स्वतंत्र रुप से व्यापार करने के योग | Yogas of Doing Business Independently, Business Related Yogas, Career, Profession
कई व्यक्ति जीवन में दूसरों के अधीन रहकर कार्य करते हैं अर्थात नौकरी से अपनी आजीविका प्राप्त करते हैं. बहुत से व्यक्ति ऎसे भी होते हैं जिन्हें किसी के अधीन रहकर कार्य करना रास नही आता है. ऎसे व्यक्ति स्वतंत्र रुप से कार्य करना पसन्द करते हैं. कुण्डली में व्यापार करने के लिए योग मौजूद होते हैं. यह योग निम्नलिखित हैं.
* चन्द्र कुण्डली में शुभ ग्रह केन्द्र में हो तो जातक बिजनेस से धन कमाता है.
* चन्द्रमा, गुरु तथा शुक्र परस्पर दो/बारह भावों में स्थित है तो व्यक्ति स्वयं के व्यवसाय से जीविकोपार्जन करता है.
* चन्द्र कुण्डली से गुरु तृतीय भाव में स्थित हो तथा शुक्र लाभ स्थान में स्थित हो तो व्यक्ति अपना स्वयं का व्यवसाय करता है.
* बुध ग्रह बुद्धि का कारक ग्रह है. कुण्डली में बुध, राहु या शनि से दृष्ट अथवा युत है तो व्यक्ति स्वतंत्र रुप से व्यवसाय करता है. लेकिन शनि कुण्डली में बली होकर बुध को दृष्ट कर रहा है तो व्यक्ति नौकरी करता है.
* कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी यदि धन भाव में स्थित है और बुध सप्तम भाव में स्थित है तब व्यक्ति बिजनेस करता है.
* बुध को बिजनेस का कारक ग्रह माना जाता है. बुध कुण्डली में यदि सप्तम भाव में द्वितीयेश के साथ है तब जातक बिजनेस करता है.
* कुण्डली में बुध तथा शुक्र द्वितीय भाव अथवा सप्तम भाव में स्थित है और शुभ ग्रहों से दृष्ट है तब जातक व्यापार करता है.
* द्वितीय भाव का स्वामी शुभ ग्रह की राशि में स्थित हो और बुध या सप्तमेश उसे देख रहें हों तब व्यक्ति व्यापार करता है.
* उच्च के बुध पर द्वितीयेश की दृष्टि हो तो व्यक्ति व्यापार करता है.
* गुरु की द्वितीय भाव के स्वामी पर दृष्टि हो तब व्यक्ति व्यापार करता है.
* दशम भाव में बुध की स्थिति से व्यक्ति व्यापारी बनता है.
* दशम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि होने से व्यापार करता है. उसे बिजनेस में धन लाभ होता है.
* लग्नेश तथा दशमेश की परस्पर दृष्टि व युति या दोनों का स्थान परिवर्तन हो तब व्यक्ति बिजनेस करता है.
* दशम भाव का स्वामी केन्द्र या त्रिकोण भाव में स्थित है तब भी व्यक्ति स्वतंत्र रुप से व्यापार करता है.
* कुण्डली में आत्मकारक ग्रह के नवाँश में शनि स्थित है तब व्यक्ति व्यापार में समृद्धि पाता है.
* सप्तम भाव से द्वादश भाव तक या दशम भाव से तृतीय भाव तक पाँच या पाँच से अधिक ग्रह स्थित हैं तब व्यक्ति स्वतंत्र व्यापार करता है.
व्यवसाय संबंधी अन्य योग | Business Related Other Yogas
* कुण्डली में सूर्य ग्रह से लेकर शनि ग्रह तक सभी ग्रह परस्पर त्रिकोण भाव में स्थित हैं तब व्यक्ति कृषि कार्य से अपनी आजीविका कमाता है.
* राहु/केतु को छोड़कर कुण्डली में सातों ग्रह किन्हीं चार भावों में स्थित है तो व्यक्ति भूमि अर्थात कृषि कार्य से लाभ पाता है.
* मंगल और चतुर्थ भाव का स्वामी केन्द्र/त्रिकोण भाव में स्थित हो या लाभ भाव में स्थित हो और दशमेश के साथ शुक्र तथा चन्द्रमा की युति हो तब व्यक्ति कृषि तथा पशुपालन से धन प्राप्त करता है.
* कुण्डली के नवम भाव में बुध, शुक्र तथा शनि स्थित है तब व्यक्ति कृषि कार्य से धन प्राप्त करता है.
* लग्न तथा सप्तम भाव में सभी ग्रह स्थित हो तब शकट योग बनता है और व्यक्ति ट्राँसपोर्ट से या लकडी़ के सामान के व्यापार से धनोपार्जन करता है.
* गुरु अष्टम भाव स्थित हो और पाप ग्रह केन्द्र में हो. किसी भी शुभ ग्रह का संबंध इनसे नहीं हो तो व्यक्ति मछली-माँस आदि का व्यापार करता है.
* बुध या शुक्र दशम भाव में दशमेश का नवाँशपति होकर स्थित है तब व्यक्ति कपडे़ का व्यापार करता है.
* गुरु से शुक्र केन्द्र भाव में स्थित है तब व्यक्ति कपडो़ का व्यवसाय करता है.
* मंगल तथा सूर्य के दशम भाव में स्थित होने से व्यक्ति अपनी कार्य कुशलता के आधार पर सफल कारीगर बनता है और धन पाता है.
* दशम भाव में चन्द्रमा तथा राहु की युति व्यक्ति को कूटनीतिज्ञ बनाती है.
* दशम भाव में मंगल स्थित हो या मंगल का दशम भाव के स्वामी के साथ दृष्टि/युति संबंध हो तब व्यक्ति कुशल प्रशासक बनता है या सेना में अधिकारी बनता है.
* गुरु तथा केतु के संबंध से व्यक्ति होम्योपैथिक डॉक्टर बनता है.
* चन्द्रमा, बुध के नवाँश में स्थित हो और सूर्य से दृष्ट हो तब व्यक्ति अभिनय के क्षेत्र में सफलता हासिल करता है.
* कुण्डली का पंचम भाव बली हो और शुक्र, बुध तथा लग्नेश का परस्पर दृष्टि/युति संबंध हो तो फिल्मों में व्यक्ति को सफलता मिलती है.
* चन्द्रमा या शुक्र की युति लग्नेश से हो तब व्यक्ति लेखक, कवि या पत्रकार बनता है.
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