राहु और शुक्र की युति का कुंडली के 12 भाव में प्रभाव

इन दोनों ग्रहों का आपस में गहरा संबंध माना गया है. राहु का प्रभाव व्यक्ति को उचित अनुचित के भेद से परे को दिखाता है. शुक्र प्रेम, संबंध, विलासिता, प्रसिद्धि और धन को दर्शाता है. राहु शुक्र जब एक साथ होते हैं तो इच्छाओं में वृद्धि के लिए विशेष कारक बन जाते हैं. यह योग एक व्यक्ति को अच्छा दिखता है, उसके कोमल व्यक्तित्व को भी सामने लाता है, लेकिन इच्छाओं में बढ़ावा गलत मार्गदर्शन भी देने वाला होता है. विपरीत लिंग को अधिक आकर्षित करने की प्रवृत्ति रखता है. प्यार और रिश्ते के लिए इनके जुनून भी अधिक हो जाता है. किसी ऐसे व्यक्ति के लिए सीमा पार कर सकते हैं जिससे वे प्यार करते हैं, भौगोलिक या सांस्कृतिक दूरी से कोई फर्क नहीं पड़ता. व्यक्ति अपने मन के प्रति काफी कमजोर होता है. राहु के होने से व्यक्ति अपनी पृष्ठभूमि से हटकर काम करने और दूसरों के प्रति विश्वास को पाने में अधिक केन्द्रित दिखाई देता है. बदलाव की प्रवृत्ति व्यक्ति में बहुत अधिक होती है. ग्रहों की ऊर्जा मिलकर एक व्यक्ति को कई चीजों के लिए अधिक जिद्दी बना देती है,. 

राहु और शुक्र प्रथम भाव में

प्रथम भाव व्यक्ति के रूप-रंग, आत्म-अभिव्यक्ति, स्वभाव को दर्शाता है. इस स्थान पर राहु शुक्र का युति योग व्यक्ति को शानदार बनाता है. खूबसूरत और आकर्षक व्यक्तित्व मिलता है.  अत्यधिक महत्वाकांक्षी भी बनाता है. आर्थिक एवं भौतिक रुप से संपन्नता पाने के लिए आगे रखता है. दूसरों को ये लोग जल्द से प्रभावित कर लेने में सक्षम होते हैं. 

राहु और शुक्र दूसरे भाव में

दूसरा भाव संपत्ति और आय का प्रतिनिधित्व करता है. यहां मौजूद राहु शुक्र का युति योग अच्छे परिणाम धन के मामले में देने वाला होता है, खर्चीला हो सकता है व्यक्ति. परिवार से धन की प्राप्ति होती है लेकिन उस धन को खराब भी कर सकता है. खान पान में लापरवाह होता है और इस कारण व्यसन का भी असर पड़ सकता है. राहु और शुक्र एक व्यक्ति को जोखिम उठाने वाले बनाते हैं. 

राहु और शुक्र तीसरे घर में

तृतीय भाव से व्यक्ति के आत्मविश्वास का पता चलता है, साहस और उसके द्वारा किए जाने वाले प्रयास भी इसी भाव से देखाई देते हैं. इस स्थान पर राहु शुक्र व्यक्ति को रोमांच से जोड़ने वाला होता है. जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव बने रहते हैं. भाग्य को लेकर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन उन्हीम पर विजय पर व्यक्ति सफल भी होता है. 

राहु और शुक्र चौथे भाव में

जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव सांसारिक सुख से जुड़ा हुआ होता है, यहीं से माता के स्नेह सुख का पता चलता है. यहां राहु और शुक का योग व्यक्ति को आर्थिक संपन्नता देता है लेकिन उसके सुख को भोगने में कमी भी देता है. धन के मामले में यह योग कुछ हद तक अविश्वसनीय रूप से समृद्ध बना सकता है.  शानदार वाहन और घर की प्राप्ति होती है. चीजों से सुख कम मिल पाता है. माता का की ओर से कुछ दूरी बनी रह सकती है.

राहु और शुक्र पंचम भाव में

पंचम भाव पूर्व पुण्य का भाव माना गया है. इस भाव में राहु का और उसके साथ शुक्र की उपस्थिति कुछ परेशाणि दे सकती है लेकिन भौतिक चीजों का लाभ मिलता है. यह आध्यात्मिकता से जोड़ते हैं लेकिन परंपराओं से हट कर व्यक्ति अपनी धार्मिक मान्यताओं को अधिक मानता है. 

राहु और शुक्र छठे भाव में

छठा भाव रोग का स्थान होता है. जब कुंडली के इस भाव में राहु शुक्र साथ होते हैं तो कुछ मामलों में सफल बना सकते हैं लेकिन कुछ में यह चुनौतियां भी देते हैं. व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ेगा. किसी प्रकार के व्यसन इत्यादि की लत भी व्यक्ति को जल्दी से लग सकती है, इसलिए स्वास्थ्य के प्रति बहुत सावधान रहना होता है. 

राहु और शुक्र सप्तम भाव में

सप्तम भाव सभी प्रकार की साझेदारियों को दर्शाता है चाहे व्यक्तिगत हो या फिर काम का क्षेत्र बदलाव तो होते हैं. विवाहेतर संबंधों में उतार-चढ़ाव अधिक बने रह सकते हैं. व्यक्ति किसी अलग पृष्ठभूमि या जाति में विवाह कर सकता है. सहकर्मियों से अनबन हो सकती है. परिवार शांति की कमी के कारण व्यक्ति कई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और तनाव का सामना करना पड़ सकता है. उसके साथी उसे धोखा दे सकते हैं.

राहु और शुक्र आठवें घर में

आठवां भाव दीर्घायु और मृत्यु का भाव है. राहु के साथ शुक्र का योग यहां कुछ नकारात्मक असर अधिक दिखा सकता है. इन दोनों ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति को शरीर के निचले हिस्से से संबंधित रोग होने की संभावनाएं अधिक रह सकती है. इसलिए अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना जरुरी है. अपने रिश्तों में निर्भरता से बचना चाहिए. व्यक्ति गुढ विद्याओं में अधिक जुड़ सकता है. 

राहु और शुक्र नवम भाव में

राहु के साथ शुक्र का नवम भाव में युति योग में होना व्यक्तिको एक धर्म से दूसरे धर्म में ले जा सकता है. इसके अलावा व्यक्ति काफी बदलाव के लिए उत्साहित करने वाला होता है. व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने और भाग्य को बनाए रखने के लिए अधिक संघर्ष करने की आवश्यकता होती है. 

राहु और शुक्र दशम भाव में

दशम भाव का स्थान कैरियर और व्यवसाय का स्थान होता है. व्यक्ति को अपने काम में अच्छे विस्तार मिलता है. वह अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियों को पाने सफल होते हैं. विदेश से संबंधी कार्यों से जुड़ने का समय भी व्यक्ति को मिलता है. 

राहु और शुक्र एकादश भाव में

कुंडली का एकादश भाव इच्छाओं और लाभ का प्रतिनिधित्व करता है. राहु और शुक्र का एकादश भाव में होना व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने के साथ साथ सफलताओं को दिखाने वाला होता है. व्यक्ति सामाजिक क्षेत्र में नाम कमाने में सक्षम होता है.

राहु और शुक्र द्वादश भाव में

कुंडली का द्वादश भाव खर्चों, विदेश यात्रा और बाहरी संपर्क को दर्शाता है. राहु के साथ शुक्र का होना व्यक्ति को बाहरी क्षेत्र से जोड़ने वाला होता है. व्यक्ति अपने लोगों के साथ अधिक रह नहीं पाता है.खर्चों की अधिकता रहती है. इच्छाएं भी अनियंत्रित भी रहती है.