नवांश कुंडली में सूर्य : नवांश के बारह भावों में सूर्य की स्थिति और प्रभाव
ज्योतिष में सूर्य पिता का प्रतीक है, जिसे अक्सर ग्रहों के राजा के रूप में दर्शाया जाता है. वैदिक ज्योतिष में इसे प्रमुख स्थान दिया गया है. यह व्यक्ति की पहचान और चेतना का मूल है. सूर्य को अक्सर आत्मकारक कहा जाता है, जिसका अर्थ है आत्मा का कारक. वैदिक ज्योतिष में, जिस प्रकार लग्न कुंडली में सूर्य की अहम भूमिका होती है उसी प्रकार नवांश कुंडली में भी सूर्य की स्थिति को देखना और समझना जरुरी है.
नवांश में ग्रह कुंडली के किसी भी भाव में हो सकते हैं. ग्रह किस तरह के परिणाम देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसका स्वभाव, स्थिति और उस भाव से उसका संबंध है या वह भाव जीवन के किस पक्ष से संबंधित है. यह तो सभी जानते हैं कि कुछ ग्रह शुभ होते हैं यानी वे जिस भी भाव में होंगे, उस भाव के कारक तत्व को बढ़ा देंगे और कुछ अशुभ ग्रह उस भाव के कारक तत्व को बिगाड़ देंगे. इसलिए सबसे पहले यह देखें कि कौन सा ग्रह अलग-अलग भावों पर क्या प्रभाव दिखाता है. सूर्य किसी का जीवन को दिशा देने और मूल्य निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण योगदान है. इसकी स्थिति और प्रभाव व्यक्ति के काम, महत्वाकांक्षाओं और सफलता के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं. आइए हम जानते हैं कि नवांश कुंडली के सभी भावों में सूर्य की स्थिति कैसे प्रभाव डल सकती है.
नवांश के पहले भाव में सूर्य
नवांश के पहले भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति के बाल कम होंगे. स्वभाव में उग्रता होगी. शरीर लम्बा होगा. अहंकार की भावना अधिक होगी, साहस होगा. आंखों में कोई न कोई रोग अवश्य हो सकता है. सूर्य विवाह में शारीरिक कष्ट नहीं देता, परंतु व्यक्ति सदैव आर्थिक रूप से परेशान रहता है.
नवांश के द्वितीय भाव में सूर्य
नवांश के द्वितीय भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति ज्ञान, विनम्रता तथा धन में हीन होता है तथा उसकी वाणी में दोष, हकलाना या अन्य दोष होते हैं, व्यक्ति अपशब्द या कटु वाणी का प्रयोग करता है, यदि इस स्थान का सूर्य मंगल या शनि से प्रभावित हो तो दृष्टि मंद हो जाती है. परिवार में कोई न कोई समस्या बनी रहती है.
नवांश के तीसरे भाव में सूर्य
नवांश के तीसरे भाव में सूर्य हो तो कुछ अच्छे परिणाम देता है. मनुष्य बलवान, वीर, धनवान और उदार होता है. लेकिन अपने सगे-संबंधियों से शत्रुता रखता है.
नवांश के चौथे भाव में सूर्य
नवांश के चौथे भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति सुखहीन, मित्रों से रहित और भूमि से रहित होता है. व्यक्ति को या तो पैतृक संपत्ति नहीं मिलती या मिलती भी है तो उसे खर्च कर देता है और सरकारी नौकरी करनी पड़ती है. यदि इस भाव में सूर्य पर अशुभ प्रभाव हो तो हृदय रोग भी होता है.
नवांश के पांचवें भाव में सूर्य
नवांश के पांचवें भाव में सूर्य हो तो इस भाव का सूर्य मनुष्य को सुख, धन, दीर्घायु और नींद से रहित बनाता है. इस भाव में सूर्य प्रायः ज्येष्ठ पुत्र को नष्ट कर देता है. यदि सूर्य अपनी राशि या उच्च राशि में हो तो व्यक्ति बुद्धिमान और पर्यटन का शौकीन होता है.
नवांश के छठे भाव में सूर्य
नवांश के छठे भाव में सूर्य हो तो स्थिति स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होती. गले के रोग, पथरी, हृदय रोग, पीठ और कमर के रोग होते हैं. स्वास्थ्य संबंधी विकार होते हैं. चोट लगने का भी भय रहता है. यहाँ शुभ फल के रुप में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.
नवांश के सातवें भाव में सूर्य
नवांश के सातवें भाव में सूर्य हो तो विश्वासघाती बनता है. व्यर्थ भटकता है और अपमानित होता है. पत्नी से सुख नहीं मिलता. सूर्य शरीर में कोई न कोई विकार उत्पन्न करता है. अक्सर पति-पत्नी में अलगाव होता है. मुकदमों में विजय मिलती है.
नवांश के आठवें भाव में सूर्य
नवांश के आठवें भाव में सूर्य हो तो सूर्य नेत्र रोग उत्पन्न करता है. इसका कारण यह है कि सूर्य की दृष्टि नेत्र के दूसरे भाव पर होती है. सूर्य हो तो संतान से संबंधित दुख होता है. सूर्य पाप पीड़ित हो तो दुर्घटना या अचानक मृत्यु होती है. पिता-पुत्र के बीच संबंध खराब होते हैं.
नवांश के नवम भाव में सूर्य
नवांश के नवम भाव में सूर्य हो तो सूर्य जो पिता का कारक है, इस भाव में पिता के लिए हानिकारक होता है. यदि सूर्य इस स्थान पर कमजोर हो तो शुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं. नवम भाव में सूर्य या तो भाइयों के लिए हानिकारक होता है या भाइयों से संबंध अच्छे नहीं होते हैं. व्यक्ति धार्मिक, ज्ञानी, तार्किक और अच्छा वक्ता होता है.
नवांश के दसवें भाव में सूर्य
नवांश के दसवें भाव में सूर्य हो तो इस स्थान पर सूर्य दिग्बली होता है. यह सूर्य के लिए सबसे अच्छा स्थान माना जाता है. यदि वह किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित न हो. व्यक्ति सुखी और बलवान होता है. संतान, वाहन सुख, यश और राजा से सम्मान प्राप्त करता है. कोमल हृदय, गुणवान, सुखी, स्वाभिमानी और नृत्य संगीत में रुचि रखने वाला होता है. व्यक्ति उच्च पद प्राप्त करता है. इस स्थान का सूर्य आकाश के मध्य बिंदु पर होता है और पूर्ण दिग्बली माना जाता है.
नवांश के ग्यारहवें भाव में सूर्य
नवांश के ग्यारहवें भाव में सूर्य हो तो ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि ग्यारहवें भाव में सभी ग्रह शुभ फल देते हैं, इस भाव का सूर्य व्यक्ति को धनवान, दीर्घायु, सुखी, अनेक लोगों पर शासन करने वाला, धन संचय करने वाला, यशस्वी और राजा से धन प्राप्ति कराने वाला बनाता है. कर्म करने वाला व्यक्ति यह फल भोगता है. उसके पक्के और विश्वसनीय मित्र होते हैं. संतान सुख में बाधा आती है.
नवांश के बारहवें भाव में सूर्य
नवांश के बारहवें भाव में सूर्य हो तो पिता से शत्रुता, धन की कमी, नेत्र रोग, क्षीण शरीर, क्षुद्र, पिता से प्रेम न करना, विपरीत मन, स्त्री से परस्त्रीगामी, इस प्रकार के फल बताए गए हैं, लेकिन इस स्थान पर यदि सूर्य उच्च का हो या अपनी राशि में हो तो वह भी व्यक्ति को शुभ फल देता है.