अमला-सरस्वती-पापादि-सिंहासन योग -ज्योतिष और योग | Amala Yoga in Astrology | Saraswati Yoga | Papadhi Yoga | Sinhashan Yoga

अमला योग को कई नामों से जाना जाता है, कुछ लोग इसे अमल योग भी कहते है. यह योग व्यक्ति को स्थिर बुद्धि का बनाने में सहयोग करता है. इस योग से युक्त व्यक्ति के स्वभाव में स्थिरता का भाव देखने में पाया जाता है. 

अमल योग कैसे बनता है | How is Amala Yoga Formed 

जब लग्न अथवा चन्द्र से दशम भाव में कोई शुभ ग्रह हो तो अमल योग बनता है. अमला योग लग्न और चन्द्र दोनों से देखा जाता है. अमला योग विशेष रुप से आजीविका क्षेत्र से संबन्धित होने के कारण, यह योग विशेष रुप से व्यक्ति के कैरियर में शुभता बनाये रखने में सहयोग करता है. 

अमल योग फल | Amala Yoga Results 

अमल योग से युक्त व्यक्ति गुणवान और सात्विक विचारों वाला होता है. वह दूसरों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहता है, और सामाजिक कार्यो में आगे बढकर सहयोग करता है. उसे जीवन के सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है. इसके अतिरिक्त वह अपने सगे-संबन्धियों में प्रिय होता है. समाज व अपने कार्यक्षेत्र में उसे उसके द्वारा किए गये कार्यो के लिए सम्मानित किया जाता है. 

सरस्वती योग | Saraswati Yoga 

सरस्वती योग शिक्षा से जुडा योग है. माता सरस्वती शिक्षा की देवी मानी गई है. इसलिए जिस व्यक्ति की कुण्डली में सरस्वती योग हो उस व्यक्ति पर शिक्षा की देवी का आशिर्वाद बना रहता है. 

सरस्वती योग कैसे बनता है. | How is Saraswati Yoga Formed 

जब गुरु, शुक्र और बुध, लग्न से केन्द्र स्थानों अर्थात 1, 4, 7. 10 भावों, त्रिकोण स्थानों पंचम, नवम और लग्न स्थान में से किसी भी भावों में अकेले या संयुक्त रुप से हो तो व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करता है.  

सरस्वती योग होने पर व्यक्ति का शैक्षिक स्तर उत्तम रहता है.  उसे ज्ञान अर्जन की अधिक से अधिक चाह रहती है. यह योग व्यक्ति की विद्वता में बढोतरी करता है.  

पापाधि योग | Papadhi Yoga 

चन्द्र से छठे,सातंवे और आठवें स्थान मेंकोई पाप ग्रह हों तो पापाधि योग बनता है.  अपने नाम के अनुसार यह योग शुभ योगों में से नहीं है.  अत: इस योग से मिलने वाले फल भी व्यक्ति के लिए शुभ नहीं रह्ते है. जो ग्रह इस योग में शामिल हो, उन ग्रहों की दशा- अन्तर्दशा में व्यक्ति को रोग आदि हो सकते है, तथा इन ग्रहों की दशा हानिप्रद होती है.

 पापाधि ग्रह दशा फल | Papadhi Yoga Results 

विशेष रुप से सप्तम भाव में बैठे पाप ग्रह की दशा.  अगर इस पाप ग्रह पर किसी शुभ ग्रह का दृष्टि संबन्ध न बन रहा हो तो, स्थिति गंभीर होती है. इस योग में शुभ ग्रहों की युति-दृष्टि संबन्ध बनने पर यह योग भंग हो जाता है. और इस योग के अशुभ फल निष्क्रय हो जाते है. 

सिहांसन योग | Sinhashan Yoga

सिंहासन योग त्रिक भाव और मारक भाव अर्थात धन भाव के योग से बनता है, इसलिए यह योग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी हौंसला बनाये रखने का सामर्थय देता है. ऎसा व्यक्ति अपनी सारी ऊर्जा शक्ति अपने लक्ष्य प्राप्ति में लगा देता है. सामान्यत: ज्योतिष में त्रिक भावों को अशुभ माना जाता है. ज्योतिष के सभी प्रमुख शास्त्रों में इसकी अवहेलना भी की गई है. परन्तु त्रिक भावों के संयोग से बनने वाले योग सदैव अशुभ फल देने वाले नहीं होते है.  

सिंहासन योग कैसे बनता है. | How is Sinhanshan Yoga Formed 

जिस व्यक्ति कि कुण्डली में लग्न से 6, 8, 12 व 2रें भाव में सब ग्रह बैठे हो तो सिंहासन योग बनता है. यह योग अपने नाम के अनुसार व्यक्ति को उच्च पद और सम्मान दिलाने में सहायक रहता है.