शनि क्या रोक सकता है दूसरे ग्रहों का शुभ प्रभाव ?
नव ग्रहों का ज्योतिष शास्त्र एवं जीवन पर असर देखा जा सकता है. शनि का प्रभाव इन सभी ग्रहों के प्रभाव को कम करने अथवा प्रभावित करने में सक्षम होता है. शनि ग्रह के रूप में, लोगों की नियति में सबसे महत्वपूर्ण है. शनि ग्रह को अक्सर एक दुष्ट ग्रह के रूप में गलत समझा जाता है. शनि के बारे में आमधारणाएं उसके कष्ट को दिखाने वाली होती हैं. शनि का असर जीवन में देरी का कारण बनता है. किंतु सच इसके विपरित है क्योंकि शनि न्याय और कर्म का ग्रह है. शनि का प्रभाव जीवन में उन फलों को दिखाता है जो हमारे द्वारा किए गए फल के रुप में हमें मिलते हैं.
यदि व्यक्ति कर्मों में सही से काम करता है तो शनि नुकसान नहीं पहुंचा पाता है. शनि का असर जीवन की प्रगति में बाधा तब डालता है जब वह कुंडली के लिए खराब हो अथवा निर्बल स्थिति में हो. पर इसके साथ कड़ी मेहनत से सफल हो सकते हैं. क्योंकि शनि लोगों की कड़ी मेहनत और प्रयासों का फल अवश्य प्रदान करता है.
यदि ईमानदार व्यक्ति हैं, तो कभी भी शनि परेशानी नहीं दे पाएगा. जब तक व्यक्ति कुछ गलत नहीं कर रहा होता है तब तक वह खराब फल नहीं देता है. यदि शनि कमजोर है, तो भी इसे मजबूत करने और अच्छे फल पाने के लिए भी कई उपायों को किया जा सकता है.
शनि अन्य ग्रहों पर कैसे डालता है असर
शनि अन्य ग्रहों के शुभ फलों को कई बातों में सीमित कर सकता है. शनि ग्रह हमें धैर्य और दृढ़ता के महत्वपूर्ण सबक सिखाने में सक्षम होता है. शनि कई बार जीवन के मार्ग में कुछ रुकावटें और शुरुआती असफलताएं पैदा करके ऐसा करता है. उस समय स्थितियों में, ध्यान केंद्रित रखना चाहिए और यह निश्चित करना चाहिए कि कुछ असफलताओं का सामना करने के बाद हार न मानी जाए. यदि व्यक्ति हार मान लेता है तो शनि व्यक्ति को असीमित फल नही देता है ऎसे में अन्य ग्रहों का असर भी कमजोर होने लगता है. ज्योतिष में अन्य ग्रहों द्वारा दिए गए फलों पर शनि ग्रह के प्रभाव पर विचार करते समय कई बातों पर ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. उदाहरण स्वरुप शनि ग्रह वृष राशि में शुक्र ग्रह के साथ बैठा हो तब वृष राशि में शनि होने का अर्थ है कि जीवन के लिए भौतिक इच्छाओं लिए आकर्षण को बढ़ाता है. इस संदर्भ में, शनि वैसा ग्रह है जो व्यक्ति को चीजों की इच्छाओं को सीमित करने में वाला होता है और इस प्रकार एक स्वस्थ जीवन शैली को प्रदान करता है.
यदि शनि के प्रभाव को समझ जाते हैं स्थितियों के आगे नहीं झुकते हैं, और अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखते हैं, तो आपको यह समझना चाहिए कि एक अच्छी चीज की बहुत अधिक मात्रा जहरीली हो सकती है. वृष लग्न प्रेम के ग्रह शुक्र का स्थान है, इस स्थिति का मतलब यह हो सकता है कि आपके रिश्ते लंबे समय तक चलने वाले हैं. शनि यहां रह कर आपके प्यार की शक्ति को रोकने के लिए कुछ बाधाएं पैदा कर सकता है और यदि आप इन मुद्दों से ऊपर उठने में कामयाब हो जाते हैं, तो आपको रिश्ते में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है. एक ग्रह के रूप में, शनि यह दर्शाता है कि जीवन में कुछ सीमाएं उत्पन्न हो सकती हैं. यह दृष्टिकोण देता है, जो इन सीमाओं की प्रकृति को तय करता है. यदि सीमा आपको वह प्राप्त करने से रोक रही है जो आप चाहते हैं, और जो वास्तव में अच्छा है, तो आपको इसके बंधनों से उभरने के लिए हर संभव कदम उठाने चाहिए. वैकल्पिक रूप से, यदि सीमा केवल आपको सही दिशा में बढ़ने में मदद करने के लिए है, तो आपको इसका सम्मान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप अपने कार्यों के लिए पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए धर्म द्वारा निर्धारित तरीके से आगे बढ़ें. अपने पिछले कार्यों के माध्यम से, शनि ग्रह हमेशा अच्छाई को संभाले रखने और उन पहलुओं को प्रतिबंधित करने के लिए जाना जाता है जो लाभकारी नहीं होते हैं.
अन्य ग्रहों पर शनि का प्रभाव
एक मजबूत, धीमे ग्रह के रुप में, शनि प्रत्येक राशि से गुजरने पर अपना प्रभाव छोड़ने की कोशिश करता है. शनि समय भी अधिक लेता है. शनि ग्रह मकर राशि और कुंभ राशि का स्वामी होता है. शनि को चंद्रमा के शत्रु के रूप में जाना जाता है.
शनि प्रथम भाव में गोचर करता है
कुंडली में यदि शनि ग्रह वक्री स्थिति में पहले घर में होता है, तो यह स्थान व्यक्ति के लिए भाग्य का मार्ग खोलने वाला बनता है. सकारात्मक रुप से जीवन व्यतीत करने में सक्षम होते हैं. यदि इस स्थान पर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रह अशुभ है, तो उन्हें हृदय की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. दूसरे भाव में, वक्री शनि व्यक्ति को अधिक आध्यात्मिक बना सकता है. व्यक्ति को बुद्धिमान और दयालु प्रभव देने वाला होता है.
शनि तीसरे भाव में गोचर करता है
तीसरे भाव में वक्री शनि लोगों को सफल राजनेता और प्रसिद्ध सार्वजनिक व्यक्ति बनने में मदद कर सकता है. यदि शनि अशुभ स्थिति में है, तो यह स्थिति जीवन में निराशा और असफलता का कारण बन सकती है. चतुर्थ भाव में, वक्री शनि पूर्व जन्मों के प्रभाव स्वरुप स्वास्थ्य के बारे में चिंता, नकारात्मकताऔर मानसिक तनाव पैदा कर सकता है. इससे घर की शांति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. (50gram) पंचम भाव में शनि के वक्री होने से संतान की चिन्ता तथा प्रेम में धोखा मिलने की संभावना भी बन सकती है.
शनि छठे भाव में गोचर करता है
वक्री शनि छठे स्थान में अनुकूल परिणाम देने वाला हो सकता है. यह व्यक्ति के लिए धन और विजय प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करता है. यात्रा करने और शत्रुओं द्वारा बनाए गए नकारात्मक प्रभाव को दूर करने में भी मदद करता है. सप्तम भाव में भी वक्री शनि सकारात्मक है और सुखी पारिवारिक जीवन से लेकर सफलता तक सब कुछ लेकर आता है. करियर में, विशेष रूप से लोहा, इस्पात या मशीनरी से संबंधित क्षेत्रों में अच्छा अवसर देता है. इसका अगला घर आठवां है और इस घर में वक्री शनि लंबी उम्र दे सकता है लेकिन भाई-बहन आपके खिलाफ हो सकते हैं.
नवम और दशम भाव में वक्री शनि सुख, साहस और धनवान बना सकता है. महत्वाकांक्षी बना सकता है. करियर की ओर रुख रहेगा, राजनीति में काम मिलता है. एकादश भाव में भी शनि का वक्री होना एक सकारात्मक प्रभाव माना जाता है. यह जीवन में सफलता प्राप्त करने में दूसरों का सहयोग दिलाता है. बारहवें भाव में वक्री शनि सजग रहने को बनाता है.
शनि ग्रह वास्तव में कुछ स्थितियों को छोड़कर अन्य ग्रहों के शुभ फलों को सीमित नहीं करता है. जितनी अधिक मेहनत करते हैं, शनि ग्रह की कृपा उतनी ही अधिक होती है इसलिए जीवन में मजबूत बने रहना आवश्यक होता है तभी शनि के अच्छे परिणाम मिल पाते हैं.