अपनी कुंडली से जाने शुभ और अशुभ ग्रहों के बारे में विस्तार
कुंडली विषण एक बहुत विस्तृत प्रक्रिया है, और कुंडली में सभी सूक्ष्म बातों को देखना होता है. इन विवरणों में शुभ और अशुभ ग्रहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह एक कठिन काम है क्योंकि कोई ग्रह एक ही समय पर शुभ भी होगा तो वहीं वह खराब भी हो सकता है. कुछ ग्रह प्राकृतिक रुप से शुभ होते हैं और कुछ अशुभ ग्रह होते हैं. शुभ और अशुभ ग्रह. यह एक सामान्य नियम है कि कुछ ग्रह अशुभ होते हैं और कुछ शुभ. उदाहरण के लिए, बृहस्पति को एक प्राकृतिक लाभकारी के रूप में जाना जाता है, जबकि शनि को एक प्राकृतिक अशुभ के रूप में जाना जाता है. इसके विपरित कुछ लग्नों के लिए बृहस्पति अशुभ हो सकता है, और शनि शुभ हो सकता है, इसलिए वे लग्न के अनुसार शुभ बन जाते हैं, जिसे क्रियात्मक शुभ और अशुभ कहा जाता है. इसलिए कुंडली की जांच में इन बातों पर ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
शुभ और अशुभ ग्रहों का पता लगाने के लिए बहुत सारी बातों को ध्यान रखना होता है. ग्रहों के बीच संबंध का पता लगाने पर शुभ और अशुभ के अलावा एक और स्थिति होती है जिसे तटस्थ भी कहा जाता है. इसमें ग्रह न शुभ होता है न अशुभ होता है व न्यूट्रल रह कर प्रभवैत करता है. शुभ और अशुभ की अवधारणा वैदिक ज्योतिष के मानदंड़ों पर आधारित है.
शुभ और अशुभ ग्रहों का वर्गीकरण
ग्रहों में से शनि, मंगल और राहु अशुभ हैं, और सूर्य क्रूर ग्रह है, लेकिन यह अन्य पाप ग्रहों की तरह खराब नहीं है. बृहस्पति और शुक्र को शुभ के रूप में देखा जाता है जबकि चंद्रमा और बुध की शुभता उनके साथ बैठे ग्रहों पर निर्भर करती है. यदि वे शुभ ग्रह हों तो इनका शुभ फल दिखाई देता है और यदि किसी पाप ग्रह के साथ हों तो अशुभ फल देने वाले होते हैं. इसलिए वे न तो शुभ हैं और न ही अशुभ होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में गुरु का उच्च स्थान है लेकिन वेदों में शुक्र को गुरु से अधिक ज्ञानी बताया गया है. बृहस्पति को देवताओं के गुरु के रूप में जाना जाता है, और शुक्र असुरों के गुरु के रुप में स्थान प्राप्त होता है. शुक्ल पक्ष के चंद्रमा को लाभकारी माना जाता है. कृष्ण पक्ष या अमावस्या के दिन चंद्रमा को अशुभ माना जाता है.
मेष लग्न के लिए शुभ अशुभ ग्रह
मेष लग्न के लिए बृहस्पति, मंगल, चंद्र और सूर्य शुभ ग्रह हैं. लग्न का स्वामी मंगल है और मंगल के मित्र ग्रह सूर्य, चंद्र और बृहस्पति हैं तो स्वाभाविक रूप से इन ग्रहों की दशा मेष लग्न के लिए अच्छी रहती है. राहु और केतु मंगल के शत्रु हैं अत: मेष लग्न के लिए ये पापकारक हैं. ग्रहों की मित्रता में मंगल शनि और शुक्र के साथ एक तटस्थ संबंध रहता है. शुक्र मेष लग्न के लिए एक मारक ग्रह है. मेष लग्न के लिए बुध शत्रु ग्रह है और यह छठे भाव का स्वामी है.
वृष लग्न के लिए शुभ अशुभ ग्रह
वृष लग्न का स्वामी शुक्र है, शनि, शुक्र और बुध शुभ ग्रह हैं क्योंकि ये शुक्र के मित्र हैं. शनि नौवें और दसवें भाव के स्वामी है होकर बहुत शुभ बन जाते हैं. वृष राशि के लिए शनि शुभ योगकारक ग्रह बनते हैं. वृष लग्न के लिए, लग्न स्वामी शुभ और पाप दोनों श्रेणी में आता है क्योंकि नकारात्मकता के रुप में छठे भाव का स्वामी बनता है. वृष राशि के लिए चंद्रमा, मंगल, राहु, केतु और बृहस्पति, शत्रु स्थिति में होते हैं. सूर्य और शुक्र मित्र नहीं हैं, फिर भी वृष लग्न के लिए सूर्य एक तटस्थ ग्रह है.
मिथुन लग्न के लिए शुभ अशुभ ग्रह
बुध मिथुन राशि का स्वामी है और बुध शुक्र और शनि का मित्र है. मिथुन लग्न के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन शुक्र सबसे अधिक शुभ ग्रह है. मिथुन लग्न के लिए, मंगल सबसे अधिक पाप ग्रह के रुप में देखा जाता है, और अन्य पाप ग्रह राहु, केतु, बृहस्पति और सूर्य शामिल होते हैं. मिथुन लग्न के लिए चंद्रमा और बुध तटस्थ ग्रह के रुप में जाने जाते हैं.
कर्क लग्न के लिए शुभ अशुभ ग्रह
कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा है और कर्क लग्न के लिए केवल मंगल और चंद्रमा ही शुभ कारक ग्रह होते हैं. कर्क लग्न के लिए बृहस्पति, शनि और बुध पाप ग्रह के रुप में असर डालते हैं क्योंकि उनका नकारात्मक भावों पर अधिकार भी होता है. कर्क लग्न के लिए राहु, केतु, शुक्र और सूर्य सम होते हैं.
सिंह लग्न के लिए शुभ अशुभ ग्रह
सिंह लग्न, सूर्य अधिपति है अत: सिंह लग्न के लिए सूर्य, मंगल, बृहस्पति शुभ ग्रह बनते हैं. सिंह लग्न के लिए बुध, शुक्र, राहु, केतु और चंद्रमा को पाप ग्रह के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इन ग्रहों का स्थान पाप भाव से भी जुड़ा होता है. सिंह लग्न के लिए शनि एक मारक ग्रह है होता है.
कन्या लग्न के लिए शुभ और अशुभ
कन्या लग्न का स्वामी बुध है. कन्या लग्न के लिए बुध और शुक्र एक अत्यंत शुभ ग्रह हैं. कन्या लग्न के लिए सूर्य, मंगल, बृहस्पति, राहु, केतु और चंद्रमा अशुभ ग्रह के रुप में देखे जाते हैं.
तुला लग्न के लिए शुभ और अशुभ
तुला लग्न के लिए शुक्र इस लग्न का स्वामी होकर शुभ बन जाता है, लेकिन अष्टम का स्वामी होकर अशुभ हो जाता है. तुला लग्न के लिए शनि योगकारक बनते हैं. शनि इसके लिए सबसे अधिक शुभ ग्रह होता है.
वृश्चिक लग्न के लिए शुभ और अशुभ
मंगल वृश्चिक राशि का लग्न स्वामी है. वृश्चिक लग्न के लिए शुभ ग्रह मंगल, चंद्रमा, बृहस्पति और सूर्य हैं. वृश्चिक लग्न के लिए शुक्र, राहु और केतु पाप ग्रह हैं.
धनु लग्न के लिए शुभ और अशुभ
बृहस्पति धनु राशि का स्वामी है, बृहस्पति मंगल और सूर्य इस लग्न के लिए शुभ ग्रह हैं. धनु लग्न के लिए बुध, शुक्र, राहु और केतु अशुभ ग्रह हैं. इनमें शुक्र सबसे अधिक अशुभ होता है.
मकर लग्न के लिए शुभ और अशुभ
शनि मकर लग्न का स्वामी है और धनु लग्न के लिए शुक्र, बुध और शनि शुभ कारक ग्रह होते हैं. शुक्र सबसे अधिक शुभकारी ग्रह है क्योंकि शनि और शुक्र मित्र हैं. इस लग्न के लिए मंगल, चंद्र, राहु और केतु हैं अशुभ रुप में असर डालते हैं.
कुंभ लग्न के लिए शुभ और अशुभ
शनि कुम्भ लग्न का स्वामी है. कुम्भ लग्न के लिए शुक्र हैं और शनि शुभ ग्रह हैं. इस बीच, मंगल, बृहस्पति, चंद्रमा, राहु और केतु शुभता में कमी करते हैं बृहस्पति तटस्थ भी होता है.
मीन लग्न के लिए शुभ और अशुभ
मीन लग्न का स्वामी गुरु है. इस लग्न के शुभ ग्रह चंद्रमा और मंगल हैं. अशुभ ग्रह शुक्र, सूर्य, राहु और केतु हैं.