आयोलाइट । काका नीली । Iolite | Kaka Neeli | Substitute of Blue Sapphire | Saturn | Vikings' Compass
आयोलाइट, नीलम रत्न का उपरत्न है. इसे हिन्दी में "काका नीली" के नाम से जाना जाता है(Iolite is called kaka-Nili in Hindi). यह नीले रंग और बैंगनी रंग तक के रंगों में पाया जाता है. जैसे नीला रंग, गहरा नीला रंग, बैंगनी रंग, जामुनी रंग और नीले रंग की आभा लिए हुए बैंगनी रंग आदि रंगों में प्रकृति में उपलब्ध है. इस उपरत्न का संबंध शरीर के सहस्रार चक्र से है. सहस्रार चक्र(Crown Chakra) का रंग बैंगनी होता है. इसलिए इस उपरत्न का संबंध इस चक्र से है. जिन व्यक्तियों का सहस्रार चक्र कमजोर है और याद्दाश्त कमजोर है वह आयोलाइट उपरत्न को धारण कर सकते हैं.
आयोलाइट का प्राचीन महत्व
प्राचीन समय में आयोलाइट एक आकर्षक रत्न के रुप में मशहूर था. प्राचीन काल में नाविकों द्वारा इस उपरत्न का प्रयोग समुद्र में कमपास(Compass) के रुप में दिशा निर्धारण में किया जाता था (In ancient times, Iolite sub-stone was used as a compass to determine the direction in seas). इसकी मदद से वह दूर देशों की यात्रा करते थे और अपने गंतव्य तक पहुँचते थे.
नाविकों ने यह देखा कि जब आयोलाइट को उत्तर अथवा दक्षिण दिशा में आकाश में देखा जाता है तब वह विभिन्न प्रकार की नीली आभा लिए बैंगनी रंग की तरंगें छोड़ता है. इससे उन्हें दिशा का ज्ञान हो जाता था. पुराने समय में यह धारणा थी कि इस उपरत्न को यदि कलाकार धारण करता है तो उसकी रचनात्मक क्षमता का अत्यधिक विकास होता है.
यह उपरत्न व्यक्ति की आंतरिक आत्म शक्ति के द्वार खोलने में सहायता करता है. यह उपरत्न व्यक्ति विशेष के आंतरिक भागों को खोजने में सहायता करता है अर्थात यह आंतरिक शारीरिक क्षमताओं का विकास करता है. कई विद्वानों का मत है कि यह उपरत्न पिछले जन्म की जानकारी प्रदान करने में सहायक होता है. यह आत्म दृष्टि तथा रचनात्मक व सर्जनात्मक अभिव्यक्ति का उपरत्न माना जाता है.
आयोलाइट के गुण
यह उपरत्न धारणकर्त्ता के जीवन में खुशियाँ लाता है(Iolite brings happiness in life). इसमें दूसरों से रिश्ता जोड़ने के तमाम गुण मौजूद हैं. इसे धारण करने से गले के विकार दूर होते हैं. नसों में यदि सूजन है तब इस उपरत्न को धारण करने से लाभ मिलता है. त्वचा विकारों से छुटकारा दिलाने में यह उपरत्न उपयोगी है. शरीर पर छाले अधिक पड़ते हों तो इस उपरत्न को धारण करने से व्यक्ति को छालों से निदान मिलता है. बुद्धि को तीव्र करता है. इस रत्न का उपयोग हीलिंग थैरिपी में भी किया जाता है. जिसमें ये मन-मस्तिष्क को शांत रखने में बहुत सहायक बनता है.
कौन धारण करे
आयोलाइट उपरत्न को नीलम रत्न के उपरत्न के रुप में धारण कर सकते हैं. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शनि ग्रह शुभ भावों का स्वामी होकर निर्बल अवस्था में स्थित है वह इस उपरत्न को धारण कर सकते हैं.
कौन धारण नहीं करे
सूर्य, मंगल, बृहस्पति ग्रहों के रत्न अथवा उपरत्नों के साथ इस उपरत्न को धारण नहीं करें.
कैसे धारण करें
काका नीली को शुक्ल पक्ष के शनिवार के दिन पहनें, रत्न को कच्चे दूध ओर गंगाजल से धोकर इसे धूप दीप दिखाएं इसके बाद ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करते हुए इसे धारण करें.