प्रतिपदा तिथि

चन्द्र मास की पहली तिथि प्रतिपदा कहलाती है. एक चन्द्र मास कुल 30 तिथियों से मिलकर बना होता है. जिसमें दो पक्ष होते है. इसका एक पक्ष शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष होता है. शुक्ल पक्ष में 14 तिथियां तथा कृष्ण पक्ष में भी 14 तिथियां होती है. प्रत्येक मास में एक बार प्रतिपदा शुक्ल पक्ष में आती है, और दूसरी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा कहलाती है. यह हिन्दू पंचाग की पहली तिथि भी है.

प्रतिपदा तिथि कैसे बनती है

शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चन्द्रमा पूर्णता की ओर बढ़ता है, शुक्ल पक्ष में सूर्य और चन्द्र का अन्तर 0 डिग्री से 12 डिग्री अंश तक होता है. यह 12 डिग्री के अंतर पर एक तिथि का निर्माण होता है जिसे शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा का निर्माण सूर्य और चन्द्र के मध्य 181 से 192 डिग्री तक होता है.

प्रतिपदा तिथि स्वामी

प्रतिपदा के स्वामी अग्निदेव माने गए हैं. इस प्रतिपदा तिथि को नन्दा तिथि की श्रेणी में रखा जाता है. प्रतिपदा तिथि में जन्मे जातक को अग्नि देव की पूजा अवश्य करनी चाहिए. जातक को अग्नि देव का पूजन आनन्द देने वाला कहा गया है.

प्रतिपदा तिथि योग

रविवार एवं मंगलवार के दिन प्रतिपदा होने पर मृत्युदा होती है. ऎसे में इस समय पर शुभ काम करने की मनाही होती है. इसके विपरित जब शुक्रवार को प्रतिपदा तिथि होती है तो यह सिद्धा कहलाती है. इस समय पर किए गए काम शुभता और सफलता देने वाले बनते हैं.
भाद्रपद माह की प्रतिपदा शून्य कहलाती है.

शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में भगवान शिव का वास श्मशान में होने से मृत्युदायक होता है. इस समय पर शिव पूजन नहीं करना चाहिए. कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में शिवपूजन शुभ माना गया है इस समय पर महामृत्युंजय जाप, रुद्राभिषेक इत्यादि कार्य शुभदायक बन जाते हैं.

प्रतिपदा तिथि व्यक्ति स्वभाव

प्रतिपदा तिथि में जिस व्यक्ति का जन्म होता है. उस व्यक्ति के बुरे लोगों के संगति में रहना पड सकता है. उसके द्वारा किए गए कार्यो से उसके कुल को कलंक लगता है. ऎसा व्यक्ति गलत आदतों का आदी बन सकता है. ऎसे व्यक्ति का धर्म कार्यो में रुचि लेना उसे जीवन में मिलने वाले अशुभ प्रभावों से बचा सकता है.

जातक धनी एवं बुद्धिमान होगा, प्रतिपदा को जन्मे जातक को माता की ओर से विशेष स्नेह प्राप्त होता है. व्यक्ति अपने लोगों का साथ मिलता है. अपने कार्यों से समाज में उच्च स्थान पाते हैं. जातक अपने मनोबल से मुश्किलों में भी राह निकाल लेता है.

प्रतिपदा तिथि पर्व


हिन्दू नव वर्ष -

चैत्र मास हिन्दू पंचाग का प्रथम माह होता है. इस माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को प्रतिपदा तिथि से हिन्दू वर्ष का प्रारम्भ होता है.

गोवर्धन पर्व -

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पर्व मनाया जाता है. इस के साथ ही अन्नकूट भी इसी दिन मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण भगवान की पूजा होती है और उन्हें विभिन्न पकवान भोग स्वरुप भेंट किए जाते हैं. इस उत्सव का विशेष रुप मथुरा, वृंदावन, ब्रज आदि में देखने को मिलता है.

नवरात्रि का आरंभ -

चैत्र, आश्विन, आषाढ और माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रों का आयोजन होता है. इस पर्व में प्रतिपदा तिथि के दिन ही देवी दुर्गा के अनेक रुपों का पूजन होता है. ये नवरात्रि सभी रुपों में बहुत ही प्रभावशाली होते हैं. हिन्दू नव वर्ष का आरंभ भी चैत्र प्रतिपदा तिथि के साथ ही होता है.