म का भाव है. इस भाव से सौभाग्य देखा जाता है. इसके अतिरिक्त नवम भाव पिता, पुत्र का भाव भी है. व्यक्ति की धार्मिक आस्था इसी भाव से देखी जाती है. किसी भी व्यक्ति का ईष्टदेव कौन सा होना चाहिए, इसकी व्याख्या नवम भाव ही करता है. नवम भाव व्यक्ति के देवी-देवताओं का भाव है.
यह भाव विदेशी यात्राओं, विदेशों में प्रसिद्धि, उच्च बौद्धिक ज्ञान, आक्स्मिक समृ्द्धि, पिता से विरासत में धन-सम्पति, नैतिक सिद्धान्त, सदगुण, दान, समृ्द्ध, भलाई, भाग्य, पति का सौभाग्य, एक स्त्री की कुण्डली में सन्तान, विश्वास, कानूनी, परोपकारी और धार्मिक व्यवसाय, उपदेशक, अध्यापक, आत्मत्याग, तीर्थयात्रायें, शोध, अविष्कार, खोज, अन्वेषण, विधि अनुसार, ध्यान साधना, आत्मज्ञान, दूरदृ्ष्टि, नैतिक गुण आदि का भाव है.
नवम भाव का कारक ग्रह कौन सा है. । What are the Karaka things of 9th Bhava
नवम भाव का कारक ग्रह सूर्य है. नवम भाव से सूर्य पिता के कारकतत्व प्रकट करता है. गुरु भी इस भाव का कारक ग्रह है. नवम भाव से गुरु व्यक्ति कि धार्मिक आस्था को प्रकट करता है.
नवम भाव से स्थूल रुप में क्या देखा जाता है. । What does the House of Bhagya Bhava Explain
नवम भाव से स्थूल रुप में पिता और पिता से सम्बन्धित विषयों का विश्लेषण किया जाता है.
नवम भाव से सूक्ष्म रुप में किस विषय का विचार किया जाता है. | What does the House of Bhagya Bhava accurately explains
नवम भाव व्यक्ति का सौभाग्य प्रकट करता है.
नवम भाव से शरीर के कौन से अंगों का निरिक्षण किया जाता है. | 9th House is the Karak House of which body parts.
नवम भाव से उदर का बायां भाग, बायां गाल, बायां घुटना, जाघें, जंघा संम्बन्धित रक्त वाहिनियां, द्रेष्कोणों के अनुसार- बायां गाल, उदर का बायां भाग और कान का बाहरी भाग, बायां बाधकस्थान.
नवम भाव क्या है. | What is the 9th Bhava
नवम भाव धर्मस्थान भाव है, यह पितृभाव, तपस्थान, स्थिर राशियों के लिए बाधकस्थान है.
नवमेश व अन्य भावेश परिवर्तन योग में किस प्रकार के फल देते है. | 9th Lord Privartan Yoga Results
नवमेश और दशमेश परिवर्तन योग में होने पर एक उत्तम श्रेणी का राजयोग बनता है. यह योग व्यक्ति को यश-कीर्ति देता है. उसकी धन-सम्पति में बढोतरी होती है. व्यक्ति सभी प्रकार की सुख -समृ्द्धि प्राप्त करने में सफल रहता है. यह योग व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी सुदृ्ढ करता है. और उसे सफलता दिलाने में सहयोगी रहता है.
नवमेश व एकादशेश परिवर्तन योग बनाते है, तो यह एक श्रेष्ठ धनयोग बनता है. ऎसा व्यक्ति अच्छे कुल से सम्बन्ध रखता है. वह सम्मानित व्यक्ति होता है. आध्यात्मिक क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है.
जब नवमेश और द्वादशेश परिवर्तन योग बना रहे हो, तो व्यक्ति को विदेश में व्यापारिक कार्यो में सफलता मिलती है. व्यक्ति लम्बी और लाभदायक यात्रायें करता है. व्यक्ति विदेश में स्थायी निवास करता है. और आध्यात्मिक प्रवृति का होता है. ऎसा व्यक्ति अत्यधिक धार्मिक आस्था का होता है.
जिस व्यक्ति की कुण्डली में पांचवें भाव से सूर्य दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हों, तो व्यक्ति भगवान शिव का भक्त हो सकता है. यदि सूर्य नवें भाव में एक मित्र की राशि में हो तो व्यक्ति धार्मिक कार्य करने और तीर्थयात्राओं पर जाने की और प्रवृ्त होता है.
जब कुण्डली में बुध, गुरु और दशमेश बली होता है, तो व्यक्ति अच्छे कार्य करता है. उसे धार्मिक पुस्तकों में रुचि होती है.
जिस व्यक्ति की कुण्डली में पांचवें भाव में मंगल बैठा हों, उस व्यक्ति को भगवान कार्तिकेय और भैरव की उपासना करनी चाहिए.
अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में नवम भाव में बुध स्थित हों, तो व्यक्ति भगवान का सफल भक्त होता है.
नवम भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति अपने गुरु को प्राप्त करने में सफल होता है.
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