जन्म कुंडली से जानें सूर्य महादशा का प्रभाव

सूर्य महादशा का आगमन जब होता है, तो व्यक्ति के जीवन में काफी बदलाव का समय होता है. सूर्य दशा का प्रभाव जातक को कई तरह के जीवन में प्रभाव दिखाता है. सूर्य ग्रह का प्रभाव विशेष माना जाता है. सूर्य की स्थिति व्यक्ति को मान सम्मान दिलाने वाली होती है. सूर्य की स्थिति व्यक्ति के संपूर्ण जीवन में मिलने वाली शुभता या नकारात्मकता के लिए जिम्मेदार होती है. यदि सूर्य की स्थिति कुंडली में अच्छी होती है और सूर्य शुभ हो तब इस दशा का आगमन काफी अच्छा होगा. इसके अलग अगर ये दशा अनुकूल न हो तो इस समय जीवन में चुनौतियों एवं प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है. इस तरह से दशा का प्रभाव जीवन में कुंडली की स्थिति के आधार पर विशेष होता है. सूर्य ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है. वैदिक ज्योतिष भी सूर्य को प्रमुख ग्रह मानता है, जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका सूर्य की होती है. ऐसा माना जाता है कि शुभ सूर्य व्यक्ति के लिए अत्यधिक अधिकार और प्रसिद्धि ला सकता है, जबकि कमजोर सूर्य प्रसिद्धि और शक्ति में बाधा उत्पन्न कर सकता है, जिससे समस्याएं और संघर्ष हो सकते हैं.

सूर्य की महादशा के प्रभाव और उपाय 

सूर्य की महादशा का समय व्यक्ति के जीवन पर कई तरह के असर दिखने को मिल सकते हैं. सूर्य महादशा जीवन में करियर, रिश्तों, व्यक्तित्व, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन की अनेक गतिविधियों पर अपना असर दिखाने वाला होता है. सूर्य महादशा के बारे में सभी महत्वपूर्ण और प्रासंगिक चीजों को समझने की कोशिश करके इस दशा को अच्छे से जान सकते हैं. सूर्य महादशा के महत्वपूर्ण ज्योतिषीय परिणाम इस प्रकार से अपना प्रभाव डालने में सक्षम होंगे. 

सूर्य दशा का कुंडली अनुसार 

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा के बाद सूर्य को दूसरा सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है जिसका व्यक्ति पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. सूर्य जीवन के विभिन्न पहलुओं में समग्र व्यक्तित्व, स्थिति, शक्ति, मान्यता, महत्वाकांक्षा, पूर्णता और व्यक्ति की स्थिरता को प्रभावित करता है. यदि किसी कुण्डली में सूर्य शक्तिशाली है तो अन्य ग्रहों के बुरे प्रभावों को काफी हद तक नकार सकता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में उच्च का सूर्य है और उसकी कुंडली में नीच का शनि या बृहस्पति या मंगल है, तो यह शक्तिशाली सूर्य नीच ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम करने की क्षमता रखता है. सूर्य को मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच माना जाता है. अर्थात यदि सूर्य मेष राशि में हो तो उसे उच्च का माना जाता है और यदि सूर्य तुला राशि में हो तो नीच का सूर्य कहलाता है. 

सूर्य का मजबूत होना ऊर्जा, जुनून, उत्साह, महत्वाकांक्षा, क्षमता, जीवन शक्ति, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता, महत्वपूर्ण और कठिन कार्यों को करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है. उच्च के सूर्य के कारण दशा में व्यक्ति कई शुभ गुणों का आनंद उठाने में सफल होता है. वह जो कुछ भी करता है उसमें अति उत्साही होता है, बहुत आत्मविश्वासी, महत्त्वाकांक्षी होगा, जो कुछ भी करेगा उसमें जुनून होगा. लेकिन उच्च सूर्य का अर्थ यह भी है कि इस व्यक्ति इस दशा में अहंकार और क्रोध की स्थिति को भी पाएगा. इस समय वह कई चीजों में नियंत्रण खो सकता है और कभी-कभी हद से ज्यादा उत्तेजित हो सकता है.

सूर्य गरिमा, स्वाभिमान और योग्यता का भी प्रतिनिधित्व करता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य की दशा अच्छी होती है, इस दशा के समय बेकार की चीजों और अनुभवों से हमेशा दूर रख पाएंगे. इस दशा के समय स्वाभिमान उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रखेगा. लोग कभी भी दूसरों को धोखा नहीं देता है, ईमानदार, भरोसेमंद होकर काम करेगा. सूर्य भी पिता का प्रतिनिधित्व करता है. यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य की दशा अच्छी होने पर पिता का सुख प्राप्त होता है, या पिता को समाज में अच्छे पद, शक्ति और प्रसिद्धि की प्राप्ति हो सकती है. सूर्य सरकार, राजनयिक संबंधों और प्रशासन से संबंधित किसी भी चीज का प्रतिनिधित्व करता है. इस दशा के समय पर व्यक्ति सरकार की नौकरी चाहते हैं, तो सूर्य दशा में इसमें शामिल होने का मौका मिलता है. 

नीच के सूर्य की दशा का प्रभाव 

तुला राशि में सूर्य को नीच माना जाता है. नीच का सूर्य उत्साह, महत्वाकांक्षा और ऊर्जा की कमी का कारण बनता है. इस कारण से दशा का प्रभाव व्यक्ति को लापरवाह बना सकता है.  टालमटोल कर रहे हैं, दशा के प्रभाव से चीजों को पूरा कर पाने में अक्षम ही दिखाई देते हैं. इस दशा के दौरान व्यक्ति के साहस और आत्मविश्वास की कमी देखने को मिल सकती है. व्यक्ति कोई भी छोटा निर्णय या चुनाव करने से पहले कई बार सोचेगा. नीच का सूर्य आत्म सम्मान या आत्म मूल्य की कमी का कारण बनता है. व्यक्ति खुद को किसी चीज के लिए काबिल नहीं समझते. व्यक्ति खुद को कम आंकता है, जब उन्हें कोई कठिन कार्य दिया जाता है, तो वे आसानी से उसे कर पाने में सक्षम नहीं दिखाई देते हैं. नीच के सूर्य की दशा का समय व्यक्ति को सुस्त भी बनाता है, कुछ करने के लिए पर्याप्त इच्छा शक्ति की कमी इस दशा में अधिक परेशान कर सकती है.

नीच के सूर्य की दशा का प्रभाव अवसाद और मानसिक विकारों का कारण बन सकता है. नीच के सूर्य की दशा का असर प्रतिष्ठा, समाज में स्थिति, नौकरी छूटने, व्यवसाय में हानि या किसी प्रकार के ऋण का कारण बनता है. नीच के सूर्य की दशा सदैव अशुभ फल नहीं देती है, यह व्यक्ति को रचनात्मक बनाता है और कल्पना शक्ति को बढ़ाता है और इस दशा के समय इन क्षेत्रों में आगे बढ़ने ओर सफलता को पाने का सुख भी मिल सकता है.