मंगल महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव
मंगल महादशा सात वर्ष की दशा का प्रभाव रखती है. इस दशा समय पर व्यक्ति मंगल के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित होता है. मंगल ग्रह को एक अत्यधिक शक्तिशाली और आक्रामक ग्रह माना गया है. इसकी शक्ति एवं साहस का प्रभाव किसी भी व्यक्ति पर जब पड़ता है तो उसके कारण जीवन में निराशा और हार की चिंता कभी नहीं सताती है. ज्यादातर यह ग्रह व्यक्ति जातक पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. जन्म कुंडली में यदि यह शुभ ग्रह के रुप में हो तो इसकी दशा व्यक्ति के जीवन में उपलब्धियों को प्रदान करने वालि होती है. यह शक्ति एवं साहस का गुण देता है. मंगल ग्रह की प्रकृति पाप प्रभाव के कारण कठोरता वाली होती है. यह अधिकार और शक्ति को व्यक्त करता है और दृढ़ता को दर्शाता है. धैर्य की कमी इस के कारण अधिक होती है.
मंगल ग्रह या मंगल की प्रतिकूल स्थिति का असर दशा के समय पर दिखाई देता है. यह नकारात्मक प्रभाव ला सकता है. व्यक्ति को आग और चोरों से खतरा हो सकता है. संपत्ति खो सकती है, कारावास का सामना करना पड़ सकता है. संबंधों में दूरियां और मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं. स्वास्थ्य परेशानी और दुर्घटना की सम्भावना रह सकती है, शरीर में दर्द, मूत्र संबंधी समस्या, गुर्दे की समस्या और आँखों में दर्द भी संभव है. कुल मिलाकर, यह व्यक्ति के लिए कठिनाइयों और संकट की अवधि हो सकती है.
मंगल की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा फल
मंगल ग्रह की महादशा की अन्तर्दशा के रूप में सूर्य की उपस्थिति दोनों ग्रहों के एक साथ होने के कारण नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रभावों का मिश्रण बनाती है. जब मंगल की महादशा के साथ सूर्य की भी अन्तर्दशा हो तो व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति का अवसर पाता है. अगर संपत्ति-जमीन से जुड़ा कोई काम कर रहा है तो उसमें लाभ मिलता है. ऐसे में अगर लोग राजनीति में जाना चाहते हैं तो उन्हें अच्छा फायदा मिल सकता है. राजनीति से जुड़े क्षेत्र में सफलता मिल सकती है. इसके साथ ही यह दशा मांगलिक कार्य कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
मंगल महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा फल
मंगल की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा सकारात्मक रुप से असर दिखाती है. चीजों को पाने के लिए परिश्रम का भी अच्छा समय मिलता है. जब चंद्र की अंतर्दशा और मंगल की महादशा एक साथ चल रही हो तो धन और नाम और यश में वृद्धि का समय होता है. विशेष रूप से भूमि संबंधी लाभ अच्छे हैं. साथ ही मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं. वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन और माता से अच्छे संबंध का ग्रह माना जाता है. इसलिए माता से संबंध उत्तम रहता है तथा जातक को माता का अच्छा सहयोग प्राप्त होता है. कुछ विदेश यात्राएं भी इस समय होती हैं. ज्योतिषी का कहना है कि मंगल और चंद्र के योग को लक्ष्मी योग भी कहा जाता है. यदि कुण्डली में मंगल और चंद्रमा एक साथ हों तो यह एक शुभ योग माना जाता है. ऐसी दशा में जातक धन से परिपूर्ण होता है.
मंगल की महादशा में बुध की अंतर्दशा का प्रभाव
मंगल की महादशा में बुध की अन्तर्दशा हो तो व्यक्ति थोड़ी जल्दबाजी में निर्णय लेने वाला होता है. वह बहुत मेहनत करने वाला होता है. इससे कई बार उसे नुकसान का भी सामना करना पड़ता है. इस समय के दौरान रक्त और त्वचा से जुड़े रोग परेशानी देने वाले होते हैं. इस दशा की एक अच्छी बात यह भी है कि मंगल और बुध की दशा में तर्क अच्छे से काम करता है. यदि बहुत ही सूझबूझ से काम लिया जाए तो इसका अच्छा लाभ भी प्राप्त होता है. मंगल शक्ति का प्रतीक है, शक्ति और पराक्रम का सूचक है. बुद्धि के ग्रह बुध के साथ बुद्धि और साहस का योग के द्वारा व्यक्ति हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने वाला होता है.
मंगल की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा का प्रभाव
मंगल की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा का प्रभाव जातक के लिए मिलेजुले परिणाम देने वाला होता है. इस दशा समय उच्च वरिष्ठ लोगों के साथ मेल जोल के अवसर बनते हैं. व्यक्ति अपएन अनुभवों का लाभ पाता है. अच्छे परिणाम एवं जीवन में प्रगति के मौके मिलते हैं. वैवाहिक एवं संतान सुख की प्राप्ति का योग बनता है. दशा यदि शुभ भावों से संबंध बनाती हो तो ये अनुकूल समय होता है. बृहस्पति ज्ञान और सृजन का ग्रह है ये जब मंगल की शक्ति को पाता है तो जीवन में सफलता एवं भौतिक समृद्धि का अवसर मिलता है. मंगल और गुरु की दशा यह भी बताती है कि इस समय यदि कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र में उन्नति करना चाहता है तो समय उसके साथ होता है. व्यवसाय में प्रगति होती है. इस अवधि में शिक्षा से जुड़ा कार्य करने पर लाभ मिलता है. सामाजिक कल्याणकारी कामों में भी शामिल रहते हैं.
मंगल की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का प्रभाव
मंगल की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का समय प्रेम, रोमांस एवं उर्जा का समय होता है. जीवन में विशेष रूप से यह समय नए लोगों के साथ जुड़ने का और जीवन साथी प्राप्त करने का भी हो सकता है. परिवार में मांगलिक कार्य भी इस दौरान होते हैं. शुक्र का संबंध प्रेम से है और मंगल कामुकता से इसलिए इस समय विवाह होने की संभावना अधिक रहती है और प्रेम संबंध भी इस दौरान बनते हैं. कार्यक्षेत्र में भी अच्छा लाभ मिलता है. व्यक्ति ऎसे कामों में अच्छा लाभ अर्जित करता है जिनके द्वारा नए रंग रुपों को देखने और जुड़ने का मौका मिलता हो. भौतिक सुख साधनों की प्राप्ति के लिए भी अच्छा समय होता है. भूमि से अच्छा लाभ प्राप्त होता है.
मंगल की महादशा में शनि की अन्तर्दशा का प्रभाव
मंगल की महादशा में शनि की अंतर्दशा का समय परेशानी और चिंता का हो सकता है. के साथ चल रही है, इस समय बहुत सावधान रहना चाहिए क्योंकि मंगल और शनि दोनों ही पाप ग्रह माने जाते हैं. मानसिक तनाव, दुर्घटना जैसे योग इस समय परेशान कर सकते हैं. इस समय बहुत ही सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि मंगल के कारण शनि की युति खर्चों की अधिकता एवं व्यवहार में कठोरता देने वाली होती है.
मंगल की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का प्रभाव
मंगल की महादशा में राहु अंतर्दशा का समत परेशानी और क्रोध की अधिकता को दिखाने वाला हो सकता है. इस समय पर व्यक्ति को कुछ अचानक होने वाले घटनाक्रम भी बहुत परेशान कर सकते हैं. सेहत से जुड़ी परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है. संक्रमण या अज्ञात रोग उत्पन्न हो सकते हैं. आर्थिक रुप से अपव्यय अधिक र्ह सकता है. कानूनी मसलों में भी भागीदारी बढ़ जाती है.
मंगल की महादशा में केतु की अन्तर्दशा का प्रभाव
मंगल की महादशा में केतु अन्तर्दशा का समय भी भागदौड़ वाला रह सकता है. चीजों में सफलता के लिए अधिक कोशिशें रहती है. मंगल अपनी स्थिति के अनुसार फल देता है. यदि कुण्डली में मंगल योग ग्रह हो और शुभ फल प्रदान कर रहा हो तो केतु साथ आध्यात्मिक रंग देने वाला होता है.स्वास्थ्य के लिहाज से अधिक ध्यान देने की जरुरत होती है. अचानक होने वाले घटनाक्रम के कारण व्यक्ति चिंता का अधिक सामन करता है.