कुंडली के किन भावों में राहु देता है अच्छे परिणाम और प्रभाव

राहु और केतु ऎसे छाया ग्रह हैं जिन्हें बेहद चुनौतिपूर्ण फलों को देने वाला माना गया है. राहु के साथ केतु भौतिक स्वरुप वाले ग्रहों से अलग छाया ग्रह हैं. लेकिन इनकी ऊर्जा बेहद प्रभावी होती है और जिसके कई खराब प्रभाव हम देख सकते हैं किंतु जहां नकारात्मकता अधिक हैं वहीं इन ग्रहों के शुभ फल भी व्यक्ति को जब मिलते हैं तो उसके असर अचानक से होने वाले असर के लिए अधिक जाने जाते हैं. राहु एक ऎसा ग्रह है जो भौतिकता से जोड़ते हुए भी आध्य्तामिकता की भूख को मिटने नहीम देता है. ये हमेशा नकारात्मक नहीं होता है क्योंकि ये भी कुछ भावों में अत्यंत उल्लेखनीय सकारात्मक प्रभाव लाते हैं.

राहु को ज्योतिष अनुसार एक छाया ग्रह माना जाता है, इसका अशुभ प्रभाव बहुत मजबूत होता है और कहा जाता है कि इसके प्रभाव से जीवन बहुत कठिन हो जाता है. कुंडली में राहु को पूर्व  जन्मों के कर्म बंधन से भी संबंधित माना गया है. राहु की विभिन्न ग्रहों के साथ युति विभिन्न प्रकार की परेशानियों को दर्शाने वाली होती है. यह जिस भी ग्रह के साथ होता है उसके फलों को बदल देने के लिए बहुत अधिक उतावला दिखाई देता है. ज्योतिष शास्त्र अनुसार तथा धमर्म कथाओं में राहु सिर का प्रतिनिधित्व करता है. हिंदू मान्यता के अनुसार, राहु को अच्छे और बुरे के बीच भेदभाव नहीं करने वाला माना जाता है. यह धार्मिकता निति नियमों के खिलाफ भी खड़ा देखा जा सकता है. राहु को आध्यात्मिक विषयों से अनभिज्ञ कहा जा सकता है लेकिन ऎसा है नहीं क्योंकि राहु ने ही अमृत को चखा है ओर उसके ऎसा करने से अमृत के गुण बःई उसमें समाहित होते हैं. 

प्रत्येक भ्रम का कारक राहु बनता है 

राहु का वास्तविक भौतिक अस्तित्व नहीं होता है. वे छाया ग्रह हैं जो विशिष्ट ग्रहों की स्थिति से अस्तित्व में आता है लेकिन अन्य ग्रहों द्वारा तय किए गए रास्तों पर नहीं चलता है. उदय होने पर, जिस बिंदु पर चंद्रमा की कक्षा क्रांतिवृत्त को काटती है, वह राहु बन जाता है. उल्टी गति में, वह बिंदु जहां चंद्रमा की कक्षा क्रांतिवृत्त को काटती है, केतु बन जाता है. वास्तविक भौतिक अस्तित्व न होते हुए भी राहु  को बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है राहु को हर भ्रम का कारण माना जाता है. राहु को स्वतंत्रता से प्रेम है वह किसी भी तरह का बंधन स्वीकार नहीं करता है. राहु आजादी के लिए तरसता है. यह स्वार्थों की पूर्ति के लिए हर किसी के भीतर समाहित होता है.  राहु को निवास, मित्रों और उद्देश्य में परिवर्तन लाने वाला भी माना जाता है. राहु अत्यधिक स्वार्थी होने के कारण शत्रुता में भी वृद्धि करता है.  

ज्योतिष में राहु

ज्योतिष में राहु को लालच, भौतिकवाद, जुनून और प्रसिद्धि का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है. जब मन भौतिकवाद, वासना या घृणा से प्रभावित होने लगता है तो उसमें राहु विशेष भूमिका को निभाता है. राहु का प्रभाव आने पर कोई भी व्यक्ति कठोर वाणी और कठोर स्वभाव का होता है. राहु को सुख के लिए विशेष माना जाता है क्योंकि इसके सहयोग बिना सुख का भोग भी वास्तविक होता है अन्यथा वह व्यर्थ लग सकता है. यह सांसारिक सुखों जैसे प्रसिद्धि, धन, आदि से  भर देता है. राहु की दशा होने पर व्यक्ति को अपनी पसंद और निर्णयों के बारे में बहुत सावधान रहने की आवश्यकता होती है.  

राहु तीसरे भाव में

ज्योतिष में तीसरा भाव साहस, भाई-बहनों से प्रेम, इच्छाशक्ति और संचार की कुशलता का होता है. इस भाव में राहु का प्रभाव सबसे अच्छा होता है. जब राहु तीसरे भाव में होता है तो उसकी शक्ति काफी अधिक दिखाई देती है. बुद्धि और सामाजिक जागरूकता में सुधार होता है. राहु यहां होकर सीधे तौर पर लोगों के साथ बेहतर संबंध बनाने में मदद करता है. तीसरे भाव में राहु वाले व्यक्ति साहसी होते हैं और चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं. आध्यात्मिक होना पसंद करते हैं और आत्म-विश्वास की भावना अच्छी रहती है. इस स्थान में बैठा राहु प्रबल जुनून को दर्शाता है और व्यक्ति को समृद्ध होने के लिए उत्साहित करता है. 

राहु छठे भाव में

ज्योतिष शास्त्र में छठा भाव शत्रुओं, कर्ज और रोग का स्थान है. इस घर में राहु बहुत विशेष स्तर से प्रभावित करने वाला होता है. राहु छठे भाव में होने पर शत्रुओं से रक्षा दिलाता है. विरोधियों का दबाव व्यक्ति को हरा नहीं पाता है. स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी राहु की भूमिका बहुत सक्षम दिखाई देती है. अधिकांश बीमारियों से स्थायी राहत पाने में राहु विशेष रुप से काम करता है. अगर इस भाव में मंगल जैसे ग्रह छठे भाव में राहु के साथ युति करते हैं, तो विभिन्न क्षेत्रों में लाभ का और विस्तार में तेजी भी आती है ऎसा व्यक्ति अपनी दबंगई के लिए भी पहचाना जा सकता है.

राहु दसवें भाव में

राहु एक भौतिकवादी ग्रह है, और ज्योतिष में दशम भाव भी भौतिकवाद को दर्शाता है. इस प्रकार ज्योतिष में राहु के लिए एक अच्छा स्थान है. दसवें घर में राहु एक सफल करियर देने में सक्षम होता है. व्यक्ति को सीमाओं से पार पाने में मदद करता है. जैसे-जैसे जीवन में आगे बढ़ते हैं आधिकारिक लोगों का समर्थन प्राप्त होता जाता है. इस का प्रभाव मीडिया, एंटरटेनमेंट और सॉफ्टवेयर से जुड़े कामों में अच्छा प्रोफेशन देता है.

राहु ग्यारहवें भाव में

राहु के लिए एक और अच्छा स्थान एकादश भाव भी माना गया है. इस स्थान में राहु का होना व्यक्ति को अपने जीवनकाल में सफलता और धन की प्राप्ति कराने में सहायक बनता है. ग्यारहवें भाव में राहु की स्थिति दशा काल में विशेष रूप से लाभकारी हो सकती है. इस योग वाले व्यक्ति को सरकार और समाज से लाभ मिलता है. भौतिक लाभ प्राप्त होता है. ग्यारहवां भाव लाभ का स्थान होता है जिसके चलते राहु सकारात्मक प्रभाव देता है क्योंकि वह लाभ प्राप्ति के लिए व्यक्ति को प्रयासशील भी बनाता है.