विदेश में निवास के लिए आपकी कुंडली में बनने वाले ये योग होते हैं खास
विदेश में जाना, विदेश यात्रा करना आज के समय में इसका काफी प्रचलन बढ़ गया है. विदेश में यात्रा के अवसर कई तरह से मिल जाते हैं लेकिन जब बात आती है विदेश में ही रहने की तब चीजें काफी मुश्किल सी दिखाई देती हैं. कई व्यक्तियों के लिए विदेश में रहना उनके लिए सब कुछ होता है इसके लिए वे हर तरह के कार्य करने में आगे रह सकते हैं. लोग नौकरी, पढ़ाई और कई अन्य कारणों से विदेश में बसना चाहते हैं. विदेश में रहने की बात आती है तो कड़ी मेहनत और वीज़ा को पाना विशेष मुद्दा होता है. ऎसे में ज्योतिष काफी सहायक बन सकता है. आपकी कुंडली में मौजूद कुछ योग अगर मजबूत होंगे तब आप विदेश में जाने के साथ साथ वहां बसने में भी सफल हो सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र में विदेश में रहने की भूमिका में सहायता करने वाले कुछ योग विशेष होते हैं. आज के समय में दुनिया में विदेश निवास को लेकर, एक बेहतर जीवन यापन, नए जीवन को जीने की चाह हर किसी के मन में रहती है. विदेशी नौकरियों और शिक्षा वीजा के लिए आवेदन करने वाले कई होते हैं लेकिन इसके अलावा कई लोग गैर कानूनी तरीकों से भी विदेश जाने के प्रयास करते देखे जा सकता है. कुछ को मौके मिलते हैम तो कुछ को असफल होना पड़ता है. कई बार यह चीजें दर्दनाक भी सिद्ध होती हैं जिनके बारे में हम आज खबरों में भी देख सकते हैं. अत: कुंडली में यदि विदेश योग नहीं है तो आपके हजार जतन भी वहां नहीं ले जा सकते हैं और अगर योग है तो आप विदेश में जरुर निवास कर पाते हैं.
अपनी मातृभूमि से कोई जब अलग होता है तो यहां अपनी विशेष चीज को छोड़ कर ही वो कहीं जाता है अब इस विशेष गुण का आपकी कुंडली में हाल कैसा है ये समझना अत्यंत जरूरी होता है. विदेश में बसने में मदद करने के लिए आपके कर्म की प्रबलता और कुंडली के योगों का शुभ संयोग जब बनता है तब विदेश में रहने का विचार फलित होता है.
कुंडली में विदेश योग के भाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुण्डली के कुछ विशेष भाव व्यक्ति को अपने जन्म स्थान से दुर करने वाले माने गए हैं. इन भाव को बाहर विदेश स्थान के लिए देखा जाता है : कुंडली का छठा भाव, सातवां भाव, आठवां भाव, नवां भाव और बारहवां भाव विदेश में बसने के लिए जिम्मेदार माना गया है. अब कुंडली में इन भाव का संबंध कुछ अन्य भाव स्थान से बनता है तो जो योग निर्मित होते हैं उनके द्वारा विदेश बसने की कल्पना साकार होती है. कुंडली के विभिन्न ग्रहों के साथ, जब ये भाव कुछ योग बनाते हैं जिसमें कोई भी वीजा के लिए आवेदन करना, विदेशी कॉलेज के लिए आवेदन करना, नौकरी आदि का विकल्प चुनने इत्यादि के कारण जाने का विचार कर सकता है.
- ज्योतिष में छठा भाव विदेशी मसलों में आने वाली चुनौतियों और बाधाओं का प्रतीक बनता है.
- ज्योतिष में सातवां दिखाता है जनता, विदेश साथी के द्बारा विदेश से जुड़े संबंध पाना. अपने पार्टनर के माध्यम से विदेशी मामलों में हाथ आजमाने का मौका मिलता है.
- कुंडली में आठवां भाव व्यक्ति के भूमिगत होने को दर्शाता है और समुद्री यात्रा का प्रतीक बनता है और अपने स्थान से दूर जाकर रहने को दर्शाता है.
- कुंडली का नवम भाव लंबे प्रवास को दिखाता है, लंबी विदेश यात्राओं के लिए भी ये भाव जिम्मेदार होता है, विदेशी व्यापार और विदेश धर्म कार्य एवं स्थापना इत्यादि के लिए भी इसे देखा जाता है.
- कुंडली में बारहवां भाव विदेश के लिए ही मुख्य भाव बनता है. इस घर में विदेश बसने के लिए उचित ग्रहों की अनुकूल स्थिति वास्तव में आपके विदेश जाने के सपने को पूरा करने में मदद कर सकती है.
कुंडली में विदेश निवास योग के लिए विशेष ग्रह
कुंडली में ग्रहों और भावों का योग ही व्यक्ति को विदेश में रहने की अनुमति देने वाला होता है. इनमें राहु, केतु, शनि और चंद्रमा की प्रबलता को विशेष रुप से देखा जा सकता है, जो विदेश यात्रा देने में बहुत सहायक्ब माने गए हैं. राहु/केतु को विदेश का कारक माना जाता है. ऎसे में राहु व्यक्ति को विदेश में बसने के लिए एक मजबूत ग्रह बन सकता है.
विदेश यात्राओं के लिए चंद्र ग्रह को भी एक विशेष कारक ग्रह के रुप में देखा जाता है. इसके अलावा शनि ग्रह जातक की आजीविका से जुड़ा होता है उसके कर्म से संबंधित होता है. कर्म ही हमें फल देने में महत्व रखते हैं. इसलिए जहां कुंडली में चंद्रमा आपको विदेश यात्रा का सौभाग्य प्राप्त करने में मदद कर सकता है, वहीं दूसरी ओर शनि यह दर्शाता है कि विदेश में आपका जीवन कितना अच्छा होगा आपका कर्मक्षेत्र कैसा होगा. जब विदेश यात्रा की बात आती है, तो चंद्रमा, शनि राहु केतु बारहवें घर में सबसे अच्छा प्रभाव देता है. इसके साथ ही दसवें भाव में शनि सबसे अच्छा फल देता है.
विदेश में बसने के लिए महत्वपूण ज्योतिष योग
जन्म के समय यदि बुध बारहवें भाव में और शनि सातवें भाव में हो तो विवाह के बाद आपके विदेश जाने की प्रबल संभावना दिखाई देती है. यदि कुंडली में यह योग मजबूत स्थिति में तब विदेश में रहने का सपना अपने पार्टनर के द्वारा संभव हो सकता है. व्यक्ति विदेश में कुछ कानूनी दावपेजों को अपना कर भी वहां का वीजा प्राप्त कर सकता है.
कुंडली के चौथे भाव में राहु, शनि, मंगल या केतु की स्थिति बनी हुई है तो विदेश में बसने की प्रबल संभावना होती है. कुंडली का ये भाव आपकी जन्म भूमि का भी प्रतिनिधित्व करता है ओर जब यहां खराब ग्रहों का योग बनता है तो व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर होता है. कुंडली में गुरु ग्रह को अनुकूल स्थान पर रखा जाए तो यह योग और भी मजबूत होता है.
कुंडली में पंचम भाव और बारहवें भाव के स्वामियों का अनुकूल संबंध बनने विदेश में जाकर शिक्षा पाने ओर वहीं रहकर अपना कर्म क्षेत्र निर्माण का अच्छा मौका होता है यह चीज विदेश में रहने के लिए काफी सहायक बनती है.
कुंडली में अगर दशम भाव और बारहवें भाव के स्वामियों का संबंध भी व्यक्ति को विदेशी में रह कर काम करने का अवसर प्रदान करता है. ऎसे में काम के कारण व्यक्ति विदेश में निवास कर पाता है.