कनकदण्ड-इष्टबल-कीर्ति-चामर-कुलश्रेष्ठ-भाग्य योग कैसे बनता है | How is Formed Kanak Danda Yoga | What is Eshtha Bal Yoga | How is Formed Kirti Yoga | How is Formed Kirti Yoga
कनकदण्ड योग उस समय बनता है, जब सातों ग्रह मीन, मेष, वृ्षभ, और तुला राशियों में होते है. यह योग व्यक्ति को श्रेष्ठ धर्मपरायण बनाता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है. जिस भी क्षेत्र में होता है, उसमें विरोधमुक्त होता है.
इष्टबल योग क्या है. | What is Eshtha Bal Yoga
जब पहले, चौथे या दसवें भाव में पंचमेश और नवमेश के साथ लग्नेश हों तो इष्टबल योग बनता है. यह योग व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त करने में सहयोग करता है.
कीर्ति योग कैसे बनता है. | How is Formed Kirti Yoga
लग्न या चन्द्रमा से केन्द्र में शुभ ग्रह हों, तो कीर्ति योग बनता है. कीर्ति योग व्यक्ति को जीवन भर समृ्द्धि और नाम दिलाता है.
चामर योग कैसे बनता है. | How is Formed Kirti Yoga
केन्द्र में उच्च का चन्द्रमा गुरु से दृ्ष्ट हो या पहले, सातवें, नवें या दसवें भाव में दो शुभ ग्रह हों, तो चामर योग बनता है. इस योग से युक्त व्यक्ति उच्च स्तर के व्यक्तियों से आदर प्राप्त होता है. व्यक्ति श्रेष्ठ ज्ञानी होता है. उसे व्यवसायिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. आयु के पक्ष से भी यह योग शुभ योगों की श्रेणी में आता है. शिक्षा के क्षेत्र में उसे मान-सम्मान प्राप्त होता है.
कुलश्रेष्ठ योग कैसे होता है. | How is Kulshreshta Yoga Formed
जब कुण्डली में शुक्र और शनि स्वराशियों में हों, तो कुलश्रेष्ठ योग बनता है. इस योग की शुभता से व्यक्ति आज्ञाकरी और निष्ठावान पुत्र प्राप्त करने में सफल होता है.
भाग्य योग फल | Bhagya Yoga Reruslt
भाग्य योग होने पर नवमेश ग्यारवें भाव में, गुरु के साथ हों, तब भाग्य योग बनता है. भाग्य योग से युक्त व्यक्ति धनवान होता है. उसे जीवन के कार्यो में भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है. आय और लाभ के पक्ष से भी यह योग शुभ योगों की श्रेणी में आता है.
बन्धन योग कैसे बनता है. | How is Bandhan yoga Formed
जब कुण्डली में लग्नेश अस्त हों, और सूर्य नीच राशि का हों, तो बन्धन योग बनता है. यह योग स्वास्थय के पक्ष से शुभ योग नहीं है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में बन्धन योग होता है. उसे किसी कारण वश कारावास में जीवन बीताना पडता है.
मीराती योग फल | Mirati Yoga Result
मिराती योग में तृ्तीयेश एक त्रिक भाव में या अशुभ ग्रहों की युति या दृ्ष्टि में हों, तो मिराती योग बनता है. इस योग का व्यक्ति शत्रुओं से पराजित होता है. उसे जीवन में भाईयों का सहयोग कम प्राप्त होता है. साथ ही यह योग व्यक्ति के साहस में कमी करता है. इस योग का व्यक्ति शक्तिहीन होता है. ऎसा व्यक्ति शीघ्र उतेजित होना पडता है.
तथा योग के अनुकुल न होने के कारण व्यक्ति में अनुचित कार्य करने की प्रवृ्ति हो सकती है.
मूक योग फल | Mook Yoga Result
जब कुण्डली में द्वितीयेश की आठवें भाव में गुरु से युति हो रही होती है. उस समय मूक योग बनता है. यह योग अपने नाम के अनुसार फल देता है. यह योग व्यक्ति को बोलने में दोष देता है. ऎसा व्यक्ति बातचीत करते समय हकलाने का आदि हो सकता है.
नृ्पत योग क्या है. | What is the Narpat Yoga
नृपत योग में दो ग्रह नीच होकर एक-दूसरे से केन्द्र में होते है. उदाहरण के लिए शनि मेष में और मंगल कर्क
राशि में हों तो यह योग बनता है. इस योग का व्यक्ति सफलता प्राप्त करने के लिए अनुचित तरीकों को प्राप्त करता है.
दुर्गेश योग किस प्रकार बनता है | How is Formed Durgesh Yoga
दुर्गेश योग में राहू क नवांशेश उच्च का होकर पांचवें या नवें भाव में, नवमेश सातवें भाव में और मंगल बली हों. यह योग व्यक्ति को भू-सम्पितयों का स्वामी बनाता है. पुरुषार्थ से सफलता प्राप्ति के पक्ष से यह शुभ योग है.
शिव योग फल | Shiv Yoga Result
जब कुण्डलीमें पंचमेश नवें भाव में या दशमेश पांचवें भाव में और नवमेश दसवें भाव में होता है, तो शिव योग बनता है. शिव योग से युक्ति व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्यो में लगा रहता है. उसे सत्ता संभालने के अवसर प्राप्त हो सकते है. साथ ही वह प्रभत्वशाली पद प्राप्त करने में सफल होता है.