बृहस्पति महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति महादशा का समय एक शुभ दशा के रुप में देखा जाता है.  बृहस्पति महादशा की अवधि सोलह वर्ष की अवधि तक रहती है.बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है, इस दशा के समय पर जातक के जीवन में कई बड़े बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं. जन्म कुंडली में मौजूद बृहस्पति की स्थिति के अनुसार ग्रह की अवधि विभिन्न कारकों के आधार पर जीवन पर अलग और भिन्न प्रभाव छोड़ती है.

बृहस्पति में बृहस्पति अंतर्दशा का प्रभाव 

बृहस्पति की महादशा में बृहस्पति अंतरदशा का असर अनुकूलता एवं चेंज का समय होता है. यह जीवन में सबसे अधिक अच्छी महादशा में से एक है. महादशा शुभ फल और प्रभाव लेकर आती है. बृहस्पति में बृहस्पति दशा का समय सफलता, धन, शक्ति और आध्यात्मिक विकास का समय होता है. बृहस्पति महादशा के नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बृहस्पति आपकी कुंडली में कैसे स्थित है. यह दशा वित्त, स्वास्थ्य, नौकरी आदि पर भी प्रभाव डालने वाली होती है. 

बृहस्पति की महादशा में बुध की अंतर्दशा

बृहस्पति की महादशा में बुध की अन्तर्दशा का समय बौद्धिकता के सतह साथ नवीनता का भी होता है. अगर कुंडली में दोनों की स्थिति उचित है तो अनुकूल परिणाम मिलते हैं लेकिन यह शुभ स्थिति में न हों तो परेशानी झेलनी पड़ सकती है. व्यक्ति को इस समय ज्ञानी एवं गुरुजनों की संगत भी मिलती है. इस समय के दोरान स्वास्थ्य संबंधी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है.  व्यवसाय में सफलता और उन्नति मिल सकती है या इन कार्यों में गतिविधियां तेज होने लगती हैं. 

बृहस्पति की महादशा में केतु की अंतर्दशा

बृहस्पति महादशा में केतु अंतर्दशा का समय कुछ मिले-जुले असर दिखाने वाला होता है. यह समय आध्यात्मिक क्षेत्रों में कार्यों से जोड़ सकता है. धार्मिक यात्राओं में जाने का मौका मिल सकता है. जातक आत्मज्ञान से संबंधित प्रश्नों पर खोज करने में रुचि रख सकता है. इस अवधि के दौरान, केतु करियर के मामलों में बहुत सारी समस्याएं और भ्रम पैदा कर सकता है. कुछ मामलों में व्यक्ति गलत कार्यों की ओर भी बढ़ सकता है. स्वास्थ्य का ध्यान विशेष रुप से रखने की आवश्यकता होती है. 

बृहस्पति की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा

यह दशा बहुत सारे बदलाव दिखाने वाली होती है. इस समय पर भौतिकता एवं आध्यात्मिकता को लेकर खिंचतान कि स्थ्ति अधिक देखने को मिल सकती है. काम को लेकर कोशिशें बनी रहती है. ईश्वर के प्रति विश्वास और आध्यात्मिक चेतना को बल मिलता है. इस अवधि के दौरान धन लाभ के अवसर भी प्राप्त होते हैं. शुक्र का प्रभाव भौतिक सुख-सुविधाएं देता है साथ ही इस समय के दौरान भ्रमण के भी मौके मिल सकते हैं. दांपत्य जीवन में स्नेह और प्यार का आगमन होता है तथा नवीन रिश्तों का आरंभ भी होता है. यह दोनों ग्रह शुभ होते हैं और धन और भाग्य को दर्शाते हैं. बृहस्पति महादशा में शुक्र अंतर्दशा की यह अवधि समृद्धि और वित्तीय स्थिरता प्रदान करने वाली होती है.

बृहस्पति की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा

गुरु की महादशा में सूर्य अंतर्दशा का समय आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला होता है. पदप्राप्ति के अवसर मिलते हैं धन में भी वृद्धि होती है. ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को बहुत नाम और प्रसिद्धि दिलाने वाला होता है. ये दोनों ग्रह शक्तिशाली होते हैं इसलिए व्यावसायिक प्रयासों में सफलता का समय होता है. पदोन्नति के भी योग इस समय पर मिल सकते हैं. बृहस्पति महादशा में सूर्य अंतर्दशा की इस अवधि के दौरान ज्ञान में वृद्धि का समय होता है. इस दशा में परिवार और रिश्तों में सुख भी मिलता है. यदि अशुभ उपस्थिति हो, तो शरीर में दर्द, तंत्रिका संबंधी विकार, सिरदर्द और मन की शांति की कमी से पीड़ित हो सकता है.

बृहस्पति महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा

बृहस्पति महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा का समय व्यक्ति को सकारात्मक प्रभाव दिखाता है. इस अन्तर्दशा में व्यक्ति अपने साथी और बच्चों से सुख प्राप्त कर सकता है. चंद्रमा और गुरु के संबंध के प्रभाव से कारोबार में आय की संभावनाएं प्रबल होती हैं. आध्यात्मिक यात्राएं भी कर सकते हैं. तरल एवं दूध उत्पादों के प्रति आकर्षण बढ़ता है. बृहस्पति महादशा में चंद्र अंतर्दशा की यह अवधि करियर के मोर्चे पर प्रगति दिलाने वाली होती है.भौतिक सुख-सुविधाओं, विलासिता और जीवन के सुखों का आनंद मिल सकता है. जीवनसाथी और बच्चों के साथ भी संबंध मधुर बनते हैं. 

बृहस्पति की महादशा में मंगल की अंतर्दशा

गुरु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा का समय व्यक्ति को जोश एवं नई चिजों से जुड़ने का समय होता है. यह अंतर्दशा ज्ञान और सीखने की क्षमता को बढ़ावा देने वाली हो सकती है. भूमी स्रोतों से लाभ मिल सकता है. पारिवारिक मामलों और वैवाहिक जीवन में मिलेजुले परिणाम मिलते हैं. भाई-बहनों से भी संबंध सुधरते स्वभाव से अधिक क्रोध एवं थोड़ा हावी होने का भाव अधिक देखने को मिलता है. 

बृहस्पति की महादशा में राहु की अंतरदशा

बृहस्पति की महादशा में राहु की अंतरदशा का समय बदलाव का होता है. यह दशा जीवन में बहुत भ्रम और समस्याएं लेकर आ सकती है. यह व्यक्ति को स्वभाव से अहंकारी और दबंग बना सकती है. व्यक्ति अनावश्यक तर्क-वितर्क और लड़ाई-झगड़ों में लिप्त हो सकता है. बृहस्पति महादशा में राहु अंतरदशा के दौरान पारिवारिक रिश्ते भी प्रभावित होने लगते हैं. विचारों पर अधिक दबाव पड़ता है. स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी होती है. आध्यात्मिक क्षेत्र में नई रिसर्च का समय होता है.