शनिवार व्रत कैसे करे? | Saturday Fast Method - Shanivar Vrat (Sadhesati Mantra)

शनिवार का व्रत अन्य सभी वारों के व्रत में सबसे अधिक महत्व रखता है. शास्त्रों के अनुसार जिन व्यक्तियों कि कुण्डली में शनि निर्बल अवस्था में हो, या अपनी पाप स्थिति के कारण अपने पूर्ण फल देने में असमर्थ हों, उन व्यक्तियों को शनिवार का व्रत अवश्य करना चाहिए ( According to the scriptures, people having weak Saturn in their horoscope or Saturn is in malefic position and is unable to give good results, should observe Saturday Fast). यह व्रत शनि ग्रह की शान्ति हेतु किया जाता है. इस व्रत को करने से शनि देव प्रसन्न होते है.

इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शनि की साढेसाती, शनि की ढैय्या या फिर शनि की महादशा, अन्तर्दशा चल रहीं, उन व्यक्तियों के लिये इस व्रत को करना विशेष रुप से कल्याणकारी रहता है. शनि वार के व्रत को करने से जोडों के दर्द, कमर दर्द, स्नायु विकार में राहत मिलती है. यह मानसिक चिन्ताओं में कमी कर व्यक्ति को आशावादी बनाता है. 

शनिवार के व्रत को कब शुरु करे? | Starting of Saturday Fast

जिस व्यक्ति को शनिवार व्रत करने शुरु करने हों, वह व्यक्ति इस व्रत को किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से शुरु कर सकता है (This fast may be started on first Saturday of Shukla Paksha of any month). व्रत को प्रारम्भ करने के बाद नियमित रुप से 11 बार या 51 बार किया जा सकता है. 

इसके बाद एक बार व्रत का उद्द्यापन करने के बाद इस व्रत को फिर से शुरु किया जा सकता है.

शनिवार व्रत कैसे करे? | Saturday Fast Procedure 

शनिवार का व्रत पालन करने वाले व्यक्ति को व्रत के दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए. और प्रात: ही नित्य क्रियाओं से मुक्त होकर, पूरे घर को गंगा जल या अन्य किसी शुद्ध जल पूरे घर में छिडकर कर, घर को शुद्ध करना चाहिए.  

स्नान करने के बाद नीले या काले वस्त्र पहनकर शनिदेव की पूजा के लिए बैठें (You should wear black cloth and then worship Shanideva) . तिल के तेल से भरे लोहे के बर्तन में शनिदेव की मूर्ति लोहे से बनी मूर्ति की पूजा करने का महत्व है. पूजा में अन्य पूजन सामग्री के साथ ही विशेष रुप से कागमाची या कालगहर के काले फूल, दो काले कपड़े, काले तिल, भात शनिदेव को जरुर चढ़ावें. शनि की आराधना शनि चालीसा, स्त्रोत, मंत्र, आरती से करें। शनि व्रत कथा का भी पाठ करें. 

साथ ही सुबह और शाम शनि मंदिर दर्शन के लिए जाएं. साथ में हनुमान और भैरव के दर्शन भी जरुर करें. मंदिर में शनिदेव को तिल का तेल, काले उड़द, काले तिल, काली वस्तुए और तेल से बने व्यंजन चढ़ावें.

पूजन करने के साथ ही कथा का श्रवण भी करना चाहिए भोजन सूर्यास्त के २ घंटे बाद करे भोजन में उड़द की दाल का बना पदार्थ पहले किसी भिक्षुक को खिलाये फ़िर स्वयं ग्रहण करे.  गरीब व निर्धन व्यक्तियो को काला कम्बल,छाता,तिल,जूते आदि यथाशक्ति दान करना चाहिए यदि हो सके तो शनि ग्रह का मंत्र भी यथाशक्ति जपना चाहिए. 

श्री शनि देवजी की आरती | Aarti of Lord Shani : 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय.॥

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय.॥

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय.॥

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय.॥

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥जय.

मन्त्र | Mantra : 

महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख जप (नित्य १० माला, १२५ दिन) करें- 

ऊँ त्रयम्बकम्‌ यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योमुर्क्षिय मामृतात्‌।

शनि के निम्नदत्त मंत्र का २१ दिन में २३ हजार जप करें | Nimnadatta Mantra of Shani

ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

पौराणिक शनि मंत्र | Ancient Shani Mantra :

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

स्तोत्र | Stotra : 

शनि के निम्नलिखित स्तोत्र का ११ बार पाठ करें या दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें.

कोणरथः पिंगलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोन्तको यमः
सौरिः शनिश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः॥

तानि शनि-नमानि जपेदश्वत्थसत्रियौ।
शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद् भविष्यति॥

साढेसाती पीड़ानाशक स्तोत्र - पिप्पलाद उवाच । Sadhesati Stotra : 

नमस्ते कोणसंस्थय पिड्.गलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥

नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते॥
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥