सूर्य महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का फल

सूर्य एक शक्तिशाली ग्रह है जो शक्ति और आत्मा के लिए कारक रुप में विराजमान है.  इस महादशा में जीवन को गति मिलती है. व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है जिसके द्वारा वह अपने कार्यों को करता है. सूर्य महादशा 6 साल के लिए होती है. जीवन का विशेष समय जो शक्ति और गतिशीलता को दर्शाता है. सूर्य महादशा का समय आत्मा और आध्यात्मिक अभिव्यक्ति का समय होता है.  अच्छे कर्मों को करने का समय होता है. इस अवधि में बहुत सी अच्छी चीजें देखने को मिलती हैं पर साथ ही सूर्य की आक्रामकता एवं गर्मी भी इस दशा में प्राप्त होती है.  

इस महादशा में अपने मौजूदा योग्यता में सुधार करने या कुछ नए कौशल से जुड़ने की तीव्र इच्छा हो सकती है. यह समय सामान्य रूप से सामाजिक समारोहो में भाग लेने और आनंद लेने में मदद करता है. भले ही व्यक्ति अंतर्मुखी हो लेकिन सूर्य महादशा के दौरान जीवन में प्रतिभा, बुद्धि, सफलता, स्वभाव में स्वतंत्र रवैया देखने को मिलता है. भाग्य और प्रसिद्धि का भी आगमन होता है. 

सूर्य पुरुष प्रकृति, आत्मसम्मान, अहंकार, प्रभुत्व, श्रेष्ठता और हठ का प्रतीक है. इस दशा के दौरान, यह संभावना है कि व्यक्ति में इन गुणों की कुछ छाप तो अवश्य दिखाई देगी. पुरुषों के करीब होंगे, चाहे वह आपका बेटा हो, पिता हो, भाई हो या दोस्त हो. व्यवहार यदि नियंत्रण में नहीं है, तो लड़ाई, विवाद और शत्रु जैसे परिणाम भी मिल सकते हैं. इस दशा के दौरान शांत और विनम्र रहने के की अधिक जरुरत होती है. अपने आध्यात्मिक स्तर को ऊंचा करने का अच्छा समय भी मिलता है. 

सूर्य महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा फल वर्णन 

भले ही भविष्यवाणियों से पहले कुंडली का विश्लेषण किया जाना जरुरी होता है, लेकिन यहां आप सूर्य की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा के प्रभावों के आधार पर सामान्य फलों को जान सकते हैं. तो आइए जानें कि सूर्य की महादशा के दौरान अन्य ग्रहों की अंतर्दशा जातकों को क्या फल दे सकती है. सूर्य महादशा हमेशा चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति और शुक्र के साथ मित्रवत रही है. सूर्य महादशा के अंतर्गत शनि और राहु की अंतर्दशा आपके जीवन पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है. यह चीजों को सामने रखने का एक सामान्यीकृत तरीका है. इसके पीछे कई और फैक्टर भी काम करते हैं. मेष, सिंह और धनु लग्न में सकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है और तुला और मकर राशि पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है.

सूर्य में सूर्य की अंतर्दशा

सूर्य महादशा के तहत सूर्य की अंतर्दशा एक बहुत ही खास समय होता है. अपने सामाजिक दायरे में सफलता और उच्च स्थिति को पाने के लिए प्रयास अधिक कर सकते हैं. शारीरिक या अधिकार के मामले में शक्ति में बहुत अधिक लगती है. आप जहां भी होते हैं वह अपनी उपस्थिति को दर्ज कराने में सफल होते हैं लोगों के मध्य आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं. दूसरे लोग विचारों और निर्णयों से आसानी से सहमत हो सकते हैं. करियर बेहतर ऊंचाइयों पर पहुंच सकता है. व्यवसाय में लाभ हो सकता है. यदि कोई विवाद चल रहा है तो उसमें से विजय प्राप्त हो सकती है. नकारात्मक रुप से ये समय सहनशीलता और धैर्य में कमी का कारण बनता है. इस दौरान बेचैन अधिक हो सकते हैं.

सूर्य की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा का प्रभाव 

सूर्य की महादशा में चन्द्रमा की अंतर्दशा का प्रभाव आर्थिक धन लाभ को प्रदान कर सकता है. यह मान सम्मान में वृद्धि का संकेत देता है. वैदिक ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक और चंद्र माता का कारक माना गया है.  बताते हैं कि यह समय माता-पिता के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके अलावा सूर्य का संबंध आत्मा से भी है.वहीं दूसरी ओर चंद्रमा का संबंध मन से होता है. अन्तर्दशा और महादशा के इस संयोग से अपनों का सहयोग प्राप्त होता है. करियर में आगे बढ़ता है और प्रमोशन भी मिलता है. 

सूर्य की महादशा में मंगल की अंतर्दशा का प्रभाव

मंगल की अन्तर्दशा सूर्य की महादशा में होने पर मंगल व्यक्ति को बहुत शक्तिशाली बनाता है. यह क्रोध और पराक्रम का समय होता है. कार्य में उन्नति होती है जिससे व्यक्ति के अंदर जबरदस्त क्षमता उत्पन्न हो जाती है. जोश और उत्साह बना रहता है. काम में आगे बढ़ सकते हैं और हर काम को करने में सक्षम हो सकते हैं. यह समय व्यापार के लिए भी बहुत अच्छा कहा जा सकता है.

सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा का प्रभाव

सूर्य की महादशा में बुध की अन्तर्दशा बहुत अच्छी मानी जाती है. खासतौर पर इस समय कार्यक्षेत्र में प्रमोशन के प्रबल योग बन सकते हैं. यदि व्यवसाय में हैं तो व्यवसाय में उन्नति होती है. विदेश यात्रा के योग भी बनते हैं और किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति से नाम और पहचान मिलने की भी संभावना अधिक रहती है. इस समय सही निर्णय ले सकते हैं क्योंकि सूर्य और बुध दोनों मिलकर आपको ऐसा करने में सक्षम बनाते हैं. बुद्धि का कारक बुध, जो व्यक्ति को बुद्धि और ज्ञान से परिपूर्ण बनाता है, सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है.

सूर्य की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा का प्रभाव

सूर्य की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा एक उत्तम योग माना जाता है क्योंकि इस समय सुख समृद्धि एवं परिवार के लिए नवीन प्राप्ति की संभावना को दर्शाता है. इस दौरान विवाह योग बनते हैं, जो सही जीवन साथी, संतान, प्रेम, उच्च शिक्षा इत्यादि पाने में मदद करते हैं. बृहस्पति ज्ञान का भी ग्रह है. ऐसे में आप कुछ नया सीखने और शिक्षा प्राप्त करने का मन बना सकते हैं. यह समय  शिक्षण और सरकारी कार्यों के लिए भी अनुकूल होता है.

सूर्य की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का प्रभाव

सूर्य की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा होना थोड़ा कष्टदायक प्रतीत हो सकता है. इस समय प्रेम संबंधों में विशेष रूप से जीवन साथी के साथ रिश्तों में उतार-चढ़ाव का दौर चल सकता है. विवाद भी हो सकता है. इस समय रिश्तों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए. पैसों के मामले में भी आपको कहीं भी निवेश करने से पहले बहुत ही सोच समझकर और सावधानी से करना चाहिए. क्योंकि यहां कुछ दिक्कतें आ सकती हैं और आर्थिक नुकसान भी हो सकता है.

सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा का प्रभाव

सूर्य की महादशा के दौरान शनि की अंतर्दशा परेशान करने वाला योग बना सकती है. पिता का प्रतिनिधित्व करने वाले सूर्य के प्रभाव से पिता के स्वास्थ्य में परेशानी हो सकती है. पिता से विचारों में मतभेद हो सकता है. वरिष्ठ लोगों के साथ संबंधों में खटास आ सकती है. परिवार एवं कार्यस्थल पर संबंध बेहतर बनाए रखने की कोशिश अधिक करनी पड़ती है. कार्यक्षेत्र में वरिष्ठों के साथ  जो भी मतभेद हैं, मतभेद बढ़ सकते हैं. शत्रु भी काफी परेशान कर सकते हैं. स्वास्थ्य विकार अधिक बढ़ सकते हैं. 

सूर्य की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का प्रभाव

सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा काफी परेशान करने वाला समय हो सकता है. यह स्वास्थ्य के लिए कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है. इस समय बदनामी और छल का भी सामना करना पड़ सकता है.  गुप्त शत्रु इस समय परेशानी दे सकते हैं. यह समय डिप्रेशन का भी प्रभाव देने वाला होता है. इस समय कोई गलत निर्णय ले सकते हैं, जो भविष्य के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर सकता है. ऐसे में इस दशा समय सावधान रहने की आवश्यकता होती है. व्यक्ति समय-समय पर किसी न किसी कारण से परेशान रह सकता है.

सूर्य की महादशा में केतु की अन्तर्दशा का प्रभाव
सूर्य की महादशा में जब केतु की अन्तर्दशा होती है तो यह कार्य क्षेत्र में परेशान कर सकती है. शत्रु बढ़ सकते हैं. काम - व्यापार में उतार-चढ़ाव बने रह सकते हैं. जल्दबाजी में लिया गया कोई भी फैसला हानिकारक साबित हो सकता है. कर्ज का बोझ पड़ सकता है. इस समय सावधानी और धैर्य से काम लेना चाहिए क्योंकि यह समय अधिक अनुकूल नहीं माना गया है.