वृषभ लग्न के लिए मारक ग्रह और उसका प्रभाव
वृष लग्न शुक्र के स्वामित्व का लग्न है इस लग्न के लिए दूसरे और सातवें भाव को मारक कहा जाता है. दूसरे और सातवें भाव के राशि स्वामी को मारकेश कहा जाएगा. वृष लग्न के लिए द्वितीय भाव में मिथुन राशि आती है और मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह होता है. इसके अलावा सप्तम भाव में वृश्चिक राशि आती है ओर इस वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल होता है. इस कारण से वृष लग्न के लिए बुध और मंगल मारक स्वामी और मारक ग्रह बन जाते हैं.
मारक भाव में ग्रहों का असर
इसी प्रकार यदि दूसरे भाव में मिथुन राशि स्थान में कोई ग्रह बैठा हुआ है अथवा सप्तम भाव स्थिति वृश्चिक राशि में कोई ग्रह हों तो वे ग्रह भी मारक ग्रह माने जाएंगे क्योंकि उनकी दशाएं भी मारक भावों को सक्रिय करने वाली होंगी.
मारक ग्रह की प्रकृति
मारक ग्रह के फल जानने के लिए जरुरी होता है है कि सबसे पहले, मारक ग्रहों की प्रकृति की जांच कर ली जाए.
बुध ग्रह - बुध एक सामान्य र्फल देने वाला ग्रह है इसे तटस्थ ग्रह भी कहा जा सकता है. बुध जिस ग्रह के साथ युति करता है उसकी प्रकृति के अनुसार या जिस ग्रह की राशि में होता है उसकी प्रकृति के अनुसार अपना स्वभाव बदलता है. उसी अनुसार अपने फलों को देता है.
मंगल ग्रह - मंगल ग्रह को अग्नि तत्व युक्त ग्रह कहा गया यह स्वभाव से पाप ग्रह भी कहलाता है जो कठोर होता है. इस कारण से मंगल की स्थिति कुछ चिंता दर्शाता है.
वृष लग्न के लिए बुध और मंगल
बुध ग्रह - वृषभ लग्न के लिए बुध ग्रह बुध पंचम भाव का स्वामी भी होता है जहां बुध की कन्या राशि आती है. यह स्थान त्रिकोण का स्थान होता है जिसे धर्म भाव भी कहा जाता है.
मंगल ग्रह - वृष लग्न के लिए मंगल द्वादश भाव का स्वामी भी होता है जहां मंगल की अन्य मेष राशि स्थित होती है. मंगल का ये स्थान दुःस्थान भाव होता है. यह शुभता की कमी दर्शाता है.
विशेष : इसलिए, यदि हम इन ग्रहों की तुलना करें तो बुध ग्रह मंगल जितना खराब नहीं होता है क्योंकि बुध एक तटस्थ ग्रह है और साथ ही धर्म त्रिकोण भाव का स्वामी भी होता है. किंतु मंगल दोनों ही जहं पर अच्छा स्त्वामित्व नहीं पाता है. इसलिए, वृष लग्न के व्यक्ति को बुध की दशा की तुलना में मंगल दशा में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है. मंगल अधिक मारकेश बन कर असर देता है.
मारक भावों में बैठे ग्रहों की प्रकृति
इसी प्रकार, हमें उन ग्रहों की प्रकृति को देखने की आवश्यकता होती है जो मारक घरों में स्थिति होते हैं. जैसे, यदि कोई ग्रह मारक बाव में बैठा हुआ है और उसकी प्रकृति एवं प्रभाव शुभदायक है तो वह अनुकूल असर देने में भी सक्षम होगा. उसकी दशा बहुत अधिक तनाव देने से बचाव करती है. इसके दूसरी ओर मारक भाव स्थान पर कोई पाप ग्रह बैठा हुआ है तो यह स्थिति चिंता को बढ़ाती है. ग्रह जितने अधिक पापी स्वभाव रखते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि उनकी दशाएं व्यक्ति के लिए कठिन हो सकती हैं और उन्हें अपनी दशाओं के दौरान अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है.
मारकेश का प्रभाव
मारकेश एक सबसे महत्वपूर्ण कारक है. वृष लग्न की कुण्डली में बुध और मंगल को मारकेश का स्थान प्राप्त है ऎसे में यह दोनों ग्रह लग्न की शुभता और शक्ति का निर्णय भी करते हैं.
मारकेश बुध के शुभाशुभ परिणाम
मारकेश बुध अगर कुंडली में अपनी राशि में हो, मित्र राशि स्थान में हो, तटस्थ हो, मूल त्रिकोण राशि में हो या फिर उच्च राशि में स्थित हो तो ये स्थिति अनुकूल रहती है. इसका अर्थ है कि व्यक्ति इस मारक दशा में कुछ सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ सकता है. इस दशा के दौरान भी लाभ प्राप्त कर सकता है. यदि बुध ग्रह का योग एक शुभस्थ स्थिति में बनता है और बुध अच्छी स्थिति में है तो बेहतर रहता है
इसके विपरित अगर बुध शत्रु स्थान में हो, निर्बल स्थिति में हो, नीचस्थ हो, पाप करतारी योग में हो तो, यह दर्शाता है कि व्यक्ति को इस दशा समय में परेशानी ओर कष्ट बना रह सकता है चीजों से निपटने के लिए सजग रहना होगा. अधिक जागरूकता और सावधानी की आवश्यकता होगी. उदाहरण के लिए, यदि बुध एकादश भाव में मीन राशि में स्थित हो, तो व्यक्ति को बहुत सी आय संबंधी दिक्कतों, पारिवारिक समस्याओं से परेशान होना पड़ सकता है, क्योंकि बुध दूसरे घर और ग्यारहवे घर दोनों को प्रभावित करता है. जिसका अर्थ है कि धन के मामलों के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होगी.
मारकेश मंगल का प्रभाव
मंगल ग्रह दशा के समय पर भी यदि मंगल कुंडली में स्वराशि में हो, मित्र राशि में हो, उच्च राशि में हो, मूल त्रिकोण राशि में हो या शुभस्थ हो तो बेहतर होगा. क्योंकि यह अभी भी एक स्वाभाविक रूप से हानिकारक ग्रह है. अशुभ ग्रह जीवन में कुछ चुनौतियाँ लेकर आता है. अधिक परेशानी तब होगी जब मंगल शत्रु स्थान में हो, नीच राशि में हो, पाप ग्रह के साथ हो या पाप कर्तरी मे हो. तब मंगल की दशा में व्यक्ति को बेहद सतर्क रहने की जरूरत होगी.
मारक भाव में ग्रहों का असर
मारक भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति को शक्ति को देखना भी आवश्यक होता है. शुभस्थ ग्रह के होने पर व्यक्ति बिना किसी नुकसान के मारक दशा के माध्यम से आगे बढ़ सकता है लेकिन अगर ग्रह शुभ न हो तो खराब फल मिलते हैं अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए, दूसरे घर मिथुन राशि में चंद्रमा ज्यादा चिंता नहीं देता है, लेकिन अगर चंद्रमा सातवें घर वृश्चिक में है जहां यह कमजोर है तो व्यक्ति को मारक दशा के दौरान सतर्क रहने की जरूरत होगी.