ग्रहों में दिशाओं की शक्ति और दिग्बल दिलाता है नई चेतना
जन्म कुंडली में ग्रह भाव और राशि का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है. ग्रहों के क्षेत्र में कारक तत्वों का आधार ही व्यक्ति के लिए विशेष परिणाम देने वाला होता है. ग्रहों में उनका दिशा बल भी बहुत कार्य करता है. कमजोर ग्रह भी जब दिशा बल में होते हैं तो भी इस प्रभव के कारण वह कुछ सकारात्मक देने में कामयाब होते हैं. ग्रहों का दिगबाल ग्रहों की दिशा और आपके जन्म कुंडली में स्थान या घर में कुछ निश्चित दशाओं के आधार पर प्राप्त होने वाली.
ये ग्रह की अतिरिक्त शक्ति को दर्शाती है. ग्रहों का दिगबल ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण पहलू बनता है. यह उन दिशाओं या भावों को इंगित करता है जिनमें ग्रह सबसे अधिक शक्तिशाली होते हैं. ग्रहों के दिग्बल का विश्लेषण करने और समझने से यह महसूस करने में मदद मिलती है कि कौन सी स्थिति ग्रहों को लगभग दोगुनी ताकत प्रदान करती है, जिससे यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र बन जाता है.
ग्रहों का दिशा बल कहां कौन सा ग्रह होता है बली ?
जन्म में लग्न के स्थान को किसी भी कुंडली में पूर्व दिशा को दर्शाता है. बृहस्पति और बुध के दिगबल को यहां देखा जा सकता है. इन ग्रहों का यहां होना स्थितियों में असाधारण रूप से शक्ति को पाता है. सभी कुंडली में लग्न से दसवां भाव दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करता है. यहां हम मंगल दिगबल और सूर्य दिगबली हो जाता है.
अब ये दोनों ग्रह यहां बहुत मजबूत होकर फल देते हैं. और इस क्षेत्र में अपनी दिशात्मक ताकत रखते हुए देखे जा सकते हैं. इसी तरह, किसी भी कुंडली में सप्तम भाव पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करता है और इस दिशा में शनि शक्तिशाली हो जाता है और दिशात्मक शक्ति प्राप्त करता है.
दिन और रात्रि में ग्रहों का बल
अब जब ग्रह इन दिशाओं से विपरीत भावों में बैठते हैं. जब दिशाओं से संबंधित ग्रह जब अलग दिशा में बैठता है अपनी दिशात्मक शक्ति खो देतेहैं. इस भाव के ग्रह दिग्बल प्राप्त करेंगे. समय के अनुसार ग्रहों की शक्ति भी महत्वपूर्ण होती है. चंद्रमा, मंगल और शनि रात में शक्तिशाली होते हैं जबकि बुध हमेशा शक्तिशाली होते हैं. सूर्य दिगबली, बृहस्पति दिगबली और शुक्र दिगबली को दिन के समय देखा जा सकता है.
ग्रहों की सामान्य शक्ति यानि के सबसे मजबूत से सबसे कमजोर स्थिति को ध्यान में रखते हुए, हम कह सकते हैं कि शक्ति का क्रम इस प्रकार है. सूर्य, चंद्रमा, शुक्र, बृहस्पति, बुध, मंगल और शनि. इसके अलावा, छाया ग्रह राहु और केतु जिस भाव में रहते हैं और उनके स्वामी के अनुसार फल देते हैं. इसलिए राहु दिग्बल उस भाव का परिणाम होगा जिसमें वह रहता है.
ग्रहों का अस्तगत प्रभाव
कुंडली विश्लेषण के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक वैदिक ज्योतिष में ग्रहों काआस्त और उदय होना भी विशेष फल देने वाला होता है. अगर कोई ग्रह सूर्य से 5 अंश के भीतर हो तो उस ग्रह का बल सुर्य के सामने कमजोर होने लगता है और वह अस्त स्थिति को पाता है. यदि ग्रह यह 20 डिग्री के भीतर है, तो यह सामान्य अस्तगत प्रभाव को दिखाता है. यदि ग्रह 15 डिग्री के भीतर होता है, तो यह नाममात्र का अस्त होगा. अस्त में ग्रह अशुभ परिणाम देते हैं, और ऎसे में सावधान रहना चाहिए कि जहां ग्रहों का फल देखने के लिए जरूरी होता है.
ग्रहों की प्रकृति और उनका फल
एक विस्तृत और प्राचीन विज्ञान के रूप में ज्योतिष में बहुत से पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है. यहां के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक ग्रह प्रकृति है. आपको विभिन्न ग्रहों की प्रकृति के बारे में पता होना चाहिए और यह समझना चाहिए कि यदि जीवन में सफल होना चाहते हैं और हानिकारक कष्ट की स्थिति से सुरक्षित रहना चाहते हैं तो ग्रह आपको कैसे प्रभावित कर सकते हैं. सूर्य, बृहस्पति और चंद्रमा सात्विक कर्मों वाले दिव्य ग्रह हैं. \
शुक्र और बुध स्वभाव से राजसिक माने जाते हैं. मंगल, शनि, राहु और केतु तामसिक ग्रह हैं. ग्रहों की प्रकृति यह भी बताती है कि वे कुछ स्थितियों में कैसे प्फल देंगे. ग्रहों के कारकों जानना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वे जीवन जीने या सफलता प्राप्त करने के तरीके पर एक बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं.
ग्रहों को जब दिशा बल की प्राप्ति होती है तो वह अपने अच्छे असर को दिखाने में आगे रहते हैं. ग्रह का बल व्यक्ति के लिए काफी चीजों को देने में भी सफल होता है. इस समय के दौरान व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति को प्राप्त कर लेता है. अपने आस-पास कि स्थिति का उसे सकारात्मक फल प्राप्त होता है. ग्रह अपनी प्रकृति अनुसार दिशा बल में फल को देने में सहायक होता है. यदि गुरु दिशा बल को पाता है तो वह राजसिक कार्यों में सफलता दिला सकता है. जातक को समाज में बेहतर स्थान मिलता है. वह अपने कार्यों से दूसरों को मार्गदर्शन देने में भी काफी बेहतरीन रोल निभा सकता है.
शनि के दिशा बल को प्राप्त कर लेने से जातक सेवा कार्यों द्वारा अच्छे परिणाम दिलाता है. शनि व्यक्ति को सामाजिक रुप से जोड़ने तथा दूसरों के लिए काम करने से प्रसिद्धि प्राप्त कर लेता है. इसी प्रकार सूर्य के दिशा बल को पाने से राजकीय लाभ भ व्यक्ति को प्राप्त होते हैं.