स्थिर दशा की गणना | Calculation of Sthir Dasha

महादशा | Maha Dasha

जैमिनी स्थिर दशा की गणना सीधी तथा सरल है. कुण्डली में जिस भाव में ब्रह्मा स्थित होते हैं उस भाव से स्थिर दशा का दशा क्रम आरम्भ होता है. इस गणना में चर,स्थिर तथा द्वि-स्वभाव राशियों की गणितीय गणना करने की आवश्यकत नहीं होती. इसमें चर राशियों की दशा सात वर्ष की होती है. स्थिर राशियों की दशा आठ वर्ष की होती है. द्वि-स्वभाव राशियों की नौ वर्ष की दशा होती है. स्थिर राशियों के दशा वर्ष निर्धारित होते हैं. इस दशा में कोई अंक नहीं घटाया जाता है. इस दशा में सभी राशियों का क्रम सीधा चलता है. 

चर राशियाँ(1,4,7,10) 7 वर्ष 

स्थिर राशियाँ(2,5,8,11) 8 वर्ष 

द्वि-स्वभाव राशियाँ(3,6,9,12) 9 वर्ष 

स्थिर दशा में अन्तर्दशा की गणना | Calculation of Antardasha in Sthir Dasha

इस दशा में अन्तर्दशा का क्रम भी महादशा की तरह सीधा चलता है. यदि मेष राशि की महादशा आरम्भ हुई है तो पहली अन्तर्दशा भी मेष राशि की ही होगी. बाकी दशाएँ क्रम से चलेगीं. चर राशियों में प्रत्येक राशि की अन्तर्दशा सात माह की होगी. स्थिर राशियों में प्रत्येक ग्रह की अन्तर्दशा आठ माह की होगी. द्वि-स्वभाव राशियों में प्रत्येक ग्रह की अन्तर्दशा नौ माह की होगी. इस दशा में अन्तर्दशा क्रम भी निश्चित होता है. 

प्रत्यन्तर दशा क्रम | Sequence of Pratyantar Dasha

प्रत्यन्तर दशा क्रम में प्रत्येक अन्तर्दशा का 12वाँ भाग हर राशि की प्रत्यन्तर दशा होगी. इस प्रकार चर राशियों की प्रत्यन्तर दशा 17 दिन, 2 घण्टे की होगी. स्थिर राशियों की प्रत्यन्तर दशा 20 दिन की होगी. द्वि-स्वभाव राशियों की प्रत्यन्तर दशा 22 दिन, 12 घण्टे की होगी. 

अभ्यास कुण्डली | Exercise Kundalini

जैमिनी स्थिर दशा में पिछले अध्याय के आधार पर एक सारिणी में राशि बल के सभी बल लिखें और ग्रह बल के सभी बल लिखें. अब इन सभी बलों का कुल जोड़ ज्ञात करें. अब आप लग्न तथा सप्तम भाव के कुल अंक देखें. उसमें यह देखें कि दोनों भावों में से किस भाव में अधिक अंक है. जिस भाव में अधिक अंक होगें उस भाव से छठे, आठवें और बारहवें भाव की राशियों को नोट करें. इसमें शनि की राशि की गणना नहीं होगी. अब छठे, आठवें तथा बारहवें भाव के स्वामियों का ग्रह बल देखें. इन तीनों भावों के राशि स्वामियों में से जिस राशि के स्वामी के ग्रह बल में अधिक अंक होगें, उस राशि के स्वामी को ब्रह्मा की उपाधि प्रदान की जाएगी. अब यह देखें कि कुण्डली में ब्रह्मा किस भाव में स्थित है. जिस भाव में ब्रह्मा स्थित होगा उस भाव में पड़ने वाली राशि से दशा क्रम आरम्भ होगा. दशा क्रम सीधा चलेगा.  

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