चर दशा की गणना | Calculation of Char Dasha
सबसे पहले आप यह निर्धारित करें कि चर दशा का क्रम सव्य है अथवा अपसव्य है. चर दशा के क्रम के विषय में पिछले अध्याय में आपको जानकारी दी गई है. चर दशा के क्रम की गणना, राशि दशा से भिन्न है. राशि दशा की गणना में भी छ: राशियों की गणना का क्रम सीधा अर्थात सव्य होता है और अन्य छ: राशियों की दशा का क्रम विपरीत होता अर्थात अपसव्य होता है.
सव्य क्रम की गणना | Calculation of clockwise order
मेष, वृष, मिथुन, तुला, वृश्चिक तथा धनु राशि की गणना का क्रम सव्य होता है. माना वृष राशि की दशा आरम्भ होने वाली है तब वृष राशि की महादशा की गणना का क्रम तो अपसव्य होगा अर्थात वृष राशि के बाद मेष राशि की दशा आएगी. मेष राशि के बाद मीन राशि की दशा आरम्भ होगी और बाकी सभी दशाएँ क्रम से आरम्भ होगी जैसा कि पिछले अध्याय में बताया गया था.
वृष राशि की महादशा के वर्ष कितने होगें इसका निर्धारण करने के लिए वृष राशि से सीधे क्रम में गिनती आरम्भ करेगें और वृष राशि का स्वामी शुक्र जहाँ स्थित होगा वहाँ तक गिनेगें. माना शुक्र वृश्चिक राशि में स्थित है. तब वृष राशि अर्थात 2 संख्या से वृश्चिक राशि अर्थात 8 संख्या तक गिनती आरम्भ करेगें. वृष से वृश्चिक तक सीधी गिनती करने पर आठ अंक प्राप्त होता है. अब आठ में से एक वर्ष घटा दें. एक घटाने पर सात वर्ष प्राप्त होते हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि वृष राशि की सात वर्ष की दशा होगी.
चर दशा में राशियों का दशाक्रम सुनिश्चित नहीं होता है इसलिए दशा वर्ष भिन्न होते हैं. आप एक बार फिर ध्यान दें कि मेष, वृष, मिथुन, तुला, वृश्चिक तथा धनु राशि के दशा वर्ष निर्धारित करने के लिए राशि से राशि के ग्रह स्वामी तक गिनती का क्रम सीधा होगा. जितने वर्ष आएंगें उसमें से एक अवश्य घटाना होगा.
अपसव्य क्रम की गणना | Calculation of an anti-clockwise order
कर्क, सिंह, कन्या, मकर, कुम्भ तथा मीन राशि की दशा का क्रम अपसव्य होगा. माना कन्या राशि की दशा आरम्भ होने वाली है. कन्या राशि का स्वामी बुध, मकर राशि में स्थित है. अब कन्या से मकर तक गिनती करें. कन्या राशि से मकर राशि तक अपसव्य अर्थात उलटे क्रम में गिनती करें. कन्या से सिंह राशि की ओर गणना का क्रम होगा. कन्या से मकर राशि तक गणना करने पर नौ वर्ष की अवधि प्राप्त होती है. नौ में से एक घटाने पर आठ वर्ष प्राप्त होते हैं. इस प्रकार कन्या राशि की दशा आठ वर्ष तक चलेगी.
विशेष | Points to be Remembered
चर दशा की गणना सव्य हो अथवा अपसव्य हो दोनों ही स्थिति में जितने दशा वर्ष प्राप्त होगें उसमें से एक वर्ष घटाना अनिवार्य है. राशि से राशि स्वामी तक नियमानुसार गिनती करनी है. जैमिनी चर दशा में वृश्चिक राशि तथा कुम्भ राशि की गणना का नियम भिन्न है. इसके विषय में आपको अगले अध्याय में बताया जाएगा. जैमिनी की चर दशा में वृश्चिक राशि का स्वामित्व दो ग्रहों के पास है. वह दो ग्रह हैं - मंगल और केतु. इसी प्रकार कुम्भ राशि के स्वामी भी दो ग्रह हैं - राहु तथा शनि ग्रह.
यदि किसी राशि का स्वामी ग्रह अपनी ही राशि में स्थित है तब उस राशि की पूरे बारह वर्ष की दशा होगी तब एक वर्ष को घटाया नहीं जाएगा.
अन्तर्दशा | Antardasha
जैमिनी चर दशा में अन्तर्दशाओं का क्रम महादशा क्रम के अनुसार होगा. यदि महादशा क्रम सव्य है तो अन्तर्दशा क्रम भी सव्य होगा. यदि महादशा क्रम अपसव्य है तो अन्तर्दशा क्रम भी अपसव्य होगा. अन्तर्दशा की अवधि महादशा के वर्ष की अवधि के अनुसार होगी. यदि महादशा एक वर्ष की है तो सभी बारह राशियों की अन्तर्दशा एक-एक महीने की होगी. यदि महादशा दो वर्ष की है तब सभी बारह राशियों की अन्तर्दशा दो-दो महीने की होगी. यदि महादशा बारह वर्षों की है तो सभी बारह राशियों की अन्तर्दशा बारह-बारह महीनों की होगी अर्थात प्रत्येक राशि की अन्तर्दशा एक वर्ष की होगी.