सूर्य - केतु का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव
सूर्य और केतु का योग ज्योतिष अनुसार काफी महत्वपूर्ण होता है. यह योग कुंडली में जहां बनता है उस स्थान पर असर डालता है. इस योग को वैसे तो अनुकूलता की कमी को दिखाने वाला अधिक माना गया है. इस योग में मुख्य रुप से दो उर्जाओं का योग एक होने पर व्यक्ति पर इसके दुरगामी असर अधिक पड़ते हैं. यदि ये योग अंशात्मक रुप से दूर होता है तब इसमें अधिक तनाव नहीं पड़ता लेकिन जब यह अधिक करीब होता है उसके कारण व्यक्ति को खराब असर अधिक देखने को मिलते हैं. ज्योतिष में एक वर्ष में एक बार और यह योग निर्मित अवश्य होता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सूर्य मजबूत है या केतु केवल स्थिति व भाव का असर यहां बहुत महत्व रखता है.
यह योग आध्यात्मिक रुप से काफी अच्छे परिणाम दे सकता है लेकिन भौतिक रुप से कमजोर बना देता है. सूर्य प्रकाश है, आत्मा और जीवन है यह जब केतु के साथ होता है आत्मविश्वास पर असर डालता है. केतु ध्यान, आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है.
प्रथम भाव में सूर्य केतु की युति
प्रथम भाव में सूर्य के साथ केतु की युति होने पर व्यक्ति स्वभाव से कुछ कठोर और अंतर्मुखी हो सकता है. समाज में अपनी पहचान के लिए प्रयास अधिक करता है. दूसरों पर अधिकार जताने की प्रवृत्ति रखता है. व्यक्ति सोच विचार अधिक करेगा तथा कई बार भ्रम में अधिक रहेगा. गुसा और क्रोध के कारण विवाद में अधिक रह सकता है. वैवाहिक जीवन में साथी के साथ अलगाव परेशान कर सकता है.
दूसरे भाव में सूर्य केतु की युति
दूसरे भाव में सूर्य केतु का होना व्यक्ति को वाणी में कठोरता देने वाला होता है. आर्थिक रुप से धन का संचय कर पाना व्यक्ति के लिए कठिन होता है. यदि इन का योग शुभ स्थिति को पाता है तो व्यक्ति अपने वरिष्ठ लोगों से लाभ प्राप्त कर सकता है. परिवार से दूर जाकर निवास कर सकता है. घरेलू क्षेत्र में शांति कुछ कम रहेगी. परिश्रम बना रहेगा. वैवाहिक जीवन में मुद्दे बने रह सकते हैं.
तीसरे घर में सूर्य केतु की युति
तीसरे घर में सूर्य के साथ केतु का योग व्यक्ति को परिश्रमी बनाता है. अपनों का सहयोग कम मिल पाता है. जीवन में आध्यात्मिक यात्राएं भी करता है. व्यक्ति दार्शनिक, लेखक और राजनीतिज्ञ बन सकता है. परिवार के सदस्यों के साथ दूरी भी रहेगी. अपने निवास स्थान को लेकर चिंता होगी ओर विदेश में निवास हो सकता है. सूर्य और केतु कुछ समय के लिए बहुत आक्रामक स्वभाव और गुस्सैल बनाता है.
चतुर्थ भाव में सूर्य केतु की युति
चतुर्थ भाव में सूर्य के साथ केतु का योग अनुकूलता की कमी को दर्शाता है. माता या भाई-बहनों के साथ सुख की कमी को दिखा सकता है. सूर्य की स्थिति अनुकूल होने पर साहस और संचार कौशल देता है. धर्म या तीर्थ से जुड़ी कई यात्राएं होती है. अपने लिए विदेश में निवास के योग बनते हैं जन्म स्थान से दूर जाने का योग बनता है. भौतिक सुख साधनों को पाकर भी संतुष्टि नहीं मिल पाती है.
पंचम भाव में सूर्य केतु की युति
पंचम भाव में सूर्य के साथ केतु का योग जीवन में कई तरह की चुनौतियों के साथ सफलता का सुचक होता है. प्रेम के संबंध में विवाद अलगाव की स्थिति रहती है. अपने मित्र मंडली में व्यक्ति काफी प्रभाव डालता है. संतान के सुख में कमी रहेगी या कोई परेशानी हो सकती है. बौद्धिकता नई चीजों की खोज के लिए अग्रीण होती है. अपने पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके निमित्त श्रद्धा भाव करने की जरूरत होती है.
छठे भाव में सूर्य केतु की युति
छठे भाव में सूर्य के साथ केतु का होना अच्छे परिणाम देता है. यहां शक्ति और प्रभुत्व को प्रदान करता है. शत्रुओं को पाता है लेकिन उन्हें हरा देने में सफलता भी पाता है. अपने कार्यक्षेत्र में वह सफलता को पाता है. गलत कार्यों में भी लाभ पाता है. स्वास्थ्य को लेकर अधिक सजग होना पड़ सकता है.
सप्तम भाव में सूर्य केतु की युति
सप्तम भाव में सूर्य के साथ केतु का होना अनुकूलता की कमी को दिखाता है. यहां व्यक्ति साझेदारी के काम में असफलता को देखता है. वह सामाजिक कार्यों में आगे रह सकता है लेकिन मान सम्मान अपनों से नहीं मिल पाता है. जीवन साथी से अलगाव होता है. व्यवहार की कठोरता दूसरों के साथ सहयोग की कमी दिखाती है.
आठवें भाव में सूर्य केतु की युति
आठवें भाव में सूर्य के साथ केतु का होना आध्यात्मिक रुप से अच्छा होगा लेकिन स्वास्थ्य के लिए कुछ कमजोर होगा. यह आकस्मिक घटनाओं को देने वाला होगा. जीवन में व्यक्ति तंत्र इत्यादि जैसी विद्याओं से जुड़ सकता है. पिता का सहयोग या स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है.
नवम भाव में सूर्य केतु की युति
नवें घर में सूर्य के साथ केतु क अयोग पितृ दोष को दर्शाता है. यह भाग्य को कमजोर करता है. इसके कारण जीवन में संघर्ष अधिक करना पड़ता है. इसमें पिता या वरिष्ठ लोगों का अधिक सहयोग नहीं मिल पाता है. सुखों की कमी होती है. आध्यात्मिक रुप से यह योग कई तरह के सकारात्मक प्रभाव दिखाता है. इस योग में व्यक्ति अपने और अपने समाज के कल्याण हेतु कार्य करता है.
दशम भाव में सूर्य केतु की युति
दसवें भाव में सूर्य और केतु की युति जीवन में कर्म के क्षेत्र को बढ़ा देती है. प्रयासों के द्वारा ही सफलता मिल पाती है. जातक अपने लोगों के साथ अधिक अनुकूल रिश्ते बना नहीं पाता है. करियर में हर तरह के कार्यों से जुड़ने का मौका मिलता है. सामाजिक प्रतिष्ठा आसानी से नहीं मिल पाती है.
ग्यारहवें भाव में सूर्य केतु की युति
ग्यारहवें भाव में सूर्य और केतु का युति योग व्यक्ति को आर्थिक रुप से प्रयास करने के लिए प्रेरित करने वाला होता है. व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरी करने में कमजोर होता है. असंतोष की स्थिति जीवन में लगी रहती है. सामाजिक रुप से मान सम्मान पर शत्रुओं का प्रभाव इसे खराब करता है. संतान सुख प्रभावित होता है. प्रेम संबंधों में एक से अधिक संबंध बन सकते हैं.
बारहवें भाव में सूर्य केतु की युति
बारहवें भाव में सूर्य के साथ केतु युति योग मोक्ष के लिए अच्छा स्थान होता है. यह व्यक्ति को विदेश से लाभ भी दिलाता है. स्वास्थ्य एवं नेत्र ज्योति पर असर डाल सकता है. व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी रह सकती है.