रिश्तों और लव अफेयर में शुक्र की भूमिका क्यों होती है खास
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को प्रेम और विलासिता का ग्रह माना गया है. जबकि पश्चिमी ज्योतिष में शुक्र को एक स्त्री के रूप में चित्रित किया जाता है. वैदिक ज्योतिष अनुसार शुक्र ग्रह का संबंध शुक्राचार्य हैं, जो दैत्यों के गुरु हैं. शुक्र को एक ब्राह्मण, शुक्राचार्य के रूप में वर्णित किया गया है, जो विद्वान है. शुक्राचार्य ऋषि भृगु और उनकी पत्नी पुलोमा के पुत्र हैं.
शुक्र ग्रह का प्रभाव एवं लक्षण
शुक्र जीवन में अधिकांश सुखद चीजों का कारक है, खासकर भौतिक चीजों का. यह प्रेम, रोमांस, सौंदर्य, विवाह, सेक्स, वीर्य, यौवन, ललित कला, रंगमंच, संगीत, इत्र, विलासिता, शानदार वाहन और सुंदर कपड़ों का प्रतीक है. कुंडली के दूसरे और सातवें घर हैं. शुक्र की मूलत्रिकोण तुला राशि में है. शुक्र की राशियां रचनात्मकता, धन और रिश्तों के साथ अधिक निकटता से जुड़ी हुई हैं. शुक्र फैशन उद्योग, संगीत, सिनेमा, नृत्य, रंगमंच, फिल्म उद्योग, सेक्स उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन आदि पर अधिकार रखता है.
उच्च का शुक्र
शुक्र मीन राशि में उच्च का है जिस पर उनके प्रतिद्वंद्वी बृहस्पति का स्वामित्व है. जबकि शुक्र असुरों का गुरु है और बृहस्पति देवों का गुरु है, यह आश्चर्य लग सकता है कि शुक्र उस अपने प्रतिद्वंदी के घर में उच्च का क्यों होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि शुक्र यहां दिव्य प्रेम को दर्शाता है. मीन राशि में, शुक्र का आकर्षण, जुनून सभी भौतिकता आध्यात्मिक प्रेम में बदल जाती है. यहां प्रेम भौतिकता से परे होता है.
मीन राशि जल तत्व है और शुक्र भी जल तत्व का कारक होकर अनुकूल होता है. यहां शुक्र रिश्तों और साझेदारी के बारे में अत्यधिक जागरूक रहता है. आध्यात्मिकता के प्रति अधिक आकर्षित होता है. शुक्र एक ऐसे व्यक्ति को दर्शाता है जो प्यार और साझेदारी को बहुत महत्व देता है. गहरी भावनाओं से भरा हुआ होता है और प्यार में हार से व्यथित हो सकता है. उच्च का शुक्र व्यक्ति को भौतिकवादी तरीकों से हटकर अपने साथी से जोड़ता है. यह प्रेम आत्मिक स्तर का आध्यात्मिक संबंध है. इन के भीतर प्यार आदर्शवादी रुप से होता है. गहन आध्यात्मिक प्रेम और कामुक संबंध के लिए उत्सुक होता है. मीन राशि में उच्च का शुक्र सबसे रोमांटिक कम बनाता है.
नीच का शुक्र
शुक्र कन्या राशि में नीच का होता है. यदि कुंडली में यह स्थिति बनती है तो यह दुनिया का अंत नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि प्रेम जीवन असंतुष्ट रहेगा या एक बुरा जीवनसाथी मिल सकता है. इसमें साथी बिना शर्त प्यार करने वाला होगा. कन्या राशि में, शुक्र चीजों प्रति अधिक चौकस होता है. यह रिश्तों में एक नाइट-पिकर बना सकता है. या फिर लगातार अपने साथी में दोष खोजने में लगा रह सकता. व्यावहारिकता और रोमांस यहां अच्छी तरह से नहीं मिलते हैं.
बुध की स्थिति भी शुक्र को प्रभावित करती है, क्योंकि कन्या राशि बुध के स्वामित्व की राशि होती है. इसलिए बुध की शुभ स्थिति अनुकूलता दे सकती है लेकिन कमजोर बुध परेशानी को बढ़ा सकता है. बुध का अशुभ प्रभाव भी चंचलता और एक से अधिक संबंधों का कारण बन सकता है. खराब बुध वाला शुक्र व्यक्ति को प्यार और रिश्तों के मामले में बहुत चालाक या धोखेबाज बना सकता है.
शुक्र को मजबूत बनाना
शुक्र के लिए अधिकांश उपाय देवी शक्ति या दुर्गा की पूजा की सलाह देते हैं. चूंकि शुक्रवार का दिन शुक्र द्वारा शासित होता है, इसलिए इस दिन उपाय करना बेहतर होता है. शुक्रवार का उपवास एक अच्छा उपाय है. कुछ लोग शुक्रवार के दिन महिलाओं को शुक्र द्वारा दर्शाई गई वस्तुओं का दान करने की भी सलाह देते हैं.
शुक्र की स्थिति
जन्म कुंडली में शुक्र की स्थिति का पता लगाकर उसके फलों को समझने में सहायता प्राप्त होती है. इसके अलावा, जिस घर में शुक्र स्थित है, उसके स्वामी की स्थिति भी शुक्र की विशेषताओं को बढ़ा या घटा सकती है. यदि शुक्र छठे, आठवे या बारहवें भाव में या इनका स्वामी होकर अधिकांशत: शुभता कम दे पाता है.
प्रथम भाव में शुक्र
प्रथम भाव में स्थित शुक्र व्यक्ति को आकर्षक और आकर्षक होने के गुण प्रदान करता है. व्यक्ति को शुक्र संबंधी चीजों की प्राप्ति होती है. अपने विपरित लिंग में इसकी प्रतिष्था होती है.
द्वितीय भाव में शुक्र
धन के भाव में शुक्र व्यक्ति को बहुत भौतिकवादी बना सकता है. व्यक्ति शुक्र से संबंधित चीजों पर जितना खर्च करना चाहिए उससे अधिक खर्च कर सकता है. व्यक्ति धन के मामले में भाग्यशाली हो सकता है. व्यक्ति का भरापूरा परिवार हो सकता है. वह बोलने में वाक्पटु भी होगा.
तृतीय भाव में शुक्र
तीसरे घर में बैठा शुक्र व्यक्ति को कुछ अधिक सजग बना सकता है. धन को खर्च करने में वह कंजूस हो सकता है. रिश्ते की स्थिति काफी हद तक शुक्र के घर के स्वामित्व पर निर्भर करेगी.
चतुर्थ भाव में शुक्र
इस भाव में शुक्र के शुभ होने पर माता और पत्नी के साथ अच्छे संबंध प्राप्त होते हैं. यह भाव, वस्त्र, संपत्ति, वाहन इत्यादि से संबंधित विलासिता को दर्शाता है. चौथे भाव में शुक्र मजबूत नहीं है तो यह माता के साथ परेशानी और संबंधों में तनाव ला सकता है.
पंचम भाव में शुक्र
पंचम भाव में शुक्र का शुभ होना संतान की अधिकता दर्शाता है. शुक्र अच्छी स्थिति में हो और पंचम भाव का स्वामी बलवान हो तो व्यक्ति बहुत बुद्धिमान होता है. इसके विपरीत स्थिति होने पर व्यक्ति को सुस्त हो सकता है और लापरवाही से भरे काम कर सकता है.
छठे भाव में शुक्र
शुक्र का प्रभाव जातक के धन और शत्रुओं पर अधिक पड़ता है. फालतू खर्चा बहुत अधिक हो सकता है. शत्रु अधिक बन सकते हैं. छठे भाव में कमजोर शुक्र कम शत्रु दिखाता है जो अच्छा संकेत होता है.
सातवें भाव में शुक्र
सातवें भाव में शुक्र मजबूत संबंधों के साथ विवाह इत्यादि के सुख को दिखाता है. धनवान होता है और रिश्तों और पार्टनरशिप में दिलचस्पी रहती है. कभी-कभी, यौन संबंध की अधिकता और एक से अधिक विवाह होने के रूप में भी इसका असर मिल सकता है.
आठवें घर में शुक्र
अष्टम भाव में शुक्र ग्रह के होने से रिश्तों में कठिनाई होती है. समर्पित जीवनसाथी प्राप्त होता है. साथी से धन की प्राप्ति भी हो सकती है. संबंधों की अधिकता भी शुक्र के कारण उत्पन्न हो सकती है.
नौवें भाव में शुक्र
शुक्र का यहां होना व्यक्ति को धर्म और शास्त्रों में बहुत विद्वान और रुचिकर बनाता है. अच्छा जीवनसाथी और बच्चे होते हैं.
दशम भाव में शुक्र
शुक्र दशम भाव में भी बहुत अच्छा हो सकता है. यह व्यक्ति को कार्यस्थल में शुक्र के सभी अच्छे प्रभाव मिल सकते है. फैशन या चकाचौंध से भरी दुनिया में नाम कमा सकता है.
एकादश भाव में शुक्र
लाभ के घर में शुक्र बहुत अच्छा है क्योंकि यह शुक्र की सभी चीजों के लाभ और आनंद का अनुभव प्रदान करता है. धन की प्राप्ति के अनेक स्रोत हो सकते हैं आकर्षक व्यक्तित्व प्राप्त होता है.
बारहवें भाव में शुक्र
बारहवें भाव में शुक्र व्यक्ति को धनवान और यौन सुखों का शौकीन बना सकता है.