द्वितीय भाव क्या है । Dhan Bhava Meaning | Second House in Horoscope | 2nd House in Indian Astrology
कुण्डली के दूसरे भाव को द्वितीय भाव भी कहते है. यह भाव पनफर भाव, मारक स्थान भी कहलाता है. द्वितीय भाव को धनभाव, कुटुम्ब स्थान, वाक स्थान के नाम से भी जाना जाता है.
धन भाव क्या दर्शाता है. | What does the Shows of Dhana Bhava
धन भाव धन-संपति, मृत्यु, वाणी, परिवार, विचार, अस्थिर, संचित सम्पति, नाक, शिक्षा, प्रथम स्कूली शिक्षा, दाईं आखं, स्वयं के द्वारा संचित धन, चेहरा, भौतिक कल्याण, द्वितीय् विवाह, अध्यापक, वकील, बैंकर्स, बाँण्ड, जमापूंजी, स्टाक और शेयर बाजार, मित्र, रोकड, प्रलेख, गिरवी वस्तु, बैंक में धन, स्वर्ण, चांदी, रुबी, मोती, धन से जुडे मामलें, स्व-प्रयासों से संचय, नाखुन, संसारिक, प्राप्तियां, दान्त, जीभ.
द्वितीय भाव का कारक ग्रह कौन सा है. | What are the Karaka Planets of 2nd Bhava
द्वितीय भाव का कारक ग्रह गुरु है. गुरु इस भाव से परिवार और धन का प्रतिनिधित्व करता है. व्यक्ति की वाणी के लिए बुध का विचार किया जाता है. शुक्र-परिवार, सूर्य और चन्द्रमा से व्यक्ति की आंखों का विश्लेषण किया जाता है.
द्वितीय भाव से स्थूल रुप में किस विषय का विश्लेषण किया जाता है. । What does the House of Dhana Explain.
द्वितीय भाव से स्थूल रुप में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का विचार किया जाता है.
द्वितीय भाव से सूक्ष्म रुप में किस विषय का विचार किया जाता है. | What does the House of Dhana accurately explains.
द्वितीय भाव से व्यक्ति के परिवार से संबन्ध की जांच की जाती है.
द्वितीय भाव् से कौन से संबन्धी देखे जा सकते है. | Dhana's House represents which relationships.
द्वितीय भाव से छोटे भाई के द्वारा उपहार आदि का विश्लेषण किया जा सकता है.
द्वितीय भाव शरीर के कौन से अंगों का प्रतिनिधित्व करता है. | 2nd House is the Karak House of which body parts.
द्वितीय भाव चेहरा, मुख, गाल, आंखे, गला, जीभ, ठोढी, दान्त आदि का प्रतिनिधित्व करता है. द्रेष्कोणों के अनुसार इस भाव से दाईं आंख, दायां कन्धा, जननांग का दायां भाग आदि की जांच की जाती है.
धनेश के अन्य स्वामियों के साथ परिवर्तन योग से किस प्रकार के फल मिलते है.| 2nd Lord Privartan Yoga Results
द्वितीयेश और तृ्तीयेश दोनों परिवर्तन योग में हों, तो खल योग बनता है. यह खल योग व्यक्ति को सरकारी क्षेत्रों में प्रतिष्ठा दिलाने में सहयोग करता है.
द्वितीयेश और चतुर्थेश का परिवर्तन योग होने पर एक उत्तम विद्या योग बनता है. यह एक शुभ योग है. इस योग की शुभता से व्यक्ति को उच्च शिक्षा, परिवार से सहयोग, सम्पति से या ननिहाल के सम्बन्धियों से उच्च आर्थिक सामर्थ्य प्राप्त होना.
द्वितीयेश और पंचमेश दोनों परिवर्तन योग बना रहे हों, तो व्यक्ति की धन-सम्पति में बढोतरी होती है. उसका बडा परिवार, परिवार से लगाव, बुद्धिमतापूर्ण भाषा, कमाऊ संतान आदि देता है.
द्वितीयेश और षष्टेश आपस में परिवर्तन योग कर रहे हों, तो व्यक्ति को मुकद्दमेबाजी और स्वास्थय संबन्धी विषयों पर व्यय करने पडते है. उसे नौकरी से लाभ प्राप्त होते है. तथा जीवन साथी के स्वास्थय में कमी रहने के योग बनते है.
द्वितीयेश और सप्तमेश जब परिवर्तन् योग बनाते है, तो व्यक्ति को प्रभुत्व वाला जीवन साथी मिलता है. उसका अच्छा पारिवारिक जीवन होता है. साझेदारों के द्वारा लाभ प्राप्त होते है. तथा और सास-ससुर से धन -सम्पति की प्राप्ति होती है.
द्वितीयेश और अष्टमेश परिवर्तन योग में शामिल होंने पर दुरयोग बनता है. यह अशुभ योग है. तथा इससे व्यक्ति के आर्थिक संकट, असन्तोषपूर्ण पारिवारिक जीवन, आंखों और दान्तों कि समस्या आ सकती है.
द्वितीयेश और नवमेश से बनने वाला परिवर्तन योग धन योग कहलाता है. धनयोग व्यक्ति के धन में बढोतरी करता है. पिता, सरकार और विदेश से धन प्राप्त करने में सहयोग करता है. इस योग के व्यक्ति को वाहन, 32 साल की आयु के उपरान्त अधिक भाग्यशाली बनाते है, परिवार की धन -सम्पति में बढोतरी होती है.
द्वितीयेश और दशमेश परिवर्तन योग बन रहा है. यह योग व्यक्ति को धनी बनाता है. व्यापार के द्वारा अतिशय लाभ और आय, उच्च पद आदि दिलाता है. अगर दशमेश पीडित हों, तो व्यक्ति अपने पद का दुरुपयोग करने से पीछे नहीं हटता है. और गुप्त तरीको से आय प्राप्त करने का प्रयास करता है.
द्वितीयेश व एकादशेश जब परिवर्तन योग बना रहे हों, तो व्यक्ति को व्यापार में लाभ प्राप्त होता है. धन और सम्पति के पक्ष से भी यह योग अनुकुल होता है. विवाह के उपरान्त भाग्य में बढोतरी होती है.
द्वितीयेश तथा द्वादशेश से बनने वाला परिवर्तन योग व्यक्ति की आय और व्यय दोनों में बढोतरी करता है. दोनों के पीडीत होने पर व्यक्ति की आंखों में समस्याएं, उन्नति के लिए पारिवारिक स्थितियों के कारण परिवार से वियोग होने के योग बनते है. यह योग व्यक्ति को विदेशी व्यापार से लाभ दिलाता है.
द्वितीय भाव और द्वितीयेश से बनने वाले अन्य योग कौन से है. | 2nd Lord and 2nd House Others Yoga
दूसरे भाव में बुध चन्द्रमा या बुध गुरु की युति व्यक्ति को धनी बनाती है.
द्वितीयेश का तीसरे भाव में होने का अर्थ है, कि छोटे भाई से व्यक्ति सभी प्रकार की सहायता, संगीतज्ञ, प्रसिद्धि, और धन प्राप्त करता है.
चौथे भाव में चतुर्थेश के साथ बैठा, द्वितीयेश आर्थिक लाभ, भूमि, वाहन, घरों आदि का लाभ देता है.
पांचवें भाव में पंचमेश के साथ बैठा द्वितीयेश समृ्द्ध संतान, बौद्धिक कार्य और अमीरी को दर्शाता है.
छठे भाव में षष्टेश के साथ बैठा द्वितीयेश समृ्द्ध मामालों और धनवान व्यक्तियों के साथ शत्रुता दर्शाता है.
सातवें भाव में सप्तमेश के साथ बैठा द्वितीयेश अच्छा दहेज और धनवान सास-ससुर देता है.
आंठवें भाव में अष्टमेश और द्वितीयेश की युति व्यकि को सन्ताप, कृ्पणता, ऋण चुकाने में असमर्थता, जीवन साथी के स्वास्थय में कमी का योग बनाती है.
नवम भाव में नवमेश और द्वितीयेश युति सम्बन्ध में हों तो व्यक्ति का पिता धनी, उचित्त तरीकों से आय और ज्ञानी व्यक्तियों से मित्रता रखने वाला होता है.
दशवें भाव में दशमेश के साथ द्वितीयेश स्थित हों, तो व्यक्ति को उच्च पद, लाभ प्राप्त होते है.
द्वितीयेश और एकादशेश की युति व्यक्ति को अचानक से धनी बनाती है.
द्वितीयेश और द्वादशेश का युति सम्बध होने पर व्यक्ति धन वृ्द्धि करता है. परन्तु मन्द गति से.