माघ मास के पर्व: माघ संक्रान्ति 2024, 14 जनवरी (Festival in the Month of Magh : Magh Sankranti 2024, 14th Jan)
माघ संक्रांति जिसे मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. माघ संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. यह संक्रांति 14 जनवरी 2024, शुक्रवार को रात्रि 20:44 पर आरंभ होगी. इस संक्रान्ति का पुण्य काल मध्याह्न से आरंभ होगा
मकर संक्रान्ति 2024, 14 जनवरी (Makar Sankranti 2024, 14th Jan)
14 जनवरी, 2024 के दिन मकर संक्रान्ति, रहेगी. मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के यहां एक माह के लिये रहने आते है. सूर्य तथा शनि का आपस में संबन्ध मित्रता पूर्ण नहीं है. इसलिये इस माह की शुभता प्राप्त करने के लिये मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य तथा शनि की कारक वस्तुओं का दान करना शुभ रहता है. इस दिन दान की जाने वाली वस्तुओ में गुड, तिल, गेंहूं इत्यादि है.
इसके अतिरिक्त इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान आदि किये जाते है. तीर्थ स्थलों पर स्नान करने के साथ दानादि कार्य करना ओर अधिक शुभ रहता है. परन्तु अगर किसी कारण वश तीर्थ स्थलो पर यह कार्य न कर सकें, तो अपने घर के पास भी ये दान किये जा सकते है.
षटतिला एकादशी व्रत 2024, 18 जनवरी (Shatthila Ekadashi 2024, 18th January)
एकादशी तिथि के व्रत अत्यधिक शुभ कहे गये है. ये व्रत प्रत्येक चन्द्र मास की दोनों एकादशियों को रखे जाते है. जैसा की सभी जानते है, कि चन्द्र मास के दो पक्ष होते है, जिन्हें कृ्ष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के नाम से जाना जाता है. इन दोनों पक्षों की एकादशी तिथि के दिन यह व्रत किया जाता है. इस व्रत में विशेष रुप से विष्णु जी का पूजन किया जाता है. एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां होती है. पर जिस वर्ष में अधिमास होता है, उस मास में 2 एकादशियां बढ जाती है.
माघ मास की मौनी अमावस्या 2024, 21 जनवरी (Mouni Amavasya of Magha Month 2024, 21 January)
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. वर्ष 2024 में यह अमावस्या 21 जनवरी, के दिन की रहेगी. माघ मास में सूर्य की स्थिति गोचर वश मकर राशि में होती है. मौनी अमावस्या के विषय में कहा जाता है कि इस दिन त्रिवेणी स्थल पर मौन रखते हुए स्नान करने से हजारों यज्ञों के समान फल मिलता है. यह स्नान जब प्रात: काल में सूर्योदय के समय किया जाता है, तो विशेष लाभकारी रहता है. इसके अतिरिक्त पूर्वजों की शान्ति हेतू संबन्धित कार्य भी किये जा सकते है.
माघ शुक्ल पक्ष पंचक प्रारम्भ 2024, 23 जनवरी (Beginning of Magh Shulk Paksh 2024, 23 January)
माघ शुक्ल पक्ष के पंचक 23 जनवरी 13:51 से इस माह के पंचक शुरु होगें, पंचकों की यह अवधि 27 जनवरी 18:37 तक रहेगी. पंचक समय में शुभ कार्यो का निषेध कहा गया है. यहां तक की इस अवधि में किसी की मृ्त्यु हो जाने पर, शव का अंतिम संस्कार भी नहीं करने के विषय में कहा गया है. इस स्थिति में संस्कार करने से पहले पंचक शान्ति कार्य करने चाहिए..
बसन्त पंचमी, सरस्वती जयन्ती 2024, 26 जनवरी (Basant Pamchami, Saraswati Jayanti 2024, 26th January)
बसंत आगमन का संदेश बसन्त पंचमी लेकर आती है. बसन्त पंचमी का पर्व अपने नाम के अनुसार खुशियों और रंगों से भरा होता है. इस दिन खेतों में पीली-पीली सरसों पक पर सबको अपनी ओर मोहित करती है. बसन्त ऋतु को सभी ऋतुओं में सबसे खूबसूरत माना जाता है. यह पर्व माघ मास, शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है.
इसके अतिरिक्त इस दिन की विशेषता भगवान विष्णु और सरस्वती पूजन से भी जुडी हुई है. शिक्षा संस्थाओं में सरस्वती पूजन कार्यक्रम नियोजित किये जाते है. माता सरस्वती विधा और संगीत की देवी है. इस दिन इनका पूजन करने से माता प्रसन्न होती है.
जया एकादशी व्रत 2024, 01 फरवरी (Jaya Ekadashi Fast 2024, 01 February)
माघ शुक्ल पक्ष कि एकादशी तिथि का व्रत जया एकादशी व्रत कहलाती है. जया एकादशी तिथि का व्रत करने से उपवासक को भूत प्रेतों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत में श्री कृ्ष्ण का पूजन किया जाता है. पूजन करने के लिये पुष्प, जल, अक्षत व रोली का प्रयोग करना चाहिए.
प्रदोष व्रत 2024, 03 फरवरी (Pradosh Fast 2024, 03 February)
माघ शुक्ल पक्ष, 03 फरवरी, 2024 में त्रयोदशी तिथि के दिन आने वाला व्रत प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते है. प्रदोष काल से अभिप्राय: सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष काल कहा जाता है. प्रदोष व्रत का समापन प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल के विषय में कहा जाता है कि इस काल अवधि में भगवान शिव अपने कैलाश पर्वत पर प्रसन्न हो कर नृ्त्य करते है.