फाल्गुन मास के पर्व: फाल्गुन संक्रान्ति, 13 फरवरी 2024 (Festivals in the Month of Falgun : Falgun Sankranti - 13th Feb, 2024)

sankranti 12 Fabruary 2024 फाल्गुन संक्रान्ति में सूर्य कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे. फाल्गुन संक्रान्ति का आरंभ 13 फरवरी 2024, सोमवार के दिन प्रात:काल 09:44 मिनिट से होगा. 45 मुहूर्ति इस संक्रान्ति का पुण्य काल मध्याह्न बाद तक रहेगा.


विजया एकादशी व्रत 2024, 16/17 फरवरी (Vijaya Ekadashi 2024, 16th/17th February)

फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को आने वाली एकादशी विजया एकाद्शी के नाम से जानी जाती है. विजया एकाद्शी के व्रत को विधि- विधान से पर व्यक्ति को अपने कार्यो में विजय प्राप्त होती है. विशेष रुप से यह व्रत सफलता और कार्यसिद्धि प्राप्त करने के लिये किया जाता है. एकाद्शी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. व्रत का पूजन करने के लिये धूप, दीप, नैवेद्ध, नारियल का प्रयोग किया जाता है. एकादशी का व्रत भगवान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिये किया जाता है|


महाशिवरात्रि व्रत 2024, 18 फरवरी (Maha Shivaratri 2024, 18th February)

फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है.फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान भोले नाथ ने माता पार्वती से विवाह किया था. इस दिन महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले पूरे दिन व्रत कर, शिव मंदिर में शिव पूजन व शिवलिंग अभिषेक कर पुन्य प्राप्त करते है.


पंचक प्रारम्भ 2024, 19 फरवरी (Beginning of Panchak 2024, 19th February)

19 फरवरी 25:14 मिनट से पंचक शुरु हो रहे है. ये पंचक 23 फरवरी 27:44 तक रहेंगे इस अवधि में सभी शुभ कार्यो का निषेध करना चाहिए. इस अवधि में शुभ कार्य न करने से कार्यो को पांच बार करने से बचा जा सकता है. क्योकि अपने नाम के अनुसार पंचक में जो भी कार्य प्रारम्भ किया जाता है, उसे पांच बार करना पड सकता है.


फाल्गुन अमावस्या 2024, 20 फरवरी (Falgun Amavasya - Phalguna Amavasya 2024, 20th February)

फाल्गुन मास की अमावस्या 20 फरवरी, 2024 के दिन की रहेगी. अमावस्या में पूर्वजों की शान्ति के लिये किये जाने वाले कार्य भी इस दिन किये जा सकते है. अमावस्या के दिन स्नान व दान आदि का विशेष महत्व होता है.


होलाष्टक प्रारम्भ 2024, 27 फरवरी से 07 मार्च (Beginning of Holashtak 2024, 27th February - 07th March)

27 फरवरी 2024, सोमवार अष्टमी तिथि, से होलाष्टक प्रारम्भ होंगे. होली से ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक का प्रारम्भ हो जाता है. होलाष्टक के दिन होली दहन करने के लिये लकडियां एकत्रित कर ली जाती है. तथा प्रह्लाद के प्रतिक के रुप में लकडियों में एक डंडा गाड दिया जाता है. यह डंडा होलिका दहन करने के बाद निकाल लिया जाता है. इस डंडे के गडने के बाद क्षेत्र में विवाहादि शुभ कार्य नहीं किये जाते है


ये होलाष्टक 27 फरवरी से लेकर 07 मार्च की अवधि तक रहेंगे. इन दिनों में परम्परा अनुसार जिन कार्यो का निषेध है, उसमें विवाह के अलावा गृहप्रवेश, मुण्डनदि मंगल कार्य आते है.


आमलकी एकादशी व्रत 2024, 03 मार्च (Fast of Amlaki Ekadashi 2024, 03 March)

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी आमलकी एकादशी के नाम से जानी जाती है. आमलकी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी. जैसा की सर्वविदित है एकादशी तिथि के व्रत श्री विष्णु के लिये किये जाते है. इस पवित्र व्रत को करने से व्यक्ति को वैकुण्ड लोक की प्राप्ति होती है. इस व्रत के विषय में कहा जाता है कि आमलकी एकादशी में व्रत करने के बाद आंवले के वृ्क्ष के पास जाकर, रात्रि भर जागरण करते हुए, विष्णु स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ऎसा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्त मिलती है.


होलिका दहन 2024, 06 मार्च (Holoka Dahan 2024, 06th March)

06 मार्च, 2024 वर्ष में होलिका दहन, सोमवार में किया जायेगा. होलिका दहन भद्रा समाप्त होने के बाद किया जाता है. यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगर अर्धरात्रि में भी भद्रा रहे तो भ्रद्रा के आरम्भ के समय को छोडकर अन्य समय में होलिका दहन किया जा सकता है. होली का पर्व दो दिन मनाया जाता है. होली के पहले दिन होली का दहन किया जाता है. तथा दूसरे दिन रंग और गुलाल से होली खेली जाती है.


फाल्गुन पर्व 2024, 07 मार्च (Falgun Festival 2024, 07th March)

07 मार्च, 2024 के दिन फाल्गुन पूर्णिमा को होली का पर्व समस्त भारत में बडी श्रद्धा व उत्साह से मनाया जाएगा. यह पर्व रंग और मस्ती का पर्व है. इस पर्व पर सभी जन शत्रु भाव भूल कर मित्रता से एक -दूसरे के गले लगते है. होली पर्व मथुरा और बरसाने की होली विशेष रुप से जानी जाती है. कहते है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण अपने मित्रों के साथ होली खेलने, राधा के गांव बरसाने आते थे.


उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में की प्रकार की होली देखने में आती है. होली का त्यौहार धुलैंडी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर-गुलाल लगाते है. ढोल बजा कर होली के लोक गीत गाये जाते है. यह रंगने और गाने-बजाने का कार्यक्रम दोपहर तक चलता है. मुख्यत: यह पर्व स्नेह और सौहार्द का पर्व है.