ताजिक योगों का प्रश्न कुण्डली में प्रयोग | Use of Tajika Yoga in Prashna Kundli

प्रश्न कुण्डली का अध्ययन करते समय ताजिक योगों का विश्लेषण करना आवश्यक होता है. बिना ताजिक योगों के प्रश्न कुण्डली का अध्ययन अधूरा होता है. कार्य की सिद्धि होगी अथवा नहीं होगी यह ताजिक योगों से पता चलती है. आपको इस अध्याय में सभी ताजिक योगों के बारे में बताया जाएगा कि वह किस प्रकार से बनते हैं. अधिकतर योग लग्नेश तथा कार्येश पर आधारित होते हैं. प्रश्न कुण्डली में जिस भाव से प्रश्न का संबंध होता है, उस भाव के स्वामी को कार्येश कहा जाता है. योगों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करते हैं.

प्रश्न कुण्डली में कुछ योग इत्थशाल पर आधारित होते हैं तो कुछ योग इत्थशाल के बिना होते हैं. पहले हम इत्थशाल रहित योगों की चर्चा करेंगें. फिर इत्थशाल सहित योगों की चर्चा की जाएगी.

इत्थशाल रहित योग | Without Ithasala Yoga

इकबाल योग | Ikbal Yoga

प्रश्न कुण्डली में यदि सभी ग्रह  केन्द्र या पणफर में स्थित हों तब इकबाल योग बनता है.  अच्छा तथा शुभ योग है. कार्यसिद्धि होगी.

इन्दुवार योग | Indubar Yoga

प्रश्न कुण्डली में सारे ग्रह अपोक्लिम भावों में हो तब इन्दुवार योग बनता है. शुभ योग है.

कुत्थ योग | Kuth Yoga

लग्नेश, कार्येश कुण्डली में बली हों. शुभ ग्रहों से दृष्ट हों, शुभ भावों में हों तथा शुभ संबंध में हों तो प्रश्नकर्त्ता के लिए शुभ है. कार्य की सिद्धि होगी.

दुरुफ योग | Durufa Yoga

प्रश्न कुण्डली में यदि लग्नेश तथा कार्येश 6,8,12 भावों में निर्बल अवस्था में स्थित हों तथा पाप ग्रहों से दृष्ट हों तब दुरुफ योग बनता है. यह अच्छा योग नहीं है. कार्य हानि होगी.

 

इत्थशाल सहित योग | With Ithasala Yoga

इत्थशाल योग | Ithasala Yoga

(1) लग्नेश तथा कार्येश में दृष्टि संबंध हो

(2) लग्नेश तथा कार्येश दीप्ताँशों में हो.

(3) इत्थशाल होने के लिए दो ग्रहों का आपस में संबंध होता है. मंदगामी ग्रह के अंश अधिक हों तथा तीव्रगामी ग्रह के अंश कम हों.

उपरोक्त शर्ते यदि पूरी हो रही हों तो इत्थशाल योग बनता है. यह योग भविष्य में होने वाला संबंध दिखाता है. भविष्य में कार्य सिद्धि के योग बनते हैं.

इशराफ योग | Ishraf Yoga

कुछ विद्वान इसे मुशरिफ योग भी कहते हैं. यह योग इत्थशाल योग के ठीक विपरीत होता है. परस्पर दो ग्रहों में दृ्ष्टि हो, परन्तु शीघ्रगामी ग्रह के अधिक अंश हों तथा मंदगामी ग्रह के अंश कम हों. इस प्रकार शीघ्रगामी ग्रह आगे ही बढ़ता रहेगा और कार्य हानि होगी.

इशराफ का अर्थ है कि पीछे दोनों ग्रहों में इत्थशाल हो चुका है. मंदगामी ग्रह, तीव्रगामी ग्रह से एक अंश से अधिक पीछे हो तो इशराफ होगा.

दुफलि कुत्थ योग | Dufli Kutth Yoga

प्रश्न कुण्डली में मंदगामी ग्रह बली हो. तीव्रगामी ग्रह निर्बल हो तो दुफलि कुत्थ योग बनता है. इस योग के बनने पर कार्य सिद्धि की संभावना अच्छी रहती है.

मणऊ योग | Madhu Yoga

इत्थशाल में शामिल ग्रहों से मंगल तथा शनि का संबंध भी बन रहा हो तो मणऊ योग बनता है. इसमें कार्य की हानि हो होती है. कार्य नहीं बनता.

रद्द योग | Radha Yoga

प्रश्न कुण्डली में यदि मंदगामी ग्रह निर्बल हो(मंदगामी ग्रह वक्री हो या अस्त हो या 6,8 अथवा 12 भावों में स्थित हो) तथा तीव्रगामी ग्रह बली हो तब रद्द योग बनता है. इस योग के बनने से कार्य हानि होती है.

कम्बूल योग | Campbell Yoga

प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश का परस्पर इत्थशाल हो रहा हो. दोनों ग्रहों में से किसी एक ग्रह के साथ चन्द्रमा का इत्थशाल हो रहा हो तब कम्बूल योग बनता है. इस योग के बनने पर कार्यसिद्धि होती है. (Messinascatering)

गैरी कम्बूल योग | Geri Campbell Yoga

कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश का इत्थशाल, शून्यमार्गी चन्द्रमा से हो रहा हो और चन्द्रमा राशि अंत में भी स्थित हो तब यह गैरी कम्बूल योग बनता है. इस योग में कार्य सिद्धि विलम्ब से होती है. शून्यमार्गी चन्द्रमा से तात्पर्य है कि चन्द्रमा जब ना तो उच्च राशि में हो, ना ही नीच राशि में हो, ना ही मित्र राशि में हो और ना ही शत्रु राशि में हो.

खल्लासर योग | Khallasara Yoga

लग्नेश तथा कार्येश का संबंध होने से इत्थशाल है लेकिन शून्यमार्गी चन्द्रमा से कोई संबंध नहीं है तो यह खल्लासर योग बनता है. इस योग में कार्य सिद्धि नहीं होती है.

ताम्बीर योग | Tambir Yoga

जब कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश का इत्थशाल नहीं होता है. एक राशि अंत में होता है और दूसरा ग्रह अगली राशि में आने पर किसी अन्य बली ग्रह से इत्थशाल करे तब यह ताम्बीर योग बनता है. इस योग में किसी अन्य की सहायता से कार्य की सिद्धि होती है.

नक्त योग | Nata Yoga

कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश में इत्थशाल नहीं है लेकिन कोई अन्य तीसरा तीव्रगामी ग्रह दोनों से इत्थशाल करता है तो नक्त योग बनता है. इस योग में किसी मध्यस्थ की सहायता से बात बन सकती है अर्थात कार्य सिद्धि हो सकती है.

यमया योग | Yemaya Yoga

कुण्डली में लग्नेश तथा कार्येश में इत्थशाल नहीं है लेकिन किसी अन्य मंदगामी ग्रह से दोनों का इत्थशाल हो तो यमया योग बनता है. इस योग में किसी बडे़-बुजुर्ग की सहायता लेकर व्यक्ति कार्य बना सकता है. किसी को मध्यस्थ बनाकर कार्य को सफल बनाया जा सकता है.

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